भारत को ऑपरेशन राहत पर क्यों गर्व होना चाहिए?
भारत ने अपने मुश्किल राहत अभियान के तहत यमन में फंसे लगभग 4000 भारतीय नागरिकों को निकाल लिया.
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मंगलवार आधी रात तक भारत ने अपने मुश्किल राहत अभियान के तहत यमन में फंसे लगभग 4000 भारतीय नागरिकों को निकाल लिया. कुछ को तो बिल्कुल मौते के मुंह से. ऑपरेशन राहत के खत्म होने से एक दिन पहले भारतीय विमान युद्ध क्षेत्र साना में उतरा और अपने देश सुरक्षित पंहुचने के लिए बेताब 600 लोगों को साथ लेकर उड़ गया.
भारत ने अब तक 26 देशों के 250 नागरिकों को भी बचाया है. जर्मन राजदूत माइकल स्टेनर ने यमन में फंसे जर्मन नागरिकों को सुरक्षित निकालने के लिए भारत सरकार को धन्यवाद दिया है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने एक सूची जारी की है. जिसमें बांग्लादेश से लेकर अमेरिका तक 26 देशों ने अपने नागरिकों की मदद के लिए भारत से अनुरोध किया है.
अमेरिका और फ्रांस दोनों के पास नौसेना और सैन्य बल ही नहीं बल्कि बाहर जाकर ऐसा राहत अभियान चलाने की पर्याप्त क्षमता है. लेकिन सैयद अकबरुद्दीन ने हेडलाइंस टुडे को बताया कि यहां बात सिर्फ मंशा और क्षमताओं की नहीं बल्कि राजनायिक गलियारों में पैंतरेबाज़ी के लिए जगह बनाने की है. मुश्किल हालात में भी भारत अब तक इस राजनयिक मध्य मार्ग पर चलने में सफल रहा है. भारत अकेला ऐसा देश है जिसने इतने बड़े पैमाने पर रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया. और अपने नागरिकों के साथ-साथ यमन से कुछ पाकिस्तानियों सहित अन्य विदेशी नागरिकों को भी बचाया.
अकबरुद्दीन ने कहा कि इंसानियत सरहद नहीं जानती. अगर मुमिकन हुआ तो हमें उन लोगों की मदद करने में खुशी होगी, जिन्हें हमारी मदद की दरकार है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने व्यक्तिगत रूप से सऊदी अरब के किंग सलमान से बात करते हुए भारतीय नागरिकों को वहां से निकालने के लिए सुरक्षित मार्ग दिए जाने की बात की. सऊदी अरब ने वहां चल रहे संघर्ष में यमन के वायु क्षेत्र को नो फ्लाइंग जोन घोषित कर रखा है. प्रधानमंत्री कार्यालय की निगरानी में चल रहे अभियान में संकट में फंसे लोगों को राहत देने के लिए विदेश मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय, शिपिंग, रेलवे, नौसेना, भारतीय वायु सेना, एयर इंडिया और विभिन्न राज्य सरकारों के मंत्रालय सहयोग कर रहे हैं.
प्रधानमंत्री मोदी ने पूर्व थल सेना प्रमुख और अब विदेश राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह को साना और जिबूती में मौके पर फैसले लेने के लिए अधिकृत किया था.
ऑपरेशन राहत 8 अप्रैल की शाम को खत्म हो गया. इस अभियान के तहत कई राजनयिकों और अधिकारियों ने 24 घंटे नजर रखी. तकरीबन 200 से 300 भारतीयों ने वहीं रूकने का फैसला किया है. दबाव के बावजूद उन्होंने भारतीय अधिकारियों से कहा कि वे वहां सुरक्षित रह लेंगे.
अभियान के दौरान एअर इंडिया के विमानों और आईएनएस मुम्बई के जरिए नागरिकों को वहां से निकाला गया. इसके अलावा भारतीय नौसेना ने वहां आईएनएस तरकश और आईएनएस सुमित्रा समेत कई जलपोतों का इस्तेमाल भी अभियान में किया. लोगों को छोटी नावों से इन पोतों तक लाया गया. अस्थाई पुल बनाने वाली यूनिट भी राहत कार्य में शामिल थी.
मई 2014 के बाद यह मोदी सरकार का चौथा बचाव अभियान था. इससे पहले जुलाई 2014 में लीबिया से 4500 भारतीयों को निकाला गया था. जिनमें 750 नर्स भी शामिल थीं. जून 2014 की शुरूआत में इराक से 175 भारतीय नागरिकों को निकाला गया था जिनमें 46 नर्स शामिल थीं. इसके बाद जनवरी 2015 में उक्रेन से 1000 भारतीयों को निकाला गया था जिनमें अधिकांश छात्र थे.
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