टिकटॉक बैन होने से मैं बहुत खुश हूं, क्योंकि...
बच्चे और युवा वो कर रहे हैं जिसकी इनसे उम्मीद नहीं है. इस ऐप के जरिए उन्हें ये समझ आ रहा है कि बिना मेहनत किए कैसे ठुमके लागकर, आखें मटकाकर, बॉडी दिखाकर ज्यादा से ज्यादा लाइक्स और शेयर जुटाए जाते हैं और कैसे इस तरह पैसा कमाया जा सकता है.
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एक तो स्मार्ट फोन ने पहले ही सबको बर्बाद कर रखा था, और जो थोड़ी कसर रह गई थी वो टिक टॉक जैसे एप्प ने पूरी कर दी थी. जैसे ही ये एप्प आया, यूं लगा जैसे दुनिया के सारे निकम्मे लोग काम पर लग गए हों. पर सुप्रीम कोर्ट ने इस एप पर बैन लगाकर अगली पीढ़ी को बर्बाद होने से बचा लिया है. कम से कम मैं तो बहुत खुश हूं. और मेरे खुश होने की कई वजह हैं.
शुरुआत में मैंने देखा कि हर कोई टिकटॉक पर वीडियो बनाने पर तुला हुआ था. पहले तो मैंने इसमें सिर्फ कुछ युवाओं को वीडियो बनाते हुए देखा था, लेकिन जैसे-जैसे समय बीता और लोगों को इस एप्प के बार में पता चला, बच्चे क्या उनके माता-पिता सब मिलकर इस एप पर अपनी क्रिएटिविटी दिखाने लग गए.
बेहुदा कंटेट की भरमार
युवाओं के जोश के बारे में तो में तो क्या ही कहा जाए, उन्हें तो हर नई चीज ट्राय करनी होती है. लेकिन हैरानी तब हुई जब मैंने एक छोटे से बच्चे का वीडियो देखा जो मां-बहन की गाली दे रहा था. उसपर बहुत लाइक्स थे. बच्चा बहुत छोटा था जो गालियों का मतलब भी नहीं जानता था. फिर भी उससे वो बुलवाया जा रहा था. और उसे सो क्यूट जैसे कमेंट मिल रहे थे.
अब टिक टॉक पर बैन लगा दिया गया है
कॉमेडी के नाम पर अश्लीलता और फूहड़ता
कॉमेडी वीडियो का तो कहना ही क्या सिर्फ टिक टॉक पर नहीं इन्हें शेयर कर कर के लोगों ने वाट्सएप्प भर डाला. कॉमेडी के नाम पर कुछ भी भद्दा परोसा और शेयर किया जाता है. मुझे इन वीडियो को देखखर हंसी नहीं सिर्फ गुस्सा आता है. और मन में तुरंत ये सवाल आता कि इसे बनाने वाले से लेकर इसे शेयर करने वालों तक के सोचने समझने का स्तर किस तरह का है. कॉमेडी के नाम पर अश्लीलता और फूहड़ता फैलाने में मजा कैसे आता है लोगों को?
खुद की मजाक बनाने तक भी सही है, लेकिन ऐसे वीडियो की भी कमी नहीं है जहां अजीबो गपीब फिल्टर लगाकर पब्लिक प्लेस में वीडियो शूट कर लिया जाता है और पब्लिक को डरावना और भद्दा दिखाया जाता है. लोग समझ ही नहीं पाते कि कोई उनका वीडियो बनाकर फिल्टर लगाकर इस तरह प्रचारित कर रहा है. जरा देखिए ये वीडियो एक ट्रेन में बनाया गया जहां महिलाओं के चेहरों पर फिल्टर लगा हुआ है.
ये पब्लिक प्लेस में बनाए वीडियो हैं
लड़कियों का ये रूप जरा भी अच्छा नहीं
हमारे देश की लड़कियां कितनी प्रगति कर रही हैं और कितनी स्वतंत्र और सशक्त हैं ये आप टिकटॉक पर देख सकते हैं. ये फिल्मी गानों पर जिस तरह के भाव देती हैं, अपनी फिगर दिखाती हैं, ठुमके लगाती हैं, स्वैग दिखाती हैं उससे तो जरा भी नहीं लगता कि इन लड़कियों को भारत में डरने की जरूरत है. वो अपने चेहरे को बेतहाशा खराब और बदसूरत दिखाने में भी गुरेज नहीं करतीं, क्योंकि लाइक्स का सवाल है.
चंद लाइक्स के लिए अपना मजाक भी उड़वा रहे हैं लड़कियां
लड़कियों को अपने घरवालों का डर है क्योंकि वीडियो सबसे छिपकर बाथरूम में शूट किया जा रहा है, पर दुनिया के सामने आने में उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता. फेसबुक पर एक लड़के ने कमेंट किया था कि 'लड़कियां टिकटॉक जैसे एप्प पर कुछ भी करती हैं लेकिन बाहर जब लड़के उन्हें छेड़ते हैं तो इन्हें दिक्कत होती है'
युवाओं से ये उम्मीद नहीं
ये टीनेजर्स हैं जो कहीं पढ़ भी रहे होंगे. लेकिन इनके वीडियो को देखकर इनके भविष्य की कल्पना भी की जा सकती है. अफसोस की ये बच्चे और युवा वो कर रहे हैं जिसकी इनसे उम्मीद नहीं है. इस ऐप के जरिए उन्हें ये समझ आ रहा है कि बिना मेहनत किए कैसे ठुमके लागकर, आखें मटकाकर, बॉडी दिखाकर ज्यादा से ज्यादा लाइक्स और शेयर जुटाए जाते हैं और कैसे इस तरह पैसा कमाया जा सकता है. टिकटॉक तो इसके लिए पैसा भी देता है. इसलिए अपना करियर बनाने सब यहीं ढेरा जमाए हैं. लेकिन इस तरह से भविष्य नहीं बनता.
अश्लील सामग्री की भी भरमार
अश्लील सामग्री तो इतनी है कि कहना ही क्या. लिप-सिंक्ड वीडियो और म्यूजिक वीडियो के अलावा आप यहां द्विअर्थी संवादों वाले वीडियो और अश्लील चुटकुले सुन सकते हैं. और तो और इस एप्प पर एडल्ट कंटेंट प्रसारित करने पर कोई रोक-टोक भी नहीं थी. बच्चे भी देखकर समझदार हो रहे थे. फेसबुक और यूट्यूब पर लड़कियों के वीडियो सेक्सी, हॉट, कड़क जैसे शब्द लिखकर खूब वायरल होते हैं.
इस तरह वीडियो फेसबुक पर दिखाई देते हैं
बैन एक समझदार फैसला
लेकिन कुछ समझदार लोगों ने पहली की और Tik Tok पर पोर्नोग्राफी को बढ़ावा देने के आरोप लगाए गए. मामला अदालत तक पहुंचा. मद्रास हाई कोर्ट ने कहा कि ये ऐप बच्चों पर बुरा असर डालते हुए पॉर्नोग्राफी को बढ़ावा दे रहा है और यूजर्स को यौन हिंसक बना रहा है. इसपर टिकटॉक ने करोड़ों ऐसे वीडियो डिलीट किए जो भारतीय मानकों के हिसाब से ठीक नहीं थे. लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गूगल और ऐपल ने अपने-अपने प्लेटफॉर्म से इस एप को हटा लिया है.
अगर Tik Tok को एक बीमारी कहा जाए तो इस बीमारी से दुनिया के करीब 1 अरब से ज्यादा लोग पीड़ित हैं. और भारत में Tik Tok के बीमारों की संख्या करीब 25 करोड़ है. पिछले एक साल में देश में टिक टॉक यूजर्स में 33.5 फीसदी की बढ़त देखने को मिली है. यानी बैन से इस चीनी कंपनी को घाटा जरूर होगा. बहरहाल अब ये एप गूगल और ऐपल पर दिखाई नहीं देगा. इस एप पर लगाम लगनी चाहिए थी जो लग गई. लेकिन जो लोग Tik Tok को पहले से इस्तेमाल कर रहे हैं वो करते रहेंगे. यानी जितने लोगों का सत्यानाश होना था हो चुका अब औरों का नहीं होगा. लेकिन इस बैन से ये भी साफ होता है कि जो 25 करोड़ लोग इसपर वक्त बर्बाद करते थे वो इसी तरह करते रहेंगे. और हम इसी तरह पकते रहेंगे. बेहतर ये हो कि इसपर प्रसारित होने वाले कंटेंट को फिल्टर किया जाए. और ये वीडियो सिर्फ इसी एप तक सीमित रहें, बाहर शेयर न किए जा सकें. क्योंकि टिकटॉक के वीडियो हर सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म पर शेयर होते हैं.
और हां, अंत में एक बात जरूर कहना चाहूंगी कि अगर आप सच में चाहते हैं कि आपके बच्चे इस एप से दूर रहें तो बस एक बार उनके फोन से ये ऐप डिलीट कर दें. फिर दोबारा कभी वो इसे डाउनलोड नहीं कर पाएंगे.
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