39 बलात्कार प्रति घंटे! अरे बोलने वालों कुछ तो सोचो
हम में से बहुत ये मान सकते हैं कि भारत के साथ ये रैंकिंग सही नहीं हैं पर रिपोर्ट क्या कुछ कहती है हमें उस पर गहराई से ध्यान देना चाहिए. ना कि जैसा बीजेपी के लोग कर रहे हैं.
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2016 में महिलाओं के खिलाफ 3.38 लाख अपराध के मामले हुए जिसमें 11.5% बलात्कार के थे. एनसीआरबी के इन आंकड़ों के मुताबिक़ भारत में हर घंटे बलात्कार के 39 मामले होते हैं. आंकड़े कहते हैं भारत में रहना महिलाओं के लिए वास्तव ही भयावह है.
तो अगर इस केस में कोई विश्वसनीय ग्लोबल रिपोर्ट ये कहती है कि भारत महिलाओं के लिए दुनिया में सबसे खतरनाक जगह बन चुका है तो हमें उस पर सोचना चाहिए ना की उस रिपोर्ट को ऐसे ही डिसमिस कर देना चाहिए. हम में से बहुत ये मान सकते हैं कि भारत के साथ ये रैंकिंग सही नहीं हैं पर रिपोर्ट क्या कुछ कहती है हमें उस पर गहराई से ध्यान देना चाहिए. ना कि जैसा बीजेपी के लोग कर रहे हैं.
थॉमसन रायटर्स फाउंडेशन की लेटेस्ट रिपोर्ट के अनुसार महिलाएं भारत में दुनिया में सबसे ज्यादा असुरक्षित हैं और सेक्सुअल वायलेंस और ग़ुलामी इसका सबसे बड़ा कारण है. भारत में महिलाओं की स्थिति कितनी बदतर है इसका पता इसी बात से लगता है कि भारत को फॉलो करने वाले देशों में अफ़ग़ानिस्तान, सीरिया, सोमालिया, सऊदी अरब और पाकिस्तान का नाम है.
पर रिपोर्ट पर चिंतित होने के बजाए महिला और बाल कल्याण मंत्रालय ने रिपोर्ट को ख़ारिज कर दिया है ये कहते हुए कि ये रिपोर्ट 500 महिलाओं के सैंपल साइज के अनुभव पर आधारित है और साथ में इसमें कोई डाटा भी नहीं दिया गया है.
राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा के अनुसार भी सर्वे का सैंपल साइज बस 500 महिलाओं का था जबकि भारत में 1.3 अरब लोग रहते हैं और यहाँ महिलाओं को अपने कानूनी अधिकारों की कहीं ज्यादा जानकारी है.
लेकिन सात साल पहले, 2013 में, इसी थॉमसन रायटर्स फाउंडेशन के सर्वे ने भारत को दुनिया में महिलाओं के लिए चौथी सबसे भयावह जगह बताया तहत और इसको लेकर तब गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की वेबसाइट ने ट्वीट किया था कि भारत में महिलाएं कब सुरक्षित और संरक्षित महसूस करेंगी.
India is considered 4th most dangerous for women. When will she feel safe & symbol of positivity?
— narendramodi_in (@narendramodi_in) October 2, 2013
और अगर हम एनसीआरबी के 2013 के आंकड़ों की भी बात करें तो हम पाएंगे की आज स्थिति बदतर है. आंकड़ों के मुताबिक़ 2013 में महिलाओं से अपराध के कुल 3.09 लाख मामले सामने आये थे जो आज से 29 हज़ार कम थे.
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