हम बीजेपी सरकार के मूर्खतापूर्ण बैन का समर्थन क्यों करें
अगले चुनाव तक अधिकांश भारत में इंटरनेट का उपयोग नहीं हो सकेगा. देश के हर कोने में फाइबर ऑप्टिक केबल बिछाने की गति धीमी और लंबी है, धीमी गति की वजह से डिजिटल भारत एक सपना ही रहेगा.
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मैं देर रात एक फिल्म देखने के बाद एक ऑटोरिक्शा ले रहा था. वहां दो ऑटो वाले थे जो फोन पर व्यस्त थे. दोनो में से युवा ऑटोवाले ने मुझे घर पंहुचाया. मैंने उससे पूछा तुम लोग फोन पर क्या कर रहे थे. उसने कहा कि "मेरे दूसरे साथी ने ब्लैकबेरी फोन खरीदा है, मैं उसे बता रहा था कि इस पर इंटरनेट का उपयोग कैसे करते हैं."
इंटरनेट की हमेशा यही कहानी होती है: युवा बुजर्गों को सिखाते हैं. यह एक सैकेंड-हैण्ड फोन था, जो उसने 5,000 रुपये में खरीदा था. मैंने पूछा- वे इंटरनेट पर क्या करेंगे. "अरे, वह ब्लू फिल्म देखना चाहता था. इसलिए मैंने उस बताया कि कैसे गूगल पर जाना है और वहां ब्लू फिल्म टाइप करना है."
मैंने उसे और पूछा कि वो और उसके दोस्त मोबाइल इंटरनेट पर क्या करते हैं. उसने तीन बातें कही: पोर्न, फेसबुक और म्यूजिक डाउनलोड.
दुनिया भर में ऑनलाइन पोर्न इंटरनेट उपयोग का प्रमुख कारण बन गया है. जब लोग WWW पर जाते हैं तो यह पहली चीजों में से एक होता है. पोर्न की लत ही इंटरनेट की लत लगाती है. महिलाएं पोर्न नहीं देखती यह केवल एक मिथक है और वहां कुछ सबूत हैं कि ऑनलाइन पोर्न महिलाओं के खिलाफ ज्यादा हिंसा के लिए प्रेरित करता है.
भारत में इंटरनेट सेंसरशिप का पहला मामला 1999 में सामने आया था, जब सरकार ने कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तानी समाचार साइट Dawn.com को ब्लॉक कर दिया था. तब से इंटरनेट सेंसरशिप कई गुना बढ़ी है. सभी तरह से भारत सरकार ने इंटरनेट पर बहुत सी चीज़ों को सेंसर करने की मूर्खतापूर्ण कोशिश की है. अगर SavitaBhabhi.com को छोड़ दें तो सरकार के एजेंडे में पोर्न कभी नहीं था.
ज़रा सोचिए, कितनी हैरानी की बात है कि पुराने ढंग वाली भारत सरकार को ऑनलाइन पोर्न से चिंतित होने में इतना लंबा वक्त लग गया. हम सभी को श्री रवि शंकर प्रसाद का आभारी होना चाहिए कि उन्होंने हमारी नैतिकता और शालीनता को बचाने का फैसला किया है.
जो लोग अभी भी ऑनलाइन पोर्न देखना चाहते हैं कि उन्हें VPN अपने आस-पास इस्तेमाल करने के लिए मिल जाएगा, यह सॉफ्टवेयर आपके आईपी एड्रेस को छिपाएगा और आपके इंटरनेट सेवा प्रदाता को भी, साथ ही ऐसी सरकार से भी बचाएगा जो यह देखना चाहती है कि आप इंटरनेट पर क्या कर रहे हैं या क्या देख रहे हैं. आपको एक अमेरिकी या आइसलैंडिक या ऑस्ट्रेलियाई आईपी एड्रेस मिल सकता है और जो साइट आपके देश में ब्लॉक हैं, उन्हें आप देख सकते हैं. पाकिस्तान में यूट्यूब ब्लॉक है, लेकिन मेरे सभी पाकिस्तानी दोस्त यूट्यूब के लिंक पोस्ट करते रहते हैं. VPN जिंदाबाद!
इस दौरान लोग अपनी निजी जिन्दगी में इस सरकार की दखल अंदाजी से नाराज हो जाएंगे. इतने वर्षों में ऑनलाइन पोर्न ने किसी की जान नहीं ली है. यह चुनाव में बहस करने लायक मुद्दा नहीं है, लेकिन यह उन कई छोटी-छोटी बातों में से एक है जिनके खिलाफ असंतोष है और जिनसे सरकार मूर्ख दिख रही है.
हम जंतर मंतर पर ऑनलाइन पोर्न के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने में सक्षम नहीं हो सकते हैं, लेकिन क्या यह सरकार से हमें बचाएगा? जो ऑटोवाला और कुछ न होने पर ब्लू फिल्मों के लिए गूगल करता था, आप क्या सोचते हैं कि अब वह मोदी सरकार के बारे में क्या सोच रहा होगा?
मुझे पूरा भरोसा है कि अगले चुनाव के वक्त तक अधिकांश भारत में इंटरनेट का उपयोग नहीं हो सकेगा. देश के हर कोने में फाइबर ऑप्टिक केबल बिछाने की गति धीमी और लंबी है, धीमी गति की वजह से डिजिटल भारत एक सपना ही रहेगा. तो ऐसे में फिर हम लोग कहेंगे कि हमें इंटरनेट पर नग्न शरीर देखने से रोकना श्री रवि शंकर प्रसाद की सबसे बड़ी उपलब्धि थी.
हम जानते हैं कि नैतिकता, अश्लीलता और शालीनता के बारे में विक्टोरियन युग के कानूनों में क्या है: वे मानव शरीर पर शर्मिंदा होने के लिए हैं. कुछ निकर पहने मूर्खों के उलट ज्यादातर भारतीय मानव शरीर के लिए शर्मिंदा नहीं हैं. यह कामसूत्र और खजुराहो की मूर्तियों का देश है.
इसी तरह महाराष्ट्र सरकार का बीफ बैन कृषि अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रहा है. यह उन किसानों को भी प्रभावित कर रहा है जो पहले से ही आत्महत्या के कगार पर हैं. हरियाणा और झारखंड जैसे अन्य भाजपा शासित राज्यों में भी बीफ का व्यापार करने में मुश्किलें पेश आ रही हैं. किसानों को भाड़ में जाने दो और आप मुझे बताओ कि अगला चुनाव जीतने के लिए क्या योजना है.
भारतीय जनता पार्टी को मेरा विनम्र सुझाव: शराब को बेहद महंगा बनाने वाला आरएसएस का सुझाव लागू करें. फिल्मों में गाली सूचक शब्दों पर प्रतिबंध लगाए. बेहतर हो कि पूरी तरह फिल्मों पर प्रतिबंध लगा दें. चलती तस्वीरें हिंदू विरोधी हैं. ऋषिकेश में रिवर राफ्टिंग पर प्रतिबंध लगाने वाला विश्व हिंदू परिषद का सुझाव मान लें.
हम आईआईटी में संघी हस्तक्षेप की आलोचना नहीं करेंगे अगर आप दूर तक जाएंगे और उन्हें गौशालाओं में बदल देंगे. और एफटीआईआई में एक अयोग्य चेयरमैन देने की बात का क्या? आपके खिलाफ असंतोष पैदा होता रहेगा, जब तक आप हमारे संस्थानों में अक्षम निदेशकों और संकाय सदस्यों की तैनाती करते रहेंगे.
आप ज्यादा से ज्यादा सऊदी अरब के वहाबियों की तरह बन जाएं और सभी तरह के आमोद पर प्रतिबंध लगा दें, सारी उम्मीदों को तोड़ दें. कृपया इस काम को भारत पर प्रतिबंध अभियान जैसा कुछ बढ़िया नाम दीजिए और इस पर एक मौन की बात कीजिए. कपिल सिब्बल को गलत बताकर 66A को वापस ले लीजिए और आप के खिलाफ ट्वीट्स लिखने वालों को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताकर जेल में डाल दो. हम आपको धैर्य के साथ झेलते रहेंगे और 2019 में वोट के जरिए बाहर कर देंगे.
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