जानिए आपको दूसरों से अधिक ठंड क्यों लगती है?
कई बार ऐसा होता है कि हमारे आस-पास के लोग टीशर्ट में घूम रहे होते हैं औऱ हमें जैकेट में भी सर्दी लगती है. कई बार तो हमने लोगों को कहते भी सुना होगा कि यार मुझे की इतनी कपकपी क्यों लग रही है? इसके उलट किसी को ठंड नहीं लगती और वे सर्दी को एंजॉय करते हैं. चलिए बताते हैं कि ऐसा क्यों होता है?
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कई बार ऐसा होता कि घर में किसी को ठंड (Cold) नहीं लगती होगी लेकिन आप कांप रहे होते हैं. कई बार आपको इसलिए चिढ़ाया भी जाता होगा कि दुनिया की सारी सर्दी तुझे ही लगती है. कई बार ऑफिस में देखा जाता है कि लोग गर्मी के दिनों में भी शॉल लेकर आते हैं, क्योंकि उन्हें ठंड लगती है. कई बार ऐसा होता है कि हमारे आस-पास के लोग टीशर्ट में घूम रहे होते हैं औऱ हमें जैकेट में भी सर्दी लगती है. कई बार तो हमने लोगों को कहते भी सुना होगा कि यार मुझे की इतनी कपकपी क्यों लग रही है? इसके उलट किसी को ठंड नहीं लगती और वे सर्दी को एंजॉय करते हैं. चलिए बताते हैं कि ऐसा क्यों होता है?
ठंड सबसे पहले हमारी स्किन को महसूस होती है
ठंड सबसे पहले हमारी स्किन को महसूस होती है. तभी तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं. हमारी स्किन के नीचे मौजूद थर्मो-रिसेप्टर नर्व्स दिमाग को तरंगों के जरिए ठंड लगने का संदेश भेजती हैं. यह प्रक्रिया अलग-अलग हो सकती है तभी तो कुछ लोग ठंड के बारे में सोचकर ही कांपने लगते हैं. वहीं किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता है. एक बार मस्तिष्क को तापमान में गिरावट की सूचना मिलने के बाद, यह शरीर के सारे ऑर्गन्स को मैसेज भेजता है कि तापमान गिर रहा है और सभी अंगों को तापमान सुरक्षित करने का आदेश देता है.
जॉन कैस्टेलानी के अनुसार, यह प्रक्रिया हीट लॉस को रोकती है और शरीर की रक्षा करती है. इसी के कारण कई लोगों को मोटे दास्तानें और मोजे पहनने के बाद भी कंपकंपी लगती है.
त्वचा में रक्त के प्रवाह को सीमित करने के बाद हम कांपने लगते हैं, असल में ऐसा इसलिए होता है क्योंकि मांसपेशी संकुचन (muscle contractions) हमारे शरीर को गर्म रखने के लिए हीट को बाहर निकालते हैं. ये शारीरिक प्रतिक्रियाएं हमारे सिस्टम में कड़ी मेहनत करती हैं लेकिन एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में अलग होती हैं.
सामान्य भाषा में कहें तो जब हमारे अंग धीरे काम करते हैं तो इनसे मेटाबॉलिक हीट (Metabolic Heat) ज्यादा पैदा होती है. इस कारण शरीर में अधिक ठंड लगती है. कपकपी इसलिए आती है क्योंकि हमारा शरीर अपने अंदर के तापमान को बाहर की तुलना में बैलेंस कर रहा होता है. यह इसलिए जरूरी है क्योंकि हमारा शरीर तापमान में अधिक परिवर्तन को झेल नहीं पाता है, कई बार शरीर के अंग काम करना भी बंद कर सकते हैं. हमें ठंड ना लगे इसलिए जरूरी है कि शरीर में रक्त संचार होता रहे और खून हमारे सभी अंगों तक सही मात्रा में पहुंचता रहे.
ठंड लगने के अन्य कारण-
शरीर के आकार के हिसाब से ठंड लगती है. जो जितना अधिक चौड़ा होता है उसे उतनी ही अधिक गर्मी लगती है. यह चमड़े के नीचे जमे फैट के कारण होता है.
पुरुषों और महिलाओं के ठंड के बीच का अंतर उनके बॉडी शेप के कारण होता है.
एक बड़े अध्ययन से यह पता चलता है कि उंगलियों में ठंड के कारण हमारे जीन होते हैं.
हार्मोन के कारण भी शरीर में ठंड घटती-बढ़ती रहती है.
पीरियड्स के समय महिलाओं के ठंड लगने में परिवर्तन होता रहता है.
जिन पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन अधिक होता है उन्हें ठंड कम लगती है.
60 साल की उम्र से हमारे शरीर की गर्मी को संरक्षित करने और ठंड को महसूस करने की क्षमता कम होने लगती है.
कई बीमारियों के कारण भी ठंड ज्यादा लगती है, जैसे- थायरॉयड
विटामिन बी के कमी के कारण भी ठंड लगती है.
शरीर में आयरन की कमी के कारण भी ठंड अधिक लग सकती है.
डिहाइड्रेशन या नींद पूरी न होने पर भी ठंड अधिक लगती है.
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