Halal Food Controversy: हलाल मीट क्या है, यह झटका मीट से कैसे अलग है? विवाद के बाद सवाल ही सवाल
जनाब पूरा सोशल मीडिया #BCCI Promotes Halal और #BoycottHalalProducts से पटा पड़ा है. हम आपको बताएंगे कि हलाल मीट होता क्या है? (what is halal meat) और यह झटका मीट (what is jhatka meat) से किस तरह अलग है? क्यों इसे लेकर इतना बवाल हो रहा है?
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बीसीसीआई (BCCI) को अपने खिलाड़ियों के लिए सिर्फ हलाल मीट (Halal Meat) चाहिए, लेकिन क्यों? इतना आसान थोड़ी है भारतीय खिलाड़ियों को हलाल मीट खिला देना. हलाल मीट, काफिर और जन्नत से भला भारतीय क्रिकेट टीम को (Indian Cricket Team) क्या लेना-देना है? बीसीसीआई को भला भारतीय लोगों से पंगा लेने की क्या जरूरत है? वो भी उनसे जो अपनी भारतीय क्रिकेट टीम से इतना प्यार करते हैं.
बीसीसीआई ने जब भारतीय खिलाड़ियों का डाइट मेन्यू (Indian players diet menu) तैयार किया क्या तब उनको पता नहीं था कि भारतीय फैंस उनका क्या हाल करेंगे? वे फैंस जो अपने क्रिकेटर्स की लगभग हर खबर की जानकारी रखते हैं. जनाब पूरा का पूरा सोशल मीडिया #BCCI Promotes Halal और #BoycottHalalProducts से पटा पड़ा है.
हम आपको आगे बताएंगे कि हलाल मीट होता क्या है? (what is halal meat) यह झटका मीट से किस तरह अलग है (difference between halal and jhatka meat) लेकिन उसके पहले संक्षिप्त में समझ लीजिए कि पूरा माजरा (Halal Food Controversy) हलाल मीट क्या है?
क्या बीसीसीआई को खिलाड़ियों के लिए सिर्फ हलाल मीट चाहिए?
दरअसल, भारत और न्यूजीलैंड के बीच कानपुर में आज से टेस्ट मैच से शुरू हो चुका है. इसके पहले ही 'हलाल मीट' को लेकर बहस छिड़ गई थी. हुआ यूं था कि सीरीज से पहले क्रिकेट टीम का मेन्यू जारी हुआ था. जिसके बाद से ही यह कहा जा रहा है कि मेन्यू में बीसीसीआई ने खिलाड़ियों को फिटनेस का हवाला देते हुए पोर्क और बीफ बैन करते हुए हलाल मीट खाने की बात कही है. सोशल मीडिया पर मेन्यू वायरल होने के बाद से ही लोग बीसीसीआई की आचोलना कर रहे हैं और हलाल मीट को प्रमोट करने का आरोप लगा रहे हैं.
एक दोस्त ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि 'अमेरिका में भारतीयों का एक समूह है जो हर रेस्टोरेंट पर जाकर झटका मीट ((jhatka meat) मांगते हैं और न मिलने पर उस रेस्टोरेंट को खराब रेटिंग देते हैं. लोग अपने क्षेत्र में किसी फेरे वाले का नाम नहीं पूछ नहीं सकते, क्योंकि ऐसा करना सांप्रदायिकता है लेकिन आप करोड़ों अरबों रुपए की हलाल इंडस्ट्री खड़ी कर सकते हैं. वो कहते हैं ना कि बड़े-बड़े देशों में छोटी-छोटी बातें हैं होती ही रहती हैं.
हलाल मीट क्या है?
हलाल (Halal) एक अरबी शब्द है जिसे इस्लामिक कानून के हिसाब से परिभाषित किया गया है. इस्लाम में हलाल मीट की ही अनुमति है. हलाल, भोजन के लिए किसी जानवर को मारने का एक खास तरीका है. जिसमें जानवर के सांस लेने वाली नली को धीरे-धीरे रेत कर काटा जाता है. किसी भी जानवर को हलाल करते समय विशेष आयतें पढ़ी जाती हैं जिसे तस्मिया या शाहदा कहा जाता है. हलाल में पहले जानवर के शरीर से सारा खून बहा दिया है. जिससे वह सांस लेने में असमर्थ हो जाता है. इस तरह धीरे-धीरे उसकी मौत हो जाती है. हलाल में जानवरों को बेहोश नहीं किया जाता है जिससे उसे दर्द ज्यादा होता है.
हलाल पर इंग्लैंड के रॉयल सोसायटी फॉर द प्रिवेंशन ऑफ क्रुएलिटी (RSPCA) का मानना है कि, जानवरों को बिना बेहोश किए मारना उनके अनावश्यक दर्द को बहुत ज्यादा बढ़ा देता है. इस्लाम में सिर्फ हलाल मीट खाने की ही अनुमति है. हलाल पक्षधर का कहना है कि हम जानवरों को मारने से पहले खूब खिलाते-पिताले हैं, उन्हें पालते हैं. हमारा तरीका साफ सुथरा तरीका होता है और सेहत के लिए लाभकारी होता है.
वहीं हलाल फूड अथॉरिटी (HFA) की माने तो किसी भी जानवर को मारने के लिए उसे बेहोश नहीं किया जा सकता है. ऐसा सिर्फ तभी किया जा सकता है जब जानवर जिंदा बच गया हो और उसे हलाल के तरीके मारना हो. एचएफए की गाइडलाइंस के अनुसार, बूचड़खाने पूरी तरह से हलाल के हिसाब से ही होने चाहिए.
2011 के यूके फूड स्टैंडर्ड एजेंसी के आंकड़े के अनुसार, 84% मवेशी, 81% भेड़ और 88% मुर्गियां हलाल मांस के लिए मारे जाने से पहले बेहोश थीं. वहीं 1979 से ही यूरोपीय संघ में जानवरों को बेहोश करके मारा जाना अनिवार्य है लेकिन कई धार्मिक कारणों से इसमें छूट भी शामिल है. डेनमार्क सहित कुछ देशों ने भी जानवरों को बेहोश किए बिना मारने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है. वहीं, ब्रिटेन सरकार का कहना है कि धार्मिक मान्यताओं के हिसाब से मारने के तरीके पर प्रतिबंध लगाने का उसका कोई इरादा नहीं है. यूके की बात करें तो वहां मुस्लिम की आबादी अधिक है , ऐसे में उनका खास ध्यान रखते हुए रेस्टोरेंट और दुकानों में हलाल नियमों का पालन किया जाता है.
झटका मीट क्या है- इसमें हथियार से जानवर की गर्दन पर एक झटके में तेज वार किया जाता है जिससे एक ही बार में उसका काम तमाम हो जाता है. भारत में हिंदू और सिख झटका मांस खाते हैं. इसमें जानवर को मारने से पहले बेहोश कर दिया जाता है और उसे बेहोशी में ही मार दिया जाता है. माना जाता है कि ऐसा करने से उसे दर्द कम होगा. कई लोगों का कहना है कि हलाल में कुछ सेकेण्ड में जानवर की जान चली जाती है और उसे खिलाया पिलाया भी जाता है जबकि झटका में उसे बिना खाना-पानी दिए पहले ही अधमरी हालत में कर दिया जाता है.
आपको याद होगा जब उत्तर दिल्ली नगर निगम ने उस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी, जिसमें इस क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली मीट की दुकानों और रेस्टोरेंट को पोस्टर के जरिए यह बताना जरूरी है कि वे हलाल मीट परोस रहे हैं या झटका मीट. मेयर जय प्रकाश ने इसे आस्था से जुड़ा मसला बताया था. उनका कहना था कि, हिंदू और सिख धर्म में 'हलाल' मांस को निषिद्ध बताया गया है. इसी तरह इस्लाम में हलाल के अलावा अन्य किसी भी अन्य तरह के मीट की मनाही है.
WHAT THE HELL☯️In The Hindu majority country why this kind of bullshit is accepted by many companies and now #BCCI too.. just can not understand why is this happening? Why hindus have to do this? I oppose Halal for Indian cricket team and elsewhere in india too. https://t.co/gu1NOloAGP
— shivani (@shivanisoni17) November 20, 2021
झटका हो या हलाल मीट दोनों में ही जानवर का मारा जाता है. यह बात तो सभी जानते हैं कि हिंदू-मुस्लिम सहित कई धर्मों के लोग मांस खाते हैं, हां उनका तरीका भले ही थोड़ा अलग हो सकता है. वैसे भी पकने के बाद कहां समझ आता है कि चिकन झटका है या हलाल लेकिन जब बात आस्था की हो तो बवाल होना लाजिमी है. आखिर कोई हलाल मीट को कैसे प्रमोट कर सकता है? इतना बवाल होने के बाद आखिरकार बीसीसीआई को अपनी सफाई में कहना पड़ा कि हमने इस तरह की कोई डाइट मेन्यू नहीं बनाई है. यह लोगों की अपनी मर्जी है कि वे क्या खाना चाहते हैं? वैसे हलाल या झटका मीट के बारे में आपका क्या कहना है?
BCCI should immediately withdraw it's illegal decision.#BCCI_Promotes_Halal pic.twitter.com/JlhW3IeVYq
— Gaurav Goel (@goelgauravbjp) November 23, 2021
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