सिंगल रहने वाली महिलाओं को जज क्यों किया जाता है?
अकेले रहने वाली महिलाओं को हर कदम पर जज किया जाता है. मोहल्ले वाले लोग नहीं चाहते हैं कि उनके बच्चों की उस महिला से दोस्ती हो. उनके हिसाब से वह उनके बच्चों को बिगाड़ देगी. अकेली रहने वाली महिला के कैरेक्टर पर लोग आसानी से उंगली उठा देते हैं.
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अकेले रहती हैं? आपकी शादी नहीं हुई, क्यों? फिर तो बड़ी मुश्किल होती होगी. अकेले रहना आसान कहां? अकेली रहने वाली महिलाओं को इस तरह की बातें अक्सर सुनने को मिलती हैं. उन्हें एहसास करवाया जाता है कि अकेले रहना कितना बुरा है. जबकि कई ऐसी महिलाएं जिन्होंने अपनी मर्जी से अकेले रहना चुना है. कुछ लोगों को लगता है कि महिलाएं अकेली इसलिए रह जाती हैं क्योंकि किसी कमी के कारण उनकी शादी नहीं पाती है य़ा फिर उन्हें प्यार में धोखा मिल जाता है. असल में ऐसे लोगों को समझ नहीं आता कि अकेले रहने में और अकेलेपन में अंतर है.
अकेली रहने वाली महिलाओं को हर कदम पर जज किया जाता है. मोहल्ले वाले लोग नहीं चाहते हैं कि उनके बच्चों की उस महिला से दोस्ती हो. उनके हिसाब से वह उनके बच्चों को बिगाड़ देगी. अकेली रहने वाली महिला के कैरेक्टर पर लोग आसानी से उंगली उठा देते हैं. अगर कोई महिला अकेली रहती है और लोगों का उसके घर आना-जाना रहता है तो फिर उसे गलत ही समझा जाता है. भले ही वह पढ़ी-लिखी हो औऱ अपने पैरों पर खड़ी हो.
अकेले रहने वाली महिलाओं को हर कदम पर जज किया जाता है
साल 2011 की जनगणना के अनुसार 7.14 करोड़ महिलाएं सिंगल हैं. कोविड-19 महामारी के कारण 2021 की जनगणना भले टल गई मगर हो सकता है कि अब यह संख्या 10 करोड़ को पार कर गई होगी. सबसे बड़ी बात यह है कि महिलाएं अपनी मर्जी से सिंगल रहना चुन रही हैं. यह एक आम बदलाव है जिसे स्वीकार करने की जरूरत है. अब तो सुप्रीम कोर्ट ने अविवाहित महिलाओं को भी एबॉर्शन का आदेश दे दिया है. मगर अभ भी अकेली रहने वाली महिला के साथ भेदभाव किया जाता है.
सबसे बड़ा उदाहरण तो यही देखने में आता है कि अकेली रहने वाली महिला को लोग जल्दी घर किराए पर नहीं देते. उनसे पूछा जाता है कि क्या कोई बॉयफ्रेंड है, क्या आप शराबी पीती हैं, क्या आप घर देरी से आती हैं? ऐसा क्यों है कि लोगों को अकेली महिला पर विश्वास नहीं होता है. लोगों के लिए इतना काफी नहीं होता है कि वह महिला अपने दम पर अपनी जिंदगी जी रही है.
असल में हमारे समाज में लड़कियों की परवरिश ऐसे की जाती है कि वह भले ही कितना पढ़ लिख ले, आखिर में उसे शादी करनी है. ससुराल जाना है और बच्चे पैदा करना है. हालांकि आजकल बहुत सी लड़कियां शादी करने से इनकार कर रही हैं. वे सेल्फ डिपेंडेंट हैं और खुश हैं. उन्हें अपनी जिंदगी में आजादी चाहिए. वे पितृसत्ता को नकार रही हैं. औऱ उन्हें अकेले रहने पर कोई पछतावा नहीं है. वे एक अच्छी पत्नी औऱ अच्छी मां नहीं बनना चाहतीं बल्कि सिर्फ एक अच्छी इंसान बने रहना चाहती हैं. वे अपनी जिंदगी में अपनी मर्जी चाहती हैं.
सिंगल रहने वाली महिलाओं में विधवा और तलाकशुदा महिलाएं भी शामिल हैं. जमाना कितना बदल गया है फिर भी किसी शुभ कार्य में लोग विधवा को शामिल नहीं करना चाहते हैं. किसी अच्छे काम में वे तलाकशुदा को नहीं बुलाना चाहते. क्योंकि कुछ लोग अभी भी सिंगल रहने वाली महिलाओं को गलत नजरिए से देखते हैं. वे उन्हें बिगलैड़ की संज्ञा देते हैं. उनके कहीं देर से आने-जाने पर उंगली उठाते हैं.
समाज में यह मानसिकता बन गई है कि अकेली महिला है तो वह पुरुषों पर डोरे डाल सकती है. लोगों का घर तोड़ सकती है. वह लोगों को अपने जाल में फंसा सकती है. अकेली महिला अगर हंसकर दो चार बातें कर तो समझा जाता है कि वह दोस्ती के लिए राजी हो गई है.
यह लोगों के कौतूहल का विषय होता है कि वह वर्जिन है या नहीं. वह सेक्सुअली एक्टिव है या नहीं. कुछ लोगों को लगता है कि ऐसी महिलाएं रिश्तों को महत्व नहीं देती हैं. वे दूसरों को शादी ना करने के लिए प्रोत्साहित कर सकती हैं. समाज के अनुसार, जो लोग शाद न करके अपनी जिंदगी जीना चाहते हैं वे स्वार्थी होते हैं.
लोगों के हिसाब से वे महिलाएं आदर्श होती हैं जो शादी करके बच्चे करती हैं और अपना घर संभालती हैं. सिंगल रहने वाली महिलाएं अपने फैसले खुद लेती हैं औऱ अपनी शर्तों पर जीती हैं इसलिए उन्हें समाज के लिए खतरा माना जाता है. समाज के कुछ लोगों को यह समझ क्यों नहीं आता कि शादी करना या ना करना किसी महिला की पर्सनल च्वाइस हो सकती है. लोग क्यों नहीं समझते ही हर किसी के जिंदगी के मकसद सिर्फ शादी करना नहीं हो सकता है.
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