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Updated: 27 अक्टूबर, 2017 02:38 PM
श्रुति दीक्षित
श्रुति दीक्षित
  @shruti.dixit.31
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देश और दुनिया में अभी भी 80% लोग ऐसे हैं जो दिमागी बीमारियों को एक ही नाम से जानते हैं- पागलपन. ये पागलपन की परिभाषा कोई नहीं जानता है. कोई भी बेवकूफाना हरकत की या फिर अपनी राय ही लोगों के सामने रख दी तो यही कहा जाता है कि 'पागल है क्या?'... दिमागी बीमारियां हमेशा पागलपन ही नहीं होती. डिप्रेशन से लेकर हाइपर टेंशन तक सब दिमागी बीमारी में आ जाता है, लेकिन लोगों को कौन समझाए. ये तो आम बात है, लेकिन कुछ ऐसी दिमागी बीमारियां भी हैं जिनके बारे में आम लोगों को नहीं पता होता और अगर इस तरह का कोई मरीज सामने आ जाए तो उसे समाज का तिरस्कार सहना पड़ता है.

1. चलती फिरती लाश (Walking Corpse Syndrome)

इसका नाम सुनकर भले ही आपको कुछ अजीब लग रहा हो, लेकिन ये असल में एक बीमारी है. इस बीमारी का मरीज खुद को मुर्दा समझ बैठता है. उसके दिमाग में ये बात घर कर जाती है कि वो एक लाश है. इसे डिप्रेशन से जोड़कर या नींद की कमी और ड्रग ओवरडोज से जोड़कर देखा जाता है, लेकिन अभी तक कोई ठोस वजह नहीं मिली है इसके लक्षण समझाने वाली.

मेंटल डिसऑर्डर

इस बीमारी का मरीज ये मान लेता है कि वो है ही नहीं.

2. तुम कोई और हो (Capgras Syndrome)

इस बीमारी को दिमागी गड़बड़ी से जोड़कर भी देखा जाता है. ये किसी फिल्मी सीन में याददाश्त खो जाने जैसा नहीं है कि अपने परिवार को ही न पहचान पाए. इस बीमारी में तो मरीज को ये यकीन हो जाता है कि उसके आस-पास का कोई व्यक्ति बदल गया है और उसके भेस में कोई बहरूपिया है. ऐसा भी लग सकता है कि किसी लड़की के भेस में लड़का छुपा हुआ है.

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दिमाग में चेहरा और आवाज पहचानने वाले हिस्से और इमोशन पहचानने वाले हिस्से में तालमेल नहीं रह जाता और यही कारण है कि मरीज को लगता है कि उसके किसी अपने की जगह किसी बहरूपिए ने ले ली है.

3. एलिस इन द वंडरलैंड सिंड्रोम (Alice In Wonderland Syndrome)

अगर आपने एलिस इन द वंडरलैंड फिल्म नहीं देखी है तो आपको बता दूं कि इस फिल्म में आम चीजें या तो बहुत बड़ी हैं या फिर बहुत छोटी. ये एक वीजुअल न्यूरोलॉजी बीमारी है जिसमें मरीज किसी चीज को बहुत छोटा देखता है. जैसे किसी दूरबीन के गलत हिस्से से देख रहा हो.

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इस बीमारी में ऐसा भी होता है कि मरीज को लगे जैसे कोई पास रखी चीज भी बहुत दूर रखी हो. ये बीमारी आंखों की नहीं है बल्कि ये बीमारी तो दिमाग में गलत सिग्नल पहुंचने से होती है. इसमें मरीज के बाकी सेंस जैसे सुनने और छूने की शक्ति पर भी असर पड़ता है.

4. अपने ही शरीर को खाना (Self-Cannibalism)

इस बात से तो कोई अंजान नहीं है कि दुनिया में आदमखोर लोग भी हैं. कई बार ऐसे लोगों के पास से लाशें मिली हैं. कुछ ऐसी ही बीमारी है Lesch-Nyhan Syndrome इस बीमारी में लोग किसी और के शरीर को नहीं बल्कि अपने ही शरीर को खाता है. इस बीमारी में मरीज के शरीर में इतना यूरिक एसिड बनता है कि उसके जोड़, मांसपेशियां और दिमाग पर असर होने लगता है.

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इससे मरीज हमेशा होठ या उंगलियां काटता रहता है. कुछ-कुछ केस में तो इंसान पर इस बीमारी का इतना असर होता है कि उसके दांत ही हटाने पड़ते हैं ताकि वो अपने शरीर को और ज्यादा नुकसान न पहुंचाए.

5. प्यार करेंगे हद तक ( Erotomania)

इरोटोमेनिया एक ऐसी बीमारी है जिसमें मरीज को ये यकीन हो जाता है कि कोई सिलेब्रिटी उससे बहुत प्यार करता है और मीडिया, सोशल स्टेटस, टेलिपैथी या किसी अन्य तरीके से उसे मैसेज भेजने की कोशिश कर रहा है.

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मरीज प्यार में इतना पागल हो जाता है कि वो किसी भी तरह से उस सिलेब्रिटी का साथ पाने की कोशिश करता है. इसे ऑब्सेसिव लव या फैन फॉलोविंग से जोड़कर न देखें ये बीमारी हकीकत में इतनी खतरनाक होती है कि लोग सुसाइड तक कर लेते हैं, इतना ही नहीं अगर सिलेब्रिटी ने मना कर दिया तो भी मरीज को लगता है कि ये सच नहीं है और धोखे वाले प्यार के चक्कर में वो पड़ा रहता है.

6. इंसान एक जानवर है (Lycanthropy)

इंसान की कई मुहावरों में जानवर से तुलना की गई है. इस बीमारी में मरीज खुद को वाकई एक जानवर समझने लगता है. इसे सेल्फ आइडेंटिटी डिसऑर्डर भी कहा जाता है. इसमें भी कई तरह की बीमारियां देखी गई हैं जैसे बोनथ्रोपी (Boanthropy) जिसमें पेशंट को लगता है कि वो या तो गाय या बैल है. उसे पूरे समय घास खाते और चबाते हुए देखा जा सकता है.

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वैज्ञानिकों का मानना है कि ये बीमारी पहले सपनों से शुरू होती है.

7. ये हाथ मेरा नहीं (Alien Hand Syndrome)

ये किसी साइंस फिक्शन फिल्म का हिस्सा नहीं है बल्कि एक बहुत ही खतरनाक बीमारी है. इस बीमारी में दिमाग के लेफ्ट और राइट पार्ट में सिग्नल ठीक से नहीं पहुंच पाते हैं और इसके कारण ही मरीज का एक हाथ अपने आप काम करने लगता है और उसे दिमाग सिग्नल नहीं भेजता है. इसका मतलब ये है कि हाथ में अपनी अलग मर्जी आ जाती है. वो बिना ऑर्डर किए किसी को छू सकता है, कोई चीज गिरा सकता है, आपका काम बिगाड़ सकता है, किसी को छेड़ सकता है या किसी का खून भी कर सकता है और मरीज उसे रोक नहीं पाता.

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एक पेशंट कैरेन ब्रायन के मुताबिक उसका एक हाथ सिगरेट जलाता था तो दूसरा अपने आप उसे बंद कर देता था, एक हाथ टेलिफोन मिलाता था तो दूसरा अपने आप उसे काट देता था, एक हाथ कॉफी बनाता था तो दूसरा अपने आप उसे फेक देता था.

8. फैसला न ले पाना (Aboulomania)

ये प्यार का या करियर का फैसला नहीं, न ही फूल की पंखुड़ियां तोड़ने जैसा आसान काम है. इस फैसला न ले पाने वाली बीमारी में मरीज को रोजमर्रा के काम करने में भी दिक्कत होती है जैसे खाना खाया जाए या नहीं, पानी पिया जाए या नहीं, ग्लास उठाया जाए या नहीं, ब्रश किया जाए या नहीं... ये बीमारी इतनी खतरनाक साबित हो सकती है कि उठकर चलने के लिए भी इंसान को किसी और से सलाह लेनी पड़े या फिर सोने के लिए भी किसी सलाहकार से पूछना पड़े.

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9. बोल न हल्के हल्के (Foreign Accent Syndrome)

बड़ी ही रोचक और अजीब बीमारी है ये फॉरेन एक्सेंट सिंड्रोम. जरा सोचिए कोई हिंदुस्तानी अचानक सोकर उठे और ऑस्ट्रेलियन इंग्लिश बोलने लगे. कुछ ऐसा ही हुआ ब्रिटिश महिला सारा कोलविल के साथ. एक सर्जरी के बाद अचानक एक दिन वो चीनी एक्सेंज में बात करने लगी. ये बहुत अजीब बीमारी है और अभी तक सिर्फ कुछ मरीज ही मिले हैं इसके.

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10. ये क्या हो रहा है (Genital Retraction Syndrome)

इस बीमारी में लोगों को लगता है कि उनके गुप्तांग सिकुड़ रहे हैं और एक दिन गायब हो जाएंगे. इसके बाद वो मर जाएंगे. ऐसी बीमारी के सबसे ज्यादा मरीज साउथ ईस्ट एशिया में पाए गए हैं.

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लेखक

श्रुति दीक्षित श्रुति दीक्षित @shruti.dixit.31

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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