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Updated: 07 फरवरी, 2021 04:00 PM
प्रीति 'अज्ञात'
प्रीति 'अज्ञात'
  @preetiagyaatj
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आज रोज डे (Rose Day) है, वैलेंटाइन वीक (Valentine week 2021) का पहला दिन. कई लोग हैं जो आज से प्रेम (Love) की जड़ों में मट्ठा डालने बैठ गए होंगे. दुनिया की रीत यही है कि किसी को चैन से जीने नहीं देना है और प्रेमी (Lover) तो बर्दाश्त ही नहीं होते. प्रेम को मिटाने की कोशिश में समाज अपनों को मिटाने से भी नहीं चूकता. हवाला, इज़्ज़त का दे दिया जाता है. कुल मिलाकर दुनिया तो कांटे ही चुभोने बैठी है.

पर ज़नाब! गुलाब को खिलने से भला कौन रोक पाया है. मोहब्बत को इस फ़ूल से जोड़ने का कारण यूँ ही नहीं तय कर लिया होगा! वो इश्क़ का मारा कोई पगला प्रेमी ही होगा या कोई दीवानी प्रेमिका ही रही होगी. इन दोनों ने जमाने भर से लड़, तमाम शारीरिक और मानसिक पीड़ाओं से गुजरते हुए ही एक-दूसरे को पाया होगा. उन्हें पता है प्रेम की शुरुआत जितनी नरम, मुलायम अहसासों से भरी होती है, उसकी राहों पर चलना दिनों-दिन उतना ही दुष्कर होता जाता है. ये प्रेम ही है जो तमाम दुश्वारियों को रौंदते हुए अपने साथी का हाथ थामे, आगे चलने का हौसला देता है. कँटीली डालियों के बीच पनपता ये कोमल अहसास सुर्ख़ गुलाब सी महकती सुगंध ही देता है और अपने कोमल, मखमली रूप को भी बचाए रखता है. काँटों की हिम्मत नहीं होती जो गुलाब को छू भी सकें. 

Valentine week, Valentine week 2021, Valentine Day, Rose Day, happy rose day wishes, happy rose day quotes, Love, Lover, Festival Lover, propose day 2021    आप 'Valentine-week' से चिढ़ सकते हैं लेकिन गुलाब को खिलने से कौन रोक पाया है!

सोचिए, कितना भरोसा होता है प्रेमियों को एक-दूसरे पर, जो इसकी ख़ातिर जमाने भर की दुश्मनी भी मोल ले लिया करते हैं. सोचिए, कैसे होते हैं वो लोग! जो प्रेम की राह में काँटे बिछा दिया करते हैं. प्रेमियों को ताने देते हैं और अपने मन का सारा ज़हर उनके जीवन में भर देते हैं. यह भी सोचिये, कि कैसे होते हैं वे प्रेमी जो एक-दूसरे पर अथाह विश्वास करते हैं. फिर विचार कीजिए कि प्रेम से जीना अच्छा है या दिल में किसी के प्रति नफ़रत भरकर? 

अरे! चैन से जीने दीजिए प्रेमियों को. सच्चे प्रेमी चाहे जो करें पर किसी का नुक़सान कभी नहीं कर सकते! इनके पास वक़्त ही नहीं होता किसी की बुराई का. किसी को दर्द देने की तो ये सोच भी नहीं सकते. ये तो स्वयं ही एक-दूसरे का मरहम बनते हैं. इनसे चिढ़ने या ईर्ष्या करने की बजाय कभी किसी रोज इन्हें ध्यान से देखिए, इनकी आँखों में झांकिए, इनके चेहरे को पढ़िए. हर जगह बस एक ही नाम दिखाई देगा, मोहब्बत, मोहब्बत, मोहब्बत!

आप 'वैलेंटाइन-वीक' से चिढ़ सकते हैं, इसे अपनी संस्कृति का विरोधी भी कह सकते हैं. लेकिन जरा ग़ौर से देखिए और समझिए कि कोई भी संस्कृति 'प्रेम' की विरोधी हो ही नहीं सकती. एक सप्ताह ही क्यों, हमें तो 'वैलेंटाइन ईयर' मनाना चाहिए. नफ़रतों, लड़ाई-झगडे, मार-काट, ईर्ष्या और मालिक बने रहने की होड़ से भरी इस दुनिया में मोहब्बत की कमी सबसे ज्यादा है. किसी त्योहार की तरह जिया जाना चाहिए मोहब्बत को या यूं कहूं कि मोहब्बत में हर दिन त्योहार सरीखा स्वतः ही हो जाता है.

लेखक

प्रीति 'अज्ञात' प्रीति 'अज्ञात' @preetiagyaatj

लेखिका समसामयिक विषयों पर टिप्‍पणी करती हैं. उनकी दो किताबें 'मध्यांतर' और 'दोपहर की धूप में' प्रकाशित हो चुकी हैं.

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