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Updated: 08 जनवरी, 2018 05:16 PM
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अभी पठानकोट हमले को बहुत ज्यादा समय नहीं बीता कि लोग वापस आर्मी की यूनिफॉर्म बेचने लगे. अपनी रोज़ी-रोटी कमाने के लिए राजस्थान बॉर्डर के पास वाले इलाकों में भारतीय सेना की यूनिफॉर्म 500 से 1000 रुपए के बीच मिल रही है. ये तब है जब 2016 पठानकोट हमले के बाद सेना की तरफ से ये साफ कर दिया गया था कि आर्मी यूनिफॉर्म और ऐसा कुछ भी इस्तेमाल करना गैरकानूनी होगा.

ताक पर रखा गया कानून...

दुकानदार बिना किसी नियम को जाने या सोचे-समझे इस तरह से दुकान के बाहर आर्मी यूनिफॉर्म टांगते हैं. सिर्फ पोशाक ही नहीं बल्कि जूते, बेल्ट, गद्दा आदि सब कुछ इन दुकानों पर मिल रहा है.

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दुकान वालों को ये भी नहीं पता कि जो खरीददार उनके पास आ रहा है उसकी आईडी क्या है. जी न्यूज की एक रिपोर्ट के मुताबिक बेड रोल और वो साइन जो आर्मी इस्तेमाल करती है वो भी बेचे जा रहे हैं. सिर्फ इंडियन आर्मी की ही नहीं एयरफोर्स की यूनिफॉर्म भी इसी तरह कम दामों में बेची जा रही है.

पठानकोट अटैक जैसा हमला हो सकता है दोबारा...

2016 में पठानकोट में आतंकी हमला जो एयरफोर्स स्टेशन पर हुआ था वो इसी तरह से हुआ था. चार आतंकी सेना के जवान बनकर एयरफोर्स स्टेशन में घुसे थे. 2 जनवरी 2016 को हुए इस हमले में दो सैनिक शहीद हो गए थे. 17 घंटे तक मुठभेड़ चली थी. जिस हिसाब से आर्मी यूनिफॉर्म बेची जा रही है उससे तो लगता है कि ऐसा हमला दोबारा बहुत आसानी से हो सकता है.

पंजाब सरकार ने 2016 में ही आर्मी यूनिफॉर्म और आर्मी द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला कोई भी सामान बेचने पर बैन लगा दिया था. इतना ही नहीं 2016 में हमले के बाद सेना ने खुद ये बात स्पष्ट की थी कि सेना द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला सामान सिविलियन न खरीदें. उसे इस्तेमाल करना कानूनी नहीं है.

सिर्फ पठानकोट में ही नहीं गुरदासपुर में भी आतंकियों ने सेना के जवान बनकर ही हमला किया था. सिर्फ सिविलियन ही नहीं बल्कि सुरक्षा एजेंसियों के जवानों से भी सेना ने ये अपील की थी कि वो इस तरह के कपड़े या सामान का इस्तेमाल न करें.

गैरकानूनी नहीं बेचना लेकिन...

सेना के द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले सामान को बेचना पूरी तरह से गैरकानूनी नहीं है, लेकिन इसके लिए खास पर्मिट लेना होता है. साथ ही जो इंसान ये यूनिफॉर्म खरीद रहा है उसका फोटो आईडी दुकानदार को अपने पास रखना होता है साथ ही इसे सामान बेचने वाले दिन से लेकर अपने रिकॉर्ड में हमेशा के लिए मेंटेन भी करना होता है. यानि चाहें कोई भी किसी भी वक्त इस तरह की यूनिफॉर्म खरीदे. दुकानदार को अपने पास उसका रिकॉर्ड हमेशा रखना होगा.

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ये सब तो ठीक है, लेकिन कितनी बातें मानी जा रही हैं? दुकानदार छोड़िए घर बैठे आर्मी प्रिंट की टीशर्ट मंगवाई जा सकती है. फैशन ने इस प्रिंट को इतना आम कर दिया है कि लोग अब टीशर्ट, जूते, कार्गो पैंट, जैकेट यहां तक की पूरी आर्मी यूनिफॉर्म भी आसानी से खरीद सकते हैं. अपने लिए कस्टमाइज बनवा भी सकते हैं.

पर क्या ये सही है?

इसे सही तो बिलकुल नहीं कहा जा सकता. भारत में आर्मी प्रिंट का बढ़ता ट्रेंड एक नए खतरे को जन्म दे रहा है. खतरा देश की सुरक्षा का. खुद ही सोचिए अगर किसी आतंकी के हाथ सेना की यूनिफॉर्म लगती है तो पठानकोट जैसा हमला कितनी आसानी से दोबारा हो सकता है.

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