'क्या आत्मा अमर है?' शायद अब ये सवाल न पूछा जाए
वैज्ञानिकों के पास सदियों पुराने सवाल का जवाब आ गया है. 'क्या मरने के बाद भी जीवन रहता है?' या यूं कहें कि क्या आत्मा जिंदा रहती है?
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क्या मृत्यु के बाद जीवन होता है? इसे लेकर कई लोगों की अलग-अलग राय होगी. कुछ मृत्यु को आध्यात्म और भगवान से जोड़ते हैं तो कुछ के हिसाब से मृत्यु के बाद कुछ नहीं होता बस इंसान का शरीर खत्म तो उसका वजूद खत्म. आम तौर पर वैज्ञानिक इसे ऐसे ही देखते हैं. विज्ञान किसी भी आध्यात्मिक बात पर यकीन करे ऐसा कम ही देखा गया है, पर इस बार शायद कुछ अलग हुआ है.
वैज्ञानिकों के पास सदियों पुराने सवाल का जवाब आ गया है. यूनिवर्सिटी ऑफ एरिजोना के स्टूअर्ट हैमरॉफ और ब्रिटिश फिजिसिस्ट सर रॉजर पेनरोस ने इंसानी शरीर के मरने के बाद क्या होता है इसपर रिसर्च की है. सवाल वही पुराना 'क्या मरने के बाद भी जीवन रहता है?' या यूं कहें कि क्या आत्मा जिंदा रहती है? हमेशा ये विज्ञान यही मानता आया है कि आत्मा जैसी कोई चीज़ नहीं होती, शरीर के मरने के बाद कोई जिंदगी नहीं रह जाती, लेकिन अब कुछ अलग कहा जा रहा है. वैज्ञानिक दावा कर रहे हैं कि अंतरआत्मा की मृत्यु नहीं होती बल्कि सिर्फ शरीर मरता है. ये गीता का कोई पाठ नहीं बल्कि नई रिसर्च का हिस्सा है.
वैज्ञनिकों ने इंसान की मृत्यु के बाद आत्मा से जुड़े कुछ चौंकाने वाले दावे किए हैं
क्वांटम मेकैनिक्स यानी मात्रा (कोई वस्तु कितनी मात्रा में है) की स्टडी करने वाले कुछ नामी वैज्ञानिकों ने इसके बारे में बताया है. वैज्ञानिकों का मानना है कि क्वांटम मेकैनिक्स के कारण ही शरीर के खत्म होने के बाद भी चेतना का कुछ भाग ब्रह्मांड में रह जाता है. हालांकि, वैज्ञानिक अभी भी इस बारे में पूरी तरह से एकमत नहीं हैं कि आखिर चेतना होती क्या है या फिर आखिर आत्मा किसे कहा जाए पर ये तय है कि यहां भूत की बात नहीं हो रही है.
किसने की रिसर्च?
यूनिवर्सिटी ऑफ एरिजोना के स्टूअर्ट हैमरॉफ और ब्रिटिश फिजिसिस्ट सर रॉजर पेनरोस ने इस बारे में अध्ययन किया है. उनका मानना है कि चेतना या आत्मा जिसे हम कह सकते हैं वो सिर्फ शरीर द्वारा बहुत छोटे हिस्सों में मरने के बाद ब्रह्मांड में छोड़ी गई इन्फॉर्मेशन यानी जानकारी की तरह है.
इन दोनों वैज्ञानिकों का कहना है कि इस प्रोसेस को “Orchestrated Objective Reduction” (Orch-OR) कहा जाता है. ये पहले ही साबित हो चुका है कि शरीर में प्रोटीन से बनी हुईं सूक्ष्मनलिकाएं होती हैं जो जानकारी को एक जगह से दूसरी जगह ले जा सकती हैं. और इतने छोटे आकार में जानकारी का सुरक्षित रहना अचंभित करता है.
डॉक्टर हैमरहॉफ अपनी थ्योरी को समझाने के लिए एक उदाहरण देते हैं, 'मान लीजिए दिल ने धड़कना छोड़ दिया और शरीर में खून का संचार बंद हो गया. ऐसे में ये सूक्ष्मनलिकाएं या microtubules अपनी जगह से हिल जाएंगी. जो जानकारी इनमें सुरक्षित है वो कहीं जाएगी नहीं वो खत्म नहीं की जा सकती, वो बस ब्रह्मांड में जगह-जगह बिखर जाएगी. ये इतने छोटे आकार में होती है कि दिखाई नहीं देती. अगर मरीज एकदम से जाग जाता है या जैसे मेडिकल हिस्ट्री में कहा जाता है इसे रिवाइव कर लिया जाता है तब ये कोशिकाएं अपनी जगह वापस ले लेती हैं और इसे ही मौत से सामना या नियर डेथ एक्सपीरियंस कहा जाता है. क्योंकि मरीज ने मरने का अनुभव किया होता है.'
'अगर मरीज रिवाइव नहीं किया जाता तो ऐसा मुमकिन हैं कि इन नलिकाओं में मौजूद जानकारी या क्वांटम इन्फॉर्मेशन शरीर के बाहर चली जाए और यूनिवर्स में फैल जाए. हां इसे आत्मा कहा जा सकता है.'
म्यूनिक के चर्चित मैक्स प्लैंक इंस्टिट्यूट फॉर फिजिक्स के रिसर्चर का कहना है कि इस हमारे फिजिकल यूनिवर्स में असल में एक बार मरने के बाद अनंत संभावनाएं हो सकती हैं. इसी इंस्टिट्यूट के हेड डॉक्टर हांस-पीटर दुर पहले कह भी चुके हैं कि 'जिसे हम अभी समझ सकते हैं, हमारी दुनिया असल में बहुत छोटे लेवल पर है और काफी कुछ ऐसा है जो समझा नहीं जा सकता. इसके अगे असंख्य सच है जो बहुत बड़े हैं लेकिन जिनके बारे में हमें पता नहीं है. हमारा शरीर मर जाता है, लेकिन आध्यात्मिक क्वांटम क्षेत्र खत्म नहीं होता. इस तरह से तो सब अमर हैं.'
अब अगर इस रिसर्च के आधार पर समझा जाए तो यकीनन किसी भी इंसान के लिए मरने के बाद एक अलग ही तरह की दुनिया होती है. हालांकि, इसमें कहीं भी वैसा कोई तथ्य नहीं है जो इंसान आध्यात्मिक ज्ञान में बताते हैं. इसलिए ये कहना कि आत्मा तड़पती है या इंसान भूत बन जाते हैं.
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