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Updated: 27 सितम्बर, 2021 05:07 PM
ज्योति गुप्ता
ज्योति गुप्ता
  @jyoti.gupta.01
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हम भारतीय हैं तो फिर किसी खेल से या किसी परीक्षा के परिणाम से हम बिहारी, पंजाबी, कश्मीरी, हरियाड़वी, आसामी आदि राज्यों में क्यों बंट जाते हैं. एक तरफ तो लोग दूसरे शहर में अपनी भाषा में बात करने से कतराते हैं. दूसरी तरफ किसी छात्र या खिलाड़ी के बेहतर प्रदर्शन करने पर हल्ला बोलकर इतराते हैं.

पूछो कहां के रहने वाले तो किसी बड़े शहर का नाम ही बताते हैं जैसे गांव में रहने से शर्म आती है. नहीं हमें ना किसी राज्य से ईर्ष्या नहीं है ना ही जलन है, ना ही हमारे राज्य से किसी के टॉप करने पर हम उछलकर जुमले लिखने लगेंगे. हां हम उससे प्रेरणा जरूर ले सकते हैं.

UPSC 2020 IAS, upsc Topper, Shubham Kumar,Upsc 2020 ias topper shubham kumar, Bihar, Education, UPSC, Katihar, Bihar, upsc AIR 1, upsc storiesटॉपर शुभम हों या नीरज लोगों ने इनके बहाने राज्य का मामला गर्मा दिया

UPSC सिविल सेवा परीक्षा में प्रथम स्थान हासिल करने पर बिहार के शुभम कुमार (IAS topper Shubham Kumar) को बधाई एवं शुभकामनाएं... यह बधाई तो पूरा देश दे रहा है, लेकिन कुछ लोग बेगाने की शादी में अबदुल्लाह दिवाने जैसी हरकते कर रहे हैं. वे लिखते हैं कि हमारा लड़का टॉप किया है, जैसे उनका ही बेटा है...वही माता-पिता हो, क्यों वो भारत का बेटा नहीं है क्या?

उसे देखकर तो देश गर्व कर रहा है. सिर्फ बिहार तक उसे सीमित मत कीजिए. अपने राज्य का नाम सुनकर खुशी होती है, तो खुश हो जाइए, दूसरों को अपनी खुशियों में शामिल होने का मौका दीजिए लेकिन ऐसी भाषा का प्रयोग करेंगे तो लोग तो बिदकेंगे ही. भाई बिहार भी तो भारत में ही आता है.

किसी की जीत पर बधाई तो बनती है, हम भी मानते हैं. जश्न बनता है, तारीफ बनती है लेकिन उसे राज्य के हिसाब से बांटकर बाकी लोगों को चिढ़ाने के लिए सोशल मीडिया पर उल्टी बात क्यों लिखना? जो शब्द आपसे कोई और कहे तो आपको बुरा लग जाता है. वही बात आप खुद सोशल मीडिया पर चिल्ला-चिल्लाकर कह रहे हैं. एक बिहारी सौ पर भारी...इसका क्या मतलब है भाई?

वैसे तो कई ऐसे मामले हैं जब लोग यह भूल जाते हैं कि वो भारत के रहने वाले हैं ना कि यूपी और मुंबई के. कई मामले ऐसे भी हैं जिनमें एक राज्य के लोग दूसरे राज्य को लोगों को पसंद नहीं करते. बोले तो उनमें मौन युद्ध चलता है लेकिन जिस प्रकार हम हिंसा को बढ़ावा देने वाली बातें नहीं कह सकते उसी प्रकार हमें राज्यवार से भी बचना चाहिए. यही चलता रहा तो कुछ दिनों में शहरवार और गांववार भी होने लगेंगे.

टोक्यो ओलंपिक में भी राज्यवार को लेकर हवा चली और बातें हुईं, जबकि विदेश में खेल रहा भारत का खिलाड़ी देश के लिए खेलता है ना कि अलग-अलद राज्य के लिए.

एथलीट्स को लेकर तो पहले ही एक जाल तैयार हो गया है. उनको बांटने की कोशिश की गई. कभी पंजाब तो कभी नार्थईस्ट...जब कोई खिलाड़ी दूर विदेश में मेडल के लिए सारी ताकत लगा रहा होता या होती है तब वह अपने देश के लिए खेल रहे होते हैं अपनी जाति और राज्य के लिए नहीं. किसी खिलाड़ी को ओलंपिक में भारत (इंडिया) से पहचाना जाता है. वह अगर जीतता है तो देश जीतता है और हारता है तो देश हारता है. पंजाब, हरियाणा, आंध्र प्रदेश या आसाम के लिए नहीं.

याद करा दें कि जब देश की पुरुष और महिला भारतीय हॉकी टीम ऐतिहासिक जीत हासिल करते हुए ओलंपिक सेमीफाइनल में जगह बनाई तब पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को सिर्फ पंजाब के खिलाड़ी ही दिखे.

कैप्टन ने कहा कि भारत के लिए क्‍वार्टर फाइनल में हुए तीनों गोल पंजाब के खिलाड़ियों दिलप्रीत सिंह, गुरजंत सिंह और हार्दिक सिंह ने किए हैं. इसके बाद जैसे ही महिला हॉकी टीम ने जीत हासिल की तो इन्होंने अपने ट्वीट में अमृतसर की गुरजीत कौर का खास नाम लेते हुए कहा कि इन्होंने ही वो इकलौता गोल किया है, जिससे भारत जीता है. क्या ऐसे बांटने से जीतेगा इंडिया?

वैसे तो चुनाव में जातिय जनगणना को लेकर सियासत तेज है, क्योंकि सब मामला वोट ठगिंग एंड टेकिंग का है लेकिन अब राष्ट्रीय स्तर पर होनी वाली परीक्षा के परिणाम भी इससे अछूते नहीं है.

उदाहरण के तौर पर टोक्यो 32 वें ओलंपिक खेलों में भारत के लिए गोल्ड जीतने वाले खिलाड़ी नीरज चोपड़ा को ही ले लीजिए. जैवलिन थ्रो (भाला फेंक) में देश के लिए स्वर्ण पदक जीता लेकिन लोग लगे उनसे राज्य कनेक्शन निकालने. किसी ने हरियाणा से कनेक्शऩ निकाला तो किसी ने यूपी से तो किसी ने मराठा से. जबकि वे आज पूरे भारत के युवाओं के आदर्श हैं ना कि उनका असर किसी एक राज्य तक सीमित है. विदेश में उन्होंने भारत का तिरंगा लहराया था. 

ऐसे कैसे कोई गोल्ड मेडल लाया तो हरियाणवी हो गया किसी ने यूपीएससी टॉप किया तो बिहारी हो गया...फिर यही लोग कहते हैं कि हमसे भेदभाव होता है. हम तो भारतीय है ना? अपने देश का नाम रोशन हो, बच्चों का भविष्य बेहतर हो चाहें वो किसी भी राज्य के हों, हमें खुशी होगी क्योंकि हमसे ही देश है...

लेखक

ज्योति गुप्ता ज्योति गुप्ता @jyoti.gupta.01

लेखक इंडिया टुडे डि़जिटल में पत्रकार हैं. जिन्हें महिला और सामाजिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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