क्या फांसी की सज़ा से रुकेगा बलात्कार का सिलसिला !
खट्टर सरकार का रेप पर फांसी की बात करना एक स्वागत योग्य फैसला है. मगर अब देखना होगा कि सरकार के गंभीर होने के बाद राज्य में रेप के मामलों में कितनी कमी आती है.
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लगातार कई दिनों से हरियाणा में बेटियों के साथ हो रही बलात्कार के कारण मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने ये ऐलान किया कि 12 साल से कम उम्र की बच्ची के साथ दुष्कर्म करने वाले को फांसी सजा दी जाएगी. और इसके लिए जल्द ही प्रदेश सरकार सख्त कानून लाएगी. इसके लिए वे अदालत से भी अपील करेंगे कि ऐसे मामलों की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में हो और एक-डेढ़ साल में ही फैसला सुनाया जाए, ताकि ऐसी प्रवृति वाले व्यक्तियों में भय का माहौल बने. ऐसा फैसला इस लिए लिया गया क्योंकि एक सप्ताह के अंदर हरियाणा में 8 से ज़्यादा रेप के मामले सामने आए.
बकौल मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर 'मैं इस प्रकार की घटनाओं से बेहद दुखी हूं. हमने मजबूत प्रावधान करने का निर्णय लिया है अगर 12 साल से कम उम्र की लड़कियों के साथ बलात्कार की ऐसी घटनाएं सत्य साबित हुई हैं, तो हम इस सत्र में आरोपियों को सजा-ए-मौत का प्रावधान लाएंगे.'
इसके लिए हरियाणा सरकार को विधानसभा से विधेयक पारित करना होगा तथा उसके बाद उस विधेयक को मंजूरी के लिए भारत सरकार को भेजेंगे और इसके बाद इसे कानूनी मुहर के लिये राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा. जिसके बाद भारतीय दंड संहिता और दंड प्रक्रिया संहिता में संशोधन किया जा सकेगा.
हरियाणा में बढ़ रहे बलात्कार के मामले मुख्यमंत्री के सुशासन के दावे पर सवालियां निशान लगाते हैं
हरियाणा में बलात्कार की घटनाएं
एक तरफ जहां हरियाणा अपना लिंग अनुपात को बढ़कर 914 किया वहीं बलात्कार के मामलों में भी बढ़ोतरी करने का कारनामा अपने नाम कर लिया. राष्ट्रीय क्राइम रिकार्ड़ ब्यूरो के अनुसार 2016 में हरियाणा में 1,187 बलात्कार की घटनाएं दर्ज़ की गई थी जिसमे 191 गैंगरेप की घटनाएं शामिल थी. 2015 में 1,070 बलात्कार की घटनाएं हुई थी यानि कि 2015 के मुक़ाबले 11 प्रतिशत ज़्यादा.
ठीक इसी तरह का फैसला पिछले साल नवम्बर में मध्य प्रदेश सरकार ने लिया था जिसमे 12 साल या उससे कम उम्र की लड़कियों के साथ बालात्कार के दोषियों को फांसी की सजा देने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी और इसके साथ ही कैबिनेट ने गैंगरेप के दोषियों को भी मृत्युदंड प्रस्ताव पारित किया था.
सरकार महिलाओं को सुरक्षा देने में नाकाम
सबके ज़हन में एक सवाल उठना स्वभाविक ही है कि आखिर ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ का नारा देने वाली सरकार अपनी बेटियों की सुरक्षा देने में नाकाम क्यों हो रही है? हालाँकि हरियाणा में महिलाओं का खौफ में जीना कोई नई बात नहीं है चाहे वो खापों के अमानवीय फरमान हों या फिर डेरों के कायर कारनामे और इन सबों में सबसे ज्यादा शिकार वहां की महिलाएं ही हुई हैं. लेकिन राज्य सरकार का रवैया भी सवालों के घेरे में आती रही है. इस प्रदेश की राजनीतिक पार्टियां अपनी वोट को ध्यान में रखते हुए गैरकानूनी एवं अमानवीय खापों के फैसलों के खिलाफ न तो कुछ बोल पाती हैं और ना ही कुछ ठोस कदम उठा पाती है. और यही बात यहां के डेरों पर भी लागू होता है. क्योंकि इनकी पहुंच सत्ता के गलियारे तक होती है और ये लोग बेख़ौफ़ होकर घिनौनी वारदातों को अंजाम देने में नहीं हिचकते. इसका जीता जागता उदाहरण बाबा राम रहीम का सबके सामने है. यही नहीं राज्य के एक वरिष्ठ IAS अधिकारी की बेटी के साथ कथित छेड़छाड़ का मामला लोगों के ज़हन में ताज़ा है.
लेकिन सबसे बड़ा सवाल कि क्या फांसी या मृत्युदंड के सजा के प्रावधान से बलात्कारियों के मन में भय बैठेगा और इससे रेप के मामलों में कमी आएगी? केवल कानून बना देने से ही घटनाओं को रोकना संभव नहीं होता है. ज़्यादातर मामलों में देखा गया है कि इस तरह के मामले में फांसी की सजा का प्रावधान कर दिया जाता है, तो अपराधी सबूत मिटाने के लिए पीड़ितों की हत्या तक कर देते हैं. अब चुकी हरियाणा सरकार रेप के दोषियों खिलाफ फांसी का प्रावधान के पक्ष में है ऐसे में ये तो समय ही बता पाएगा कि इससे बलात्कार पर अंकुश लग पाएगा या नहीं?
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