महिला मंत्री के साथ 'बदसलूकी' के मामले में पुरुष मंत्री निर्दोष भी, दोषी भी
महिला मंत्री की कमर पर त्रिपुरा के मंत्री का हाथ रखने वाला वीडियो सोशल मीडिया पर खूब शेयर किया जा रहा है. और लगता है कि लोग निष्कर्ष पर पहुंचने की जल्दबाजी कर रहे हैं. वीडियो से जुड़ी बहुत सी बातें हैं जिनपर गौर करना जरूरी है.
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एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें त्रिपुरा के एक मंत्री को मंच पर दूसरी महिला मंत्री की कमर पर हाथ रखते नजर आ रहे हैं. मंच पर प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री बिप्लब देव भी मौजूद थे. मौका था मंच पर अनावरण का जो प्रधानमंत्री के हाथों हो रहा था. लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के साथ-साथ कैमरे में राज्य मंत्री मनोज कांति देव की ये हरकत भी कैद हो गई.
मनोज कांति जिस महिला की कमर पर हाथ डालते देखे गए वो समाज कल्याण और शिक्षा मंत्री संतना चकमा हैं. विपक्ष के लिए ये घटना हाथ आए हुए मौके जैसी थी. और इसलिए मनोज कांति देव को बर्खास्त कर गिरफ्तार करने की मांग की जाने लगी.
Modi ji2,9,2019 ku tripura pucha oha Ek udgatan pe tripura ki #bjpneta ki halat dekiye #santanachakma minister social welfare bar bar inki kamar par hat dalte #manojkantideb minister of youth affairs ek minister honeki bad khud suraksit nahi@abhisar_sharma @dhruv_rathee pic.twitter.com/oc0x2F8Aj8
— Zakaria Ahmed (@zakariaahmed332) February 10, 2019
इस वीडियो को सोशल मीडिया पर खूब शेयर किया जा रहा है. और लगता है कि लोग निष्कर्ष पर पहुंचने की जल्दबाजी कर रहे हैं. वीडियो से जुड़ी बहुत सी बातें हैं जिनपर गौर करना जरूरी है.
छूना गलत था? हां
महिलाओं को इज्जत देना सामान्य शिष्टाचार होता है. ये तो बच्चे-बच्चे को समझाया जाता है. सामान्यतः कोई भी पुरुष ऐसे ही किसी महिला के कंधे या कमर पर हाथ नहीं रखता, जब तक कि वो उसका कोई अपना या दोस्त न हो. और ये तो एक सार्वजनिक मंच था जहां पर शिष्टाचार दिखाया ही जाता है. ऐसे में मंत्री जी को इस बात का ध्यान रखना चाहिए था कि वो क्या कर रहे हैं. और उनकी इस हरकत को किस तरह लिया जाएगा.
क्या नीयत गलत थी? नहीं
हालांकि महिलाओं को जब कोई छूता है तो उन्हें खुद-ब-खुद ये आभास हो जाता है कि उन्हें किस तरह और किस नीयत से छुआ गया है. महिला मंत्री संतना चकमा को मंच पर छुआ गया जो वास्तव में आपत्तिजनक लग रहा है. लेकिन इसपर उन्होंने क्या महसूस किया वो सबसे ज्यादा अहमियत रखता है. संतना का कहना है कि- 'इसके पीछे उनकी गलत नीयत नहीं थी. विपक्ष में बैठे लोग इस बात को बढ़ाकर इसपर राजनीति करना चाहते हैं'.
इस तस्वीर को देखखर ये छेड़छाड़ का मामला लगता है लेकिन ऐसा है नहीं
जबकि मनोज कांति देब ने इस मामले में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि -'मैं सिर्फ मंत्री संतना के आगे खड़ा होने की कोशिश कर रहा था, जिससे प्रधानमंत्री द्वारा हो रहे अनावरण को अच्छी तरह देख सकूं. और चूंकि वो मेरे सामने खड़ी थीं इसलिए मैं उन्हें हटाना चाहता था'. जब संतना खुद इस बात को नकार रही हैं कि उनके साथ गलत हरकतत की गई तो लोगों के आरोप की कोई कीमत रह ही नहीं जाती.
क्या मंत्री निर्दोष है? नहीं
हालांकि दोनों ही मंत्रियों के बयान से बात साफ हो जाती है कि मंत्री मनोज कांति देब ने मंत्री संतना को किसी भी गलत इरादे के साथ नहीं छुआ था, वो बस उन्हें हटा रहे थे. तो इससे मनोज कांति के चरित्र पर उठाए गले सवालों को जवाब मिल जाता है कि वो इसके दोषी नहीं हैं. लेकिन उन्हें पूरी तरह से निर्दोष तो नहीं कहा जा सकता. मंच पर प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के साथ बाकी मंत्रिगण भी मौजूद थे. मनोज कांति देव और संतना चकमा को भी राज्यमंत्री का दर्जा मिला हुआ है. और मंच के किनारे वो इसी दर्जे के हिसाब से खड़े थे. लेकिन फिर भी वो संतना के पीछे दिखाई दे रहे थे. संतना छोटे कद की हैं तो आगे खड़ी थीं. मनोज कांति लंबे हैं और संतना के पीछे खड़े होकर भी अनावरण का नजारा ले सकते थे लेकिन अनावरण के वक्त वो संतना के आगे खड़े होना चाहते थे. जिससे फ्रेम में या फिर मोदी जी की नजरों में वो नजर आएं. और इसके लिए वो एक महिला को हटा रहे थे. जबकि औहदे के हिसाब से दोनों बराबर हैं. एक महिला को कमतर समझते हुए खुद को आगे रखना उनकी गलती थी.
तो भले ही मनोज कांति छेड़छाड़ के दोषी न हों, लेकिन समानता की दृष्टि से देखें तो भेदभाव के दोषी तो वे हैं ही. खुद ही इसे स्वीकार भी कर रहे हैं.
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