पति की मौत से पहले मातृत्व सुख पाने के लिए महिला की जद्दोजहद
गुजरात के वडोदरा में एक पत्नी ने कोरोना संक्रमित पति की मौत के पहले उसके स्पर्म कलेक्शन के लिए कोर्ट में गुहार लगाई ताकि वह अपने प्यार की निशानी के रूप में उसके बच्चे की मां बन सके.
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कोरोना संक्रमण ने लाखों लोगों के घर की खुशियां छीन ली. कोरोना का कहर ऐसा बरपा कि कितने आंगन सूने पड़ गए. कोरोना काल की ऐसी ना जाने कितनी की सच्ची कहानियां हमने पढ़ी और जानी. ऐसी ही एक मार्मिक घटना गुजरात के वडोदरा की है, जो दिल को कचोट लेती है.
असल में एक पत्नी ने कोरोना संक्रमित पति की मौत के पहले उसके स्पर्म कलेक्शन के लिए कोर्ट में गुहार लगाई ताकि वह अपने प्यार की निशानी के रूप में पति के बच्चे की मां बन सके.
बच्चे के रूप में पति की निशानी को जन्म देना चाहती है पत्नी
दरअसल, कोरोना वायरस से संक्रमित 32 साल के व्यक्ति को वडोदरा के स्टर्लिंग अस्पताल में जीवन रक्षक प्रणाली पर रखा गया था. उसके कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया थी. डॉक्टरों ने परिजनों को बताया कि अब वह सिर्फ कुछ ही दिनों का मेहमान है. इस बात की जानकारी जब पत्नी को लगी तो उसके पैरों तले जमीन खिसक गई. उसके कितने सपने और कितने अरमान अचानक धुंधले दिखने लगे.
इसके बाद महिला ने गुजरात हाईकोर्ट से गुजारिश करते हुए कहा था, 'मेरे पति मृत्यु शैया पर हैं. मैं उनके स्पर्म से मातृत्व सुख हासिल करना चाहती हूं, लेकिन कानून इसकी इजाजत नहीं देता. हमारे प्यार की अंतिम निशानी के रूप में मुझे पति के अंश के रूप में उनका स्पर्म दिलवाने की कृपा करें. डॉक्टरों का कहना है कि मेरे पति के पास बहुत ही कम वक्त है, वे वेंटिलेटर पर हैं.'
जब हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई तो सभी थोड़ी देर के लिए अचंभित हो गए लेकिन एक पत्नी के मन में अपने पति के प्रति बसे इस अमूल्य प्रेम का सम्मान करते हुए हुए कोर्ट ने महिला को स्पर्म लेने की मंजूरी दे दी.
महिला ने बताया कि मैं और मेरे पति 4 साल पहले एक-दूसरे से मिले थे. इसके बाद हमने अक्टूबर 2020 में वहीं शादी के बंधन में बंध गए थे. शादी के 4 महीने बाद हमें पता चला कि भारत में रहने वाले मेरे ससुर को हॉर्ट अटैक आया है. इसके बाद मैं और मेरे पति 2021 में भारत लौटे ताकि ससुर की सेवा कर सकें. हम उनकी देखभाल तो करने लगे लेकिन इसी बीच मेरे पति को कोरोना हो गया.
उनका इलाज चला लेकिन खराब सेहत के कारण उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा. उनका संक्रमण बढ़ता गया और अंत में उनके फेफड़ों ने काम करना बंद कर दिया. मेरे पति दो महीने से वेंटिलेटर पर जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष करते रहे. आखिरकार डॉक्टरों ने जवाब दे दिया यह कहते हुए कि ये ज्यादा से ज्यादा तीन दिन तक जीवित रहेंगे.
मैंने डॉक्टर से कहा कि मैं अपने पति के अंश से मां बनना चाहती हूं. डॉक्टरों ने हमारे प्रेम को समझा लेकिन कहा कि मेडिकल लीगल एक्ट के अनुसार पति की मंजूरी के बिना स्पर्म सैंपल नहीं लिया जा सकता. मेरे पति के पास सिर्फ दो दिन का समय बचा था, मैंने सास-ससुर के साथ मिलकर गुजरात हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. कोर्ट की इजाजत के बाद पति का का स्पर्म लिया गया.
भले ही उस शख्स ने हमेशा के लिए इस दुनिया को अलविदा कह दिया लेकिन उसके पति की निशानी उसकी एक उम्मीद बनकर बाकी है. किसी के ना रहते हुए उसे प्यार करना शायद सबसे कठोर एहसास है. यह एक पीड़ा है जिसके दर्द का इलाज शायद नहीं बना...
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