उत्तराखंड बाढ़ में बच्चों के बह जाने से गमगीन डॉगी का मातम इंसानों से कम नहीं
Uttarakhand disaster में अपने बच्चों को खो चुकी यह फीमेल डॉग रेस्क्यू टीम (Rescue Team) को देखती रहती है. वहां जम चुके मलबे में (Uttarakhand flood) बच्चों की स्मेल सूंघती है और वहीं बैठी रहती है.
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उत्तराखंड हादसे (Uttarakhand disaster) को लगभग एक हफ्ता हो गया लेकिन जो वहां खो गए उनकी तलाश जारी है. जिन लोगों ने अपनों को खोया है वे रोज इस आस में रहते हैं कि काश आखिरी बार उन्हें देख लें. उम्मीद भरी आंखें उदासी में बदलती हैं लेकिन हिम्मत है कि हार ही नहीं मानती. ऐसी ही एक मां है जो डॉगी है, लेकिन मां तो आखिर मां होती है चाहे वह जानवर हो या इंसान. यह डॉगी बच्चों को पाने की आस लिए रोज रेस्क्यू साइट पर आती है.
चमोली में आई बाढ़ (Flood In Chamoli) ने कितने लोगों को उनके अपनों से हमेशा के लिए दूर कर दिया. इसका अंदाजा हम और आप नहीं लगा सकते. जिन लोगों ने अपनों को इस तरह खोया है सिर्फ वही इस तकलीफ को समझ सकते हैं.
अब तक 50 लोगों के मौत की पुष्टि हो चुकी है. रेस्क्यू टीम लगातार अपना काम कर रही है, कई लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला जा सका है, लेकिन अब कई सिर्फ शव के रूप में बाहर निकल रहे हैं. रविवार को भी 12 शवों को बाहर निकाला गया. चमोली के तपोवन टलन में कई मजदूर काम कर रहे थे, हादसे के समय भी वे काम में ही जुटे थे. जिनमें से ज्यादातर शायद जीवित नहीं बचे, वैसे भी मजदूरों के जीवन की क्या कीमत होती है हम सभी को पता है.
बच्चों की तलाश में एक मां की निगाहेंउत्तराखंड के चमोली में आई बाढ़ ने भले सब कुछ तबाह कर दिया हो लेकिन एक मां की आस बाकी है. वह मां इसी उम्मीद पर जिंदा है कि एक दिन उसके बच्चे वापस मिल जाएंगे. जो बाढ़ में बह गए थे. यह मां एक फीमेल डॉग है जो रोज अपने बच्चों को ढूंढने के लिए आती है.
वहां मौजूद स्थानीय और रेस्क्यू टीम के लोगों ने बताया कि जब से बाढ़ आई है यह रोज यहां आती है. खाने को कुछ दो तो मुंह फेर लेती है. इस तरह यह सच्ची घटना ने सभी को हैरत में डाल दिया है. यह डॉगी बस रोती रहती है और इधर-उधर जाकर अपने बच्चों को खोजती रहती है. लगभग सात दिन से यह रोज अपने बच्चों की तलाश कर रही है. कई बार इसके रोने की तेज आवाज आती है.
वहीं राहत-बचाव में जुटे कर्मियों के अनुसार, जिस दिन यह आपदा हुआ उसी दिन से यह फीमेल डॉग रैंणी गांव में ऋषि गंगा बिजली परियोजना के पास इंतजार करती रहती है. गांव वालों ने बताया कि तीन-चार बच्चे थे जो सात फरवरी को ऊपर से पानी के साथ बह गए. यह रोज उस पानी की तरफ देखती रहती है. बेजुबान है बोल तो नहीं सकती लेकिन मां की ममता के आगे मजबूर है.
इसके पहले भी एक कुत्ते की कहानी ने सभी को भावुक कर दिया था जो बाढ़ में बहे अपने मालिक का इंतजार करता है. रेस्क्यू टीम के बार-बार भगाने के बाद भी वह वहां आ जाता है और अपने मालिक की गंध सूंघने की कोशिश करता है. ऐसे ही यह फीमेल डॉग रेस्क्यू टीम को देखती रहती है. वहां जम चुके मलबे में अपने बच्चों की स्मेल सूंघती है और वहीं बैठी रहती है.
यहां तक की, शाम होने के बाद रेस्क्यू टीम रूक जाती है लेकिन वह मां कहीं नहीं जाती, वहीं बैठी रहती है. आपको क्या लगता है क्या इस बेजुबान का दर्द क्या इंसानों के दर्द से कम है. जहां अभी भी करीब दो सौ लोग लापता हैं वहां इस मां के बच्चों के मिलने की उम्मीद का क्या ही कहें!
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