New

होम -> समाज

 |  3-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 02 मार्च, 2023 07:13 PM
Nidhi Sharma
Nidhi Sharma
 
  • Total Shares

हर इंसान की जिन्दगी का एक महत्वपूर्ण मोड़, एक नया ही सफर होता है, शादी. एक बात ये भी दिलचस्प है कि, एक रिश्ते के जुड़ने के कारण तमाम और रिश्ते भी जुड़ जाते है. दो लोगों के जरिए दो परिवार आपस में एक बंधन से बंध जाते हैं. समय के साथ वो बंधन और भी मजबूत, वो रिश्ता और भी गहरा हो जाता है. इस दौरान नाना प्रकार के दस्तूर निभाए जाते हैं. हर रिवाज की अपनी अलग मान्यताएं भी हैं. भारतीय संस्कृति विभिन्न रस्मों–रिवाजों में बंधी है और शादी और उससे जुड़े अन्य क्रियाकलाप भी उसी का हिस्सा है. फिर चाहे वह हल्दी, मेहंदी, सतफेरे हों या फिर एक अनजाने इंसान एक अजनबी परिवार के साथ जिन्दगी की नई शुरूआत करना हो.

इन्ही सब के बीच एक और प्रचलन या कहें प्रथा भारत देश में बड़ी तेजी से प्रचारित होती आई है. इसके खिलाफ भी कई आवाजें उठी पर जमीनी हकीकत को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि वो सब उस स्तर पर सफल नही हुई. जिस प्रथा की बात हम कर रहे हैं वह 'दहेज' नाम से जानी जाती है. जिससे आप सब बखूबी वाकिफ है. एक पिता जो लाड़-प्यार से पाली हुई अपनी बेटी अपने कलेजे के टुकड़ा एक नए परिवार को सौंप रहा होता है, दूसरी ओर वरपक्ष की मांगों पर लगाम नही लग रही होती. जब किसी बेटी के शादी की बात होती है, समाज में यह सवाल जरूर पूछा जाता है, 'क्या क्या मांगे हैं लड़के वालों की?'जो बाप अपनी बेटी देने को तयार हो उससे और क्या चाहते हैं ये लड़के वाले?

marriage

इसी बीच महंगे ब्रांड के नाम बड़े गर्व से लिए जाते है, की अमुक-अमुक कंपनी की गाड़ी, टीवी, फ्रिज, कूलर और न जाने क्या क्या...इतना ही नहीं कई बार तो लाखों नगद भी इनमें शामिल होता है. अब एक पिता के मन में जो सवाल गूंजता है वो भी अहम और लाजमी है की, सालो से जो पूंजी वो अपनी बेटी की विदाई के लिए जोड़ता आया है वो आज भी काफ़ी नही है, शायद? समाज का एक बड़ा तपका यह सोच रखता है कि अगर दहेज ज्यादा मांगा जा रहा है तो लड़का अच्छी जगह नौकरी कर रहा होगा अगर नही तो वह या अच्छी कमाई नही करता या शायद कुछ खोट है. अगर किसी लड़के की कमाई अच्छीं है, वो ही होनहार है तो उसे जरूरत ही नही पड़नी चाहिए किसी और पर निर्भर होने की. वो इतना सक्षम तो होगा ही कि अपनी जरूरतें और शौक अपने बालभूते पूरे कर सके.

इन सब के बाद सवाल यह उठता है की क्या शादी सिर्फ एक बंधन है या हो गया है सौदा. 'इतना दोगे तो शादी करेंगे.' समाज में ऐसा बोलने वाले भी बड़ी संख्या में मैजूद हैं. अगर सौदा करना होता है, तो इसे रिश्ता, बंधन जैसे शब्दों में क्यों पिरोया जाता है और अगर शादी सिर्फ नए बंधन जुड़ने के लिए है टोबिस दौरान महंगे ब्रांड और लाखों रुपयों का जिक्र क्यों किया जाता है?

और जमीनी हकीकत को देखते हुए यह सवाल कायम रहता है की, शादी बंधन है या सौदा?

लेखक

Nidhi Sharma Nidhi Sharma

Student of media studies at University of Allahabad

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय