सर्वे कहता है 55% तलाकशुदा महिलाएं नए रिश्ते में बंधना चाहती हैं, क्यों आसान नहीं दूसरी शादी?
एक शादी टूटने के बाद दूसरी शादी निभाने के लिए महिलाओं के ऊपर दबाव बन जाता है. क्योंकि लोगों का मानना होता है कि तलाकशुदा औरतें रिश्ते निभाने में कमजोर होती हैं. कुछ लोग तो यह भी कह देते हैं कि तलाकशुदा महिलाएं सेल्फिश होती हैं.
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किसी भी महिला के लिए शादी तोड़कर तलाक लेना (divorced) बहुत ही पीड़ादायी फैसला होता है. भले ही गलती किसी की भी हो लेकिन सजा दोनों को मिलती है. शादी करते वक्त यह कोई नहीं सोचता कि भविष्य में हमारा तलाक हो जाएगा. हमारे यहां तो वैसे भी शादी को सात जन्मों का बंधन माना जाता है लेकिन कभी-कभी हालात ऐसे बन जाते हैं कि तलाक लेने के सिवा कोई और रास्ता ही नजर नहीं आता. तलाक लेने वाले पुरुषों के लिए भी वह कठिन दौर होता है लेकिन जिस महिला की गृहस्थी उजड़ती है वही इस दर्द को समझ सकती है. तलाक लेने वाला पुरुष अगर चाहें तो आसानी से दूसरी शादी कर सकते हैं किसी के साथ रिश्ते में आग बढ़ सकते हैं लेकिन तलाकशुदा महिलाओं के लिए यह राह आसान नहीं होती हैं. किसी महिला का अगर तलाक हो जाए तो उसे एक अलग ही कैटगरी में रखा जाता है.
तलाकशुदा महिलाओं की शादी इसलिए नहीं हो पाती क्योंकि लड़के ऐसी लड़कियों को अपनाने को तैयार नहीं होते
किसी ने कहा है कि 'अगर जीवनसाथी चुनने में समझदारी दिखाई जाए, तो सभी सुख या दुख का 90% समाप्त हो जाएंगे'. मनसा ग्लोबल फाउंडेशन की फाउंडर और साइकोलॉजिस्ट डॉ श्वेता शर्मा कहती हैं कि 'शादी के लिए रूम पार्टनर नहीं, लाइफ पार्टनर तलाशना चाहिए, क्योंकि ये जिंदगी में खुशी या गम का कारण बन सकता है.'
तलाक के बाद महिलाएं टूट जाती हैं
जब किसी महिला का तलाक होता है तो वह इस कदर टूट जाती है कि दोबारा किसी इमोशनल रिश्ते में पड़ने की उसकी हिम्मत नहीं बची रहती है. वह सामने वाले पर भरोसा नहीं कर पाती. दोबारा से लही सारी चीजें उसे पहले टूटे हुए रिश्ते की याद दिलाती हैं. इसलिए तलाक के बाद महिलाएं खुद को संभाल नहीं पातीं. शादी के बाद उनकी जिंदगी पति के इर्द-गिर्द की घूमती रहती है ऐसे में तलाक के बाद उनके ऊपर कई तरह के दबाव आते हैं. जैसे अकेलापन, आर्थिक दबाव और सामाजिक दबाव.
वे खुद को लेकर और ज्यादा एहतियात बरतने लगती हैं. वे भावानात्मक रूप से टूट चुकी होती हैं. कई महिलाएं तो जिंदगी में आगे बढ़ने की कल्पना भी नहीं करतीं और खुश रहना भी छोड़ देती हैं. उनके जीने का मतलब बस जिंदगी काटना हो जाता है. हालांकि अब समय बदल रहा है और महिलाएं दोबारा शादी के बारे में भी सोच रही हैं. अभी तो यह प्रतिशत ज्यादा नहीं है लेकिन अच्छी बात यह है कि महिलाओं ने अपने बारे में सोचा तो सही.
क्या कहता है सर्वे
असल में डेटिंग ऐप क्वैक-क्वैक का कहना है कि इस साल बहुत सारी तलाकशुदा महिलाएं अपनी जिंदगी के अधूरेपन को दूर करना चाहती हैं. इस ऐप के सर्वे का कहना है कि 55% तलाकशुदा महिलाएं मानती हैं कि वे दोबारा बंधन में बंधना चाहती हैं. वहीं कई महिलाएं ऐसी हैं जिन्हें अकेला रहना ही पसंद है. वे सिंगल ही रहना चाहती हैं. तलाक के बाद किसी महिला को सिंगल रहना है या शादी करनी है यह उसकी मर्जी होनी चाहिए. सिंगल रहना मतलब दुखी होना नहीं होता.
इस पर साइकोलॉजिस्ट श्वेता शर्मा का कहना है कि 'पुराने रिश्तों पर रोने से बेहतर नई शुरुआत करना ज्यादा अच्छा है. रिश्ते में आगे बढ़ने से तलाक की वजह से होने वाली तकलीफ, अवसाद और तनाव से उबरने में मदद मिलती है. तलाक के बाद दूसरी शादी जिंदगी में सकारात्मकता लाती है. पहला रिश्ता नहीं टिका इसका ये मतलब नहीं है कि दूसरा रिश्ता भी न चले. दूसरी शादी जिंदगी की राहों को आसान बनाती है. महिलाएं भावानात्मक रूप से और अधिक मजबूत होती हैं.'
तलाकशुदा महिला की दूसरी शादी क्या आसान होती है?
ऐसी कितनी महिलाओं को आप जानते हैं जिसने दूसरी शादी की हो? अगर किसी महिला की दो शादी टूट चुकी है तब तो वह तीसरी शादी की कल्पना भी नहीं कर सकती. कोई तलाकशुदा महिला जब शादी की बात करती है तो सबसे पहले उसके परिवार वाले ही मना कर देते हैं. आस-पड़ोस के लोगों को गॉसिप के लिए एक नया टॉपिक मिल जाता है. उसे बुरी औरत समझा जाता है. जो रिवाजों के हिसाब से लोगों ने तय किया होता है. जबकि एक शादी टूटने के बाद दूसरी शादी के बारे में सोचकर रिस्क तो वह महिला ले रही होती है कि भविष्य में सब कैसा होगा. समाज जल्दी इस बात को पचा नहीं पाता और कैरेक्टर सर्टिफिकेट बांटने का कार्यक्रम भी शुरू हो जाता है.
साथ रहने से अलग हो जाना अच्छा
असल में शादी के वक्त सात जन्मों का ही ख्याल करता है ना की तलाक का. मगर कभी-कभी हमारी जिंदगी में वो सारी घटनाएं होती हैं जिनकी हम कभी कल्पना नहीं करते. शादी के बाद हमारी कोशिश यही रहती है कि यह रिश्ता ना टूटे, क्योंकि हमारे ऊपर परिवार और समाज सभी का प्रेशर रहता है. लेकिन तब क्या जब साथ रहते हुए प्यार कम और टकराव ज्यादा होने लगे. आपस में तालमेल ना बैठे और छोटी-छोटी बातों पर होने वाली बहस बड़े झगड़े का रूप लेने लगे. रोज-रोज के लड़ाई-झगड़ों का असर हमारी लाइफ पर होने लगे. कभी-कभी तो इंसान मानसिक रूप से बीमार हो जाता है. ऐसे में साथ रहने से अलग हो जाना अच्छा है.
पति परमेश्वर और पत्नी कुलटा
जब दो लोग अलग होते हैं तो वे पति-पत्नी होते हैं, लेकिन अलग होने के बाद पत्नी को लोग सिर्फ महिला के तौर पर न देखकर तलाकशुदा महिला के रूप में देखने लगते हैं. लोग पुरुष को सही समझते हैं और महिला को कुलटा. लोग तलाक का दोष महिला के माथे गढ़ देते हैं. लोगों का मानना होता है कि किस मियां-बीवी में झगड़े नहीं होते. आजकल की महिलाएं पति को पैरों के नीचे रखना चाहती हैं. पति को कुछ समझती ही नहीं होगी, इसलिए पति ने छोड़ दिया.
दूसरी शादी में महिला के ऊपर अधिक दबाव
एक शादी टूटने के बाद दूसरी शादी निभाने के लिए महिलाओं के ऊपर दबाव बन जाता है. क्योंकि लोगों का मानना होता है कि तलाकशुदा औरतें रिश्ते निभाने में कमजोर होती हैं. कुछ लोग तो यह भी कह देते हैं कि तलाकशुदा महिलाएं सेल्फिश होती हैं. कुल मिलाकर लोगों को ताना मारने का मौका मिल जाता है. तलाकशुदा महिलाओं को लेकर लोगों ने एक सोच का दायरा बना लिया है. जैसे ऐसी महिलाएं दोबारा प्यार नहीं कर सकती. तलाक होने का मतलब कि उनके मान-सम्मान में कमी हो जाती है. इसके बाद अगर महिला दूसरी बार शादी करने की सोच ले तब तो खैर नहीं. सीधे लोग कैरेक्टर पर ही सवाल उठा देते हैं. एक साधारण महिला के लिए तो जैसे यह पाप है.
महिलाओं के लिए दूसरी बार शादी करना आसान क्यों नहीं?
1- सबसे बड़ी समस्या कि अब लड़का कैसे मिलेगा. हमारे समाज में तलाकशुदा और विधवा महिलाओं की शादी इसलिए नहीं हो पाती क्योंकि लड़के ऐसी लड़कियों को जल्दी अपनाने को तैयार नहीं होते. तलाकशुदा और विधुर पुरूष की शादी आराम से हो जाती है लेकिन लड़कियों के मामले में अगर दूसरी शादी हो रही है तो समझिए यह भाग्य की बात है.
2- लोग ऐसी लड़कियों पर उंगली उठाते हैं कि इसी में कुछ कमी होगी. इसलिए तो पति ने छोड़ दिया. कोई तलाकशुदा लड़कियों पर भरोसा नहीं करता. लोगों को लगता है कि जिसका एक बार घर टूट गया उसका दूसरी बार भी घर टूट ही जाएगा.
3- लोगों का कहना होता है कि भले बेटी की जिंदगी बर्बाद हो जाए लेकिन उसकी शादी दूसरे बिरादरी यानी दूसरी जाति में नहीं करवाएंगे. इन हालात में शादी के लिए लड़का मिलना बहुत मुश्किल हो जाता है.
4- समाज के लोग ऐसी लड़कियों को अपने घर की बहू नहीं बनाना चाहते. समाज इस बात के लिए तैयार ही नहीं है कि घर लड़के की वजह से भी टूट सकता है. आज भी समाज के लोग ऐसी लड़कियों को अपनाने के लिए तैयार नहीं है.
5- घरवाले यह मानकर चलते हैं कि ससुराल छोड़कर मायके आ जाने से उनकी बेटी में कुछ कमी हो गई है. इसलिए वे दहेज देने के लिए भी तैयार हो जाते हैं. एक समस्या यह भी है कि अगर तलाकशुदा महिला की कोई संतान होती है तो उसे रिश्ता जोड़ने वाले लोग नहीं अपनाना चाहते.
गलती से पहले तलाक के बाद अगर दूसरी शादी में कोई प्रॉबल्म आ जाती है तब तो सारा दोष लड़की का ही मान लिया जाता है. तलाक के बाद उस लड़की की जैसे वैल्यू ही नहीं रहती.
महिलाएं समाज के बारे में इतना सोचती हैं कि अपने बारे में सोचना ही भूल जाती है. तलाक के बाद दूसरी शादी के लिए मन में गिल्ट मत रखिए. अपनी तरफ से रिश्ता निभाने की कोशिश कीजिए. अगर नहीं चला रिश्ता तो खुद को दोष मत दीजिए. जिंदगी जीने का नाम है और तलाक कोई पापा नहीं, ये बास जिंदगी का एक पड़ाव है जिससे किसी को भी गुजरना पड़ सकता है.
तलाक लेने वाले भी इसी दुनिया के लोग हैं, इसलिए उनका सम्मान कीजिए...आप नहीं जानते कि उनपर क्या बीती है तो अपने हिसाब से उन्हें जज मत कीजिए. ऐसी लोग टूटे हुए होते हैं इसलिए अगर उनका साथ नहीं दे सकते तो उनका मजाक भी मत बनाइए. किसी महिला की पहली शादी टूटे या दूसरी जरूरी नहीं है कि गलती उसकी की हो. जब शादी अकेले नहीं की जा सकती तो भला तलाक अकेले महिला का क्यों हुआ...
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