फूहड़ता डांस में नहीं, लोगों के दिमाग में है!
हमारे समाज में पुरुष भले ही नागिन डांस करते करते किसी नाली में पड़े नजर आएं, लेकिन साड़ी पहने और लंबे घूंघट वाली महिलाओं से खुलकर डांस करने की उम्मीद नहीं की जाती.
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साड़ी पहने, घूंघट काढ़े, सजी धजी महिला में किसी को भी एक नई नवेली दुल्हन ही नजर आती है. उससे शर्म और लिहाज की अथाह उम्मीदें पाली जाती हैं, जाहिर है नई बहू को सब ऐसे ही रूप में देखना चाहते हैं. लेकिन अगर वो महिला इसी शर्म और लिहाज वाले रूप में खुद को व्यक्त करने की कोशिश करती है तो, हांगामा मच जाता है, और वीडियो वायरल हो जाते हैं...
सोशल मीडिया पर वायरल हैं ऐसे डांस वीडियो
मैं बात कर रही हूं उन वीडियो की जो आए दिन सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं. जिन्हें नई नवेली दुल्हन का धमाकेदार डांस, या फिर भाभी जी के जोरदार ठुमकों के नाम से खूब देखा जा रहा है. असल में इन सभी वीडियो में डांस कर रही महिलाओं ने चेहरे को पूरी तरह घूंघट में छिपाया हुआ है और बड़े ही कायदे से साड़ी भी बांध रखी है. ये भले ही नई नवेली दुल्हन न हों, लेकिन चूंकि घूंघट है, इसलिए उन्हें दुल्हन कहा जा रहा है. (क्या करें, हमारा समाज ऐसे ही सोचता है). लेकिन जो बात इन वीडियो को वायरल कर रही है वो है इनका डांस. कोई ऐसा वैसा डांस नहीं बल्कि इसे आप बहुत अच्छा डांस कह सकते हैं.
देखिए वीडियो-
लोग चटकारे ले लेकर इन महिलाओं के डांस मूव्स के मजे ले रहे हैं, सोशल मीडिया पर जबरदस्त तरीके से शेयर कर रहे हैं और उनपर अपने कीमती कमेंट्स भी दे रहे हैं. ये तो रही पुरुषों की बात, क्योंकि वो तो ये करके ही असीम आनंद की प्रप्ति कर ले रहे हैं, पर महिलाएं भी कम नहीं हैं. इन वीडियो पर महिलाएं भी लिहाज और शर्म का पाठ पढ़ाती नजर आ रही हैं और अपने कमेंट्स के जरिए दबी हुई खुन्नस निकालती दिख रही हैं.
फूहड़ता डांस में नहीं, दिमाग में है-
हमारे समाज में पुरुष भले ही नागिन डांस करते करते किसी नाली में पड़े नजर आएं, लेकिन साड़ी पहने और लंबे घूंघट वाली महिलाओं से खुलकर डांस करने की उम्मीद नहीं की जाती. समाज को ये बर्दाश्त कहां कि एक महिला शादी के बाद, साड़ी पहनकर, घूंघट में रहकर नाच ले. और वो भी ऐसा नाच जो सबके होश उड़ाकर रख दे. महिलाएं इसे फूहड़ता का नाम दे रही हैं. अब देखने भालने से तो ये महिलाएं कहीं से फूहड़ नजर नहीं आतीं, बल्कि समाज के बनाए कायदों को ही निभा रही हैं, मजाल है कि घूंघट हटाने की कोशिश भी कर रही हों. फिर भी कुछ महिलाओं का कहना है कि ऐसे वाहियात डांस पर घूंघट का नाटक क्यों?
अब कोई ये पूछे कि उसने घूंघट अपनी मर्जी से काढ़ा या फिर सिर्फ इसलिए कि वो बहू है. आखिर उसके लिए ये नियम और कायदे इसी समाज ने बनाए हैं. पर अगर वो अपनी खुशी से या फिर किसी के जोर देने से, डांस कर रही है, अपने दिल में दबे हुनर को जी रही है तो किसी को बर्दाश्त नहीं हो रहा. अरे हद तो तब है कि इस तरह डांस करने को कुछ लोग मर्दाना मान रहे हैं, कुछ उसे महिला मान ही नहीं रहे. क्या ये बाते फूहड़ नहीं जो एक महिला के लिए कही जा रही हैं?
अभी अगर यही महिला वेस्टर्न कपड़े पहनकर इसी डांस को किसी डांस रिएलिटी शो पर करे, तो वो फूहड़ नहीं लगेगा, वो मर्दाना भी नहीं लगेगा, उसमें लोगों को डांस फॉर्म नजर आएगी. पर साड़ी और घूंघट में डांस करने के मायने ही बदल देता है समाज. कुछ का कहना है कि साड़ी पहनी थी तो वैसा ही नाचना था. मतलब साड़ी पहनी हो तो केवल शास्त्रीय नृत्य ही किया जाए, बाकी सब फूहड़ लगेगा. यानी अगर गीता फोगट साड़ी पहनकर कुश्ती खेलने लग जाएं तो क्या उन्हें भी ये समाज फूहड़ ही कहेगा?
दिल खोलकर नाचने में खुशी ही मिलती है
मुझे तो इस डांस में जरा भी अश्लीलता नजर नहीं आतीं. और न ही यह महिलाएं अश्लीलता फैलाने के लिये जिम्मेदार हैं. बल्कि इन्होंने तो समाज की उस मानसिकता को सरे आम बेनकाब किया है जो घूंघट की दुहाई तो देती है लेकिन खुद फूहड़ता, अश्लीलता और बेहूदगी देखना चाहती है, भाभी भाभी कहकर अपने मन की कुंठाएं शांत करना चाहती है.
आज बात बराबरी की होती है. समाज में रहने वाला हर व्यक्ति, चाहे वो स्त्री हो या पुरुष उसे खुश रहने और खुलकर जीने का पूरा अधिकार है, फिर सामाजिक बंदिशें महिलाओं के लिए ही क्यों. इस वीडियो को देखिए और फर्क खुद महसूस कीजिए कि हमारा समाज किस तरह सोचता है.
इसलिए सोच बदलिए, अगर इन रूढ़ियों को ऐसे ही सहेजकर रखना है तो फिर ऐसे वीडियो रोज वायरल होंगे, रोज किसी के घर की बेटी और बहू का इसी तरह मजाक बनाया जाता रहेगा.
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