रिश्ता भज्जी और जामा मस्जिद के शाही इमाम का
ये बात समझ से परे है कि आखिर हमारे यहां शादियों में इतने पैसे की बर्बादी क्यों होने लगी है? सामाजिक-धार्मिक-राजनीतिक नेताओं की शादियों में होने वाली फिजूलखर्जी पर रोक के खिलाफ आगे आना चाहिए.
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क्रिकेटर हरभजन सिंह और दिल्ली की जामा मस्जिद के इमाम बुखारी में पहली नजर में कोई समानता नजर ना आएगी. लेकिन, बीते दिनों दोनों ने शाही अंदाज में राजधानी में दावतें आयोजित कीं. हरभजन सिंह ने अपनी मित्र गीता के साथ शादी की पार्टी दी. उधर, शाही इमाम के साहबजादे के निकाह के बाद दावते-वलीमा की भव्य दावत दी गई. उस दिन जामा मस्जिद को किसी दुल्हन की तरह से सजाया गया था. सवाल इन दावतों पर हुए खर्च से जुड़ा है. शादियों के इस मौसम में ये क्या संदेश देता है?
दोनों शादियों में देश की नामवर शख्सियतें पहुंचीं. हरभजन और गीता बसरा को आशीर्वाद देने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके पूर्ववर्ती डॉ. मनमोहन सिंह भी पहुंचे. अब इसके बाद दूसरे खास लोगों का जिक्र करने का कोई मतलब नहीं रह जाता. उधर, इमाम साहब की दावत में उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी समेत जीवन के विभिन्न क्षेत्रों की तमाम खासमखास हस्तियां थीं.
कुछ साल पहले हरभजन सिंह के मित्र और भारत की वनडे क्रिकेट टीम के कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी ने बेहद सादगी से विवाह किया. उसमें गिनती के ही लोगों को निमंत्रण दिया गया. उन्होंने टीम इंडिया के भी अपने कई साथियों को आमंत्रित करना जरूरी नहीं समझा. धोनी की शादी में उनके खास मित्र जॉन अब्राहम और क्रिकेटर आर.पी.सिंह ही थे जो सेलिब्रेटीज की नुमाइंदगी कर रहे थे. इसी तरह से कुछ महीने पहले महिन्द्रा एंड महिन्द्रा ग्रुप के चेयरमेन आनंद महिन्दा की पुत्री और फिल्म मेकर आलिका महिन्द्रा ने एक अनाम युवक से अमेरिका में विवाह कर लिया. उस युवक का नाम है गोर्ग जेपटा. गोर्ग पेशे से आर्किटेक्ट है. आलिका की शादी न्यू यॉर्क में हुई. उसमें महिन्द्रा परिवार से कुछ ही लोग पहुंचे. आनंद महिन्द्रा की पत्नी अनुराधा और बहन दिव्या के अलावा कुछ बहुत करीबी मित्र और संबंधी थे. विवाह में वर पक्ष के परिवार से भी कुछ लोग पहुंचे. विवाह बेहद सादे अंदाज में हुआ. उसमें कोई तड़क-भड़क नहीं थी.
एक और उदाहरण लीजिए. देश की चोटी की आईटी सेक्टर की कंपनी विप्रो के चेयरमेन अजीम प्रेमजी के पुत्र राशिद की शादी की खुशी में एक छोटी सी पार्टी का ही आयोजन किया गया, परिवार के मित्रों और रिश्तेदारों के लिए. बाकी सारा विवाह बेहद सादगी और गरिमापूर्ण तरीके से संपन्न हो गया. ये बात समझ से परे है कि आखिर हमारे यहां शादियों में इतने पैसे की बर्बादी क्यों होने लगी है. मिडिल क्लास परिवारों की शादियों में भी 25-30 लाख रुपया एक पक्ष का खर्च होने लगा है. कायदे से देखा जाए तो सामाजिक-धार्मिक-राजनीतिक नेताओं की शादियों में होने वाली फिजूलखर्जी पर रोक के खिलाफ आगे आना चाहिए.
लेकिन, जब जामा मस्जिद के इमाम ही तड़क-भड़क वाली शादी की दावतें देंगे तो फिर आप क्या कहेंगे. अपने को हिन्दुओं का सबसे बड़ा और मुखर प्रवक्ता कहने-बताने वाले राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने कभी शादियों में होने वाली फिजूलखर्जी के खिलाफ आवाज उठाई हो याद नहीं आता. मुस्लिम समाज का एक तबका तो इमाम साहब की दावत से नाराज है. उसकी अभिव्यक्ति सोशल मीडिया पर खूब हुई. फेसबुक पर इमाम साहब के बेटे की शादी के आयोजन पर हुई फिजूलखर्जी मुद्दा बनी. उस आभासी दुनिया के बहुत से लोगों का कहना था कि इससे बचा जाना चाहिए.
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