शिल्पा शेट्टी और मीराबाई चानू का फर्क देश के नौजवान और महिलायें समझें
ओलंपिक खेलों में भारत को सिल्वर मेडल दिलवाने वाली मीराबाई चानू और शिल्पा शेट्टी अलग-अलग कारणों से चर्चा में हैं. जहां चानू पर सारे देश को नाज है, वहीं शिल्पा शेट्टी बेशर्मी से अपने पति का बचाव करते हुए कह रही हैं कि वे तो सिर्फ कामुक फिल्में बनाते थे इस पर हंगामा क्यों ? सवाल ये है कि दोनों महिलाओं में मौलिक अंतर क्या है?
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शिल्पा शेट्टी अपने पति राज कुंद्रा का बेशर्मी से बचाव कर रही हैं. कह रही हैं कि उनके पति बेकसूर हैं और वह पोर्न नहीं इरोटिक फिल्में बनाते थे. क्या मतलब होता है इरोटिक का? क्या शिल्पा शेट्टी को पता है कि इरोटिक का अर्थ होता है कामुक या कामोत्तेजक. क्या भारत जैसे देश में, जहां पर अब भी समाज आधुनिकता के नाम पर नग्नता को अस्वीकार करता है, वहां पर कामुक फिल्में बनाना क्या उचित है? क्या एक भारतीय नारी को कामुक फिल्मों के पक्ष में बोलना तनिक भी शोभा देता है? क्या कामुक फिल्में बहुत आदर्श फिल्में होती हैं? वह समाज को कोई बहुत गहरे संदेश और सार्थक संकेत दे जाती हैं? राज कुंद्रा पर अभी यही सारे आरोप लग रहे हैं. पोर्नोग्राफी केस में राज कुंद्रा को कोर्ट से अभी तक कोई राहत नहीं मिली है. पुलिस उनसे गहन पूछताछ कर रही है. अगर शिल्पा शेट्टी एक बार भी यह कह देतीं कि उनके पति पर लगे आरोप साबित हुए तो उन पर भी कानून सम्मत एक्शन हो. उनके इस एक बयान से उनके प्रति देश के मन में उनको लेकर सम्मान बढ़ जाता. तब यह लगता कि शिल्पा शेट्टी सच के साथ खड़ी हैं. वहां पर वह अपने सबसे प्रिय का भी साथ नहीं देंगी. लेकिन, यह हो न सका. इस तरह से शिल्पा शेट्टी ने एक महान मौका गंवा दिया जो उन्हें सचमुच महान बना सकता था.
अब वो वक़्त आ गया है जब देश को शिल्पा शेट्टी और मीराबाई चानू के बीच का अंतर महसूस कर लेना चाहिए
शिल्पा शेट्टी जब अपने पति का बचाव कर रही थीं लगभग तब ही चानू मीराबाई ने देश को टोक्यो ओलंपिक खेलों की वेट लिफ्टिंग प्रतियोगिता में सिल्वर मेडल जितवाया. सुदूर मणिपुर की रहने वाली ग्रामीण परिवेश में पली वही इस महिला चानू की उपलब्धि पर सारे देश को नाज है. उन्होंने सही माने में देश को गर्व और आनंद के लम्हें दिए. कोरोना काल के बाद से देश पर भारी विपत्ति आई हुई थी.
देश का मनोबल गिरा हुआ था. चानू ने घोर निराशा के दौर के बीच 135 करोड़ भारतीयों को दिल से खुश होने का मौका दिया. यह कोई छोटी बात नहीं है. चानू ने दो क्विंटल वजन उठाकर इस ओलपिंक का पहला मेडल देश को दिया है. वेटलिफ्टिंग में दो क्विंटल उठाने के लिए लोहे के दांत और शीशम की कमर चाहिए. यह सिद्ध कर दिखाया मणिपुर की इस युवती ने.
चानू के साथ सारी भारतीय महिलाओं को बधाई. महिलाएं वजन नहीं उठा सकती इस मिथ को फिर से चानू ने झूठा और खोखला सिद्ध कर दिया है. महिलाएं वज़न भी उठा सकती है, ऑपरेशन भी कर सकती है और बच्चे भी पढ़ा सकती हैं. चानू की उपलब्धि असाधारण है. यह भारतीय वेटलिफ्टिंग इतिहास में ओलंपिक में भारत का दूसरा पदक है.
आपको पता है कि भारत ने इससे पहले सिडनी ओलंपिक (2000) में वेटलिफ्टिंग में पदक जीता था. यह पदक कर्णम मल्लेश्वरी ने दिलाया था. चानू पहली भारतीय वेटलिफ्टर हैं जिन्होंने ओलंपिक में सिल्वर मेडल जीतने का कारनामा किया है. चर्चा का रुख फिर से शिल्पा शेट्टी की तरफ लेकर जाना चाहूंगा. अगर इस देश की नारी शक्ति चाहे तो देश से भ्रष्टाचार का भी पूरी तरह खात्मा हो सकता है.
हां, ये तब होगा जब भ्रष्ट सरकारी बाबुओं, टैक्स चोरी करने वाले कारोबारियों और रिश्वत लेना अपना जन्म सिद्ध अधिकार समझने वाले बाबुओं की पत्नियां ठान लें कि वे अपने घरों में हराम की कमाई को इस्तेमाल नहीं होने देंगी. सारे देश को पता है कि भारत में करोड़ों लोग अपना टैक्स अदा नहीं करते या अपनी आय कम दिखाकर कम टैक्स देते हैं.
इनके घरों की माताएं, बहनें, पत्नियां सुधार सकती है अपने पुत्र, भाई और पति को. घर की गृहणी को अपने पति की कमाई की सब जानकारी होती है. उसे पता होता है कि उसका पति ईमानदारी से कितना हर माह कमाता है. अगर उस महिला के पति की कमाई में अप्रत्याशित रूप से इजाफा होने लगे तो उसे अपने पति से सवाल जरूर पूछना चाहिए.
उस पर लगाम लगानी चाहिए. यह वह चाहे तो भलीभांति कर सकती है. जब अमेरिका में हत्यारे पुलिस अफसर डेरेक चौविन की पत्नी कैली विश्व के समक्ष एक बड़ा उदाहरण पेश कर सकती हैं तो शिल्पा शेट्टी क्यों नहीं, उनके जैसी बन सकती. अमेरिका में अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड के हत्यारे डेरेक चौविन की पत्नी कैली अपने पति के कृत्य से इतनी आहत हुई थीं कि उन्होंने उससे तलाक लेने का ही फैसला ले लिया था.
आपको याद होगा कि चौविन ने अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड कि हत्या कर दी थी. उस घटना के बाद सारा अमेरिका चौविन की थू-थू कर रहा था. सच में बहुत ऊँचे जमीर वाली महिला थी कैली. वास्तव में सत्य का रास्ता ब़ड़ा ही कठोर होता है. उस पर चलने के लिए अनेकों बार बहुत बलिदान देना होता है. महात्मा गांधी के पास उनके पुत्र हरिलाल के नशा करने के लिए उधार मांगने संबंधी समाचार पहुंचते थे.
गांधी जी सबको यही कहते थे वे हरिलाल के कुकृत्यों में उसका साथ नहीं दे सकते. डेरेक चौविन की पत्नी कैली की नैतिकता को आप अमेरिकी समाज की नैतिकता माने, या न मानें? यह आपकी मर्जी. लेकिन उसकी व्यक्तिगत जमीर को मानना ही पड़ेगा. यदि हममें आपमें इंसानियत बची है, तो कम से कम उस महिला को सलाम तो कर ही सकते हैं.
कामुक फिल्मों में कतई गंदगी न देखने वाली शिल्पा शेट्टी से आप और क्या उम्मीद कर सकते है. वे बॉलीवुड के श्याम पक्ष की नुमाइंदगी करती हैं. शिल्पा शेट्टी जैसी महिलाएं किसी के लिए भी आदर्श नहीं हो सकती. देश में करोड़ों स्त्रियां खेतों, बैंकों, सेना, निजी सुरक्षा और दूसरे अनेक क्षेत्रों में ठोस काम कर रही है. कड़ी मेहनत कर देश के विकास में लगी हैं.
अब तो भारतीय नारी मिसाइल भी बना रही हैं. कुछ समय पहले भारत की अग्नि-3 मिसाइल जब गर्जना करती हुई हिंद महासागर में भूमध्य रेखा के पास लक्ष्य को भेद रही थी तो टेस्ट रेंज सेंटर में एक महिला वैज्ञानिक की खुशी का ठिकाना नहीं था. यह महिला वैज्ञानिक और कोई नहीं बल्कि अग्नि मिसाइल कार्यक्रम की प्रोजेक्ट डायरेक्टर टैसी थामस थीं, जो अग्नि-3 की सफलता के जश्न में सबसे आगे थी.
थामस वह नाम है जो देश के मिसाइल कार्यक्रम में अग्रणी होकर उभर रहा है, लेकिन वह प्रचार की आंधी से बहुत दूर रहती हैं. सदा भारतीय परिधान में सादगी पूर्वक रहने वाली टैसी थामस एक साधारण गृहणी-सी दिखती हैं और उन्हें देख कर कोई कह नहीं सकता कि यह महिला परमाणु हथियार दागने में सक्षम सामरिक मिसाइल की सफलता के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं. देश को अभी हजारों और चानू मीराबाई टैसी थामस चाहिये.
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