अधूरे बच्चों की जिंदगी को आखिरी अंजाम तक पहुंचाने वाली वो औरतें !
जन्म और मृत्यु के बीच का सबसे करीबी फासला यही होगा. किसी अधूरे नवजात की जिंदगी को आखिरी अंजाम तक पहुंचाने महिलाओं के मनोभाव काे समझने का प्रयास है यह स्टोरी.
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एक अबॉर्शन किसी की जिंदगी पर क्या असर डालता है? बच्चा नहीं चाहिए तो अबॉर्शन करवा लो और छुट्टी पाओ. बच्चे की मां के ऊपर तो ये गहरा असर डालता है, लेकिन कभी किसी ने ये जानने की कोशिश की है कि बच्चे का क्या होता है?
कुछ अमेरिकी नर्सों ने अपने अनुभव से बताया है कि कई बार बच्चे जिंदा पैदा हो जाते हैं. आधे विकसित हुए बच्चे इतनी दयनीय स्थिती में होते हैं कि इंसानियत को भी शर्म आ जाए.
उस दिन मेरे काम पर शर्म आने लगी....
फ्लॉरिडा के जैकसनविले की एक नर्स कैथलीन मैलॉय ने भी ऐसे ही एक वाक्ये के बारे में बताया. वो कहती हैं कि रात 11 से सुबह 7 बजे की शिफ्ट में काम करते हुए मेरी नजर नर्सरी के बाहर रखे एक पालने पर पड़ी. उसमें एक बच्ची रो रही थी. पूरी तरह विकसित बच्ची, अकेली पड़ी रो रही थी. वो बच्ची बाकी बच्चों से अलग थी. लग रहा था कि जैसे वो बच्ची झुलस गई हो. वो बच्ची सैलाइन अबॉर्शन से हुई बच्ची थी.
सैलाइन अबॉर्शन में गर्भ में इंजेक्शन की मदद से एक लिक्विड डाला जाता है जो बच्चे को मारता है. इस प्रक्रिया में बच्चे के फेफड़े और खाल जल जाती है और वो मर जाता है और मां एक मृत बच्चे को जन्म देती है, लेकिन कई बार ऐसा भी होता है कि आधा जला बच्चा जिंदा रह जाता है और फिर उसे मरने के लिए छोड़ दिया जाता है.
पालने में पड़ी वो बच्ची ऐसी लग रही थी कि उसपर किसी ने खौलता हुआ पानी फेंक दिया हो. उस बच्ची के पास कोई मरीज, कोई डॉक्टर, कोई नर्स नहीं थी. उसकी मां भी नहीं थी और बच्ची अकेले तिल-तिल कर मर रही थी. तड़प रही थी. कैथलीन कहती हैं कि उस दिन उन्हें अपने काम पर ही शर्म आ रही थी.
कैथलीन ने अपनी ही एक साथी से पूछा कि इन बच्चों के साथ क्या किया जाता है तो सच्चाई सुनकर उन्हें धक्का सा लगा. ऐसे बच्चों को या तो यूंही मरने के लिए छोड़ दिया जाता है जिससे वो जितनी बार सांस लें उतनी बार दर्द से मर जाएं या फिर एक बर्तन में रखकर ढक्कन लगा दिया जाता है ताकी बच्चे का दम घुट जाए और उसकी मौत जल्दी हो जाए.
सैलाइन अबॉर्शन अब नहीं किए जाते, लेकिन जो भी होते हैं उनमें भी बच्चों के साथ ऐसी ही हैवानियत होती है. कैथलीन कहती हैं कि किसी महिला के लिए ये उसके जीवन में शायद एक ही बार होगा, लेकिन नर्स के लिए ये कई बार होता है. कई बार ऐसा मार्मिक दृश्य देखने को मिलता है जिससे रूह कांप जाए. अगर अबॉर्शन देर से कराया गया है तो नर्स उस बच्चे को सांस लेता हुआ, हाथ पैर हिलाता हुआ देखती है. ये बहुत ही मार्मिक होता है.
मैं कोई चीज नहीं, एक इंसान हूं..
कैथलीन ने जिस बच्चे को देखा था वो तो नहीं बची, लेकिन एक ऐसी ही बच्ची जिएना जेसन (Gianna Jessen) सैलाइन अबॉर्शन से बच गई और अब एक एक्टिविस्ट हैं.
एक और नर्स टीना डेविड ने बताया कि एक 35 हफ्ते के बच्चे का अबॉर्शन किया गया था. ये सिजैरियन अबॉर्शन था और बच्चा जिंदा था. उन्होंने जो बताया वो यकीनन मैं लिख नहीं सकती. उस बच्चे को बर्तन में रखा गया और उसे किसी नुकीली चीज से मारा गया. उसके बाद बच्चे का हिलना बंद हो गया.
आए दिन अनेकों अबॉर्शन किए जाते हैं और उनमें जिंदा बच्चों के पैदा होने की गुंजाइश भी काफी रहती है. आज की अबॉर्शन तकनीकों में भी ऐसा कई बार होता है कि बच्चे में जान बाकी हो और डॉक्टर उसे हिलता हुआ या सांस लेता हुआ देखें. पर कितना दर्द होता होगा उस बच्चे को इसकी कल्पना भी कोई नहीं कर सकता है. यकीनन ये हमारे मतलब की बात नहीं कि किसे कब अबॉर्शन के बारे में सोचना चाहिए, लेकिन अबॉर्शन का फैसला शायद सिर्फ तब लेना चाहिए जब कोई और रास्ता ना बचा हो. यकीनन जब एक बच्चा अपने बल पर जिंदा रह सकता है भले ही वो कुछ समय के लिए ही क्यों ना हो तो फिर उसे मारना किसी की हत्या करने के जैसा नहीं है?
कुछ नर्सों ने बताए अपने मरीजों के आखिरी शब्द-
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