केरल की कोर्ट का ऐसा है कि,' तेरे पहनावे ने मुझे लुभाया फिर मैंने तुझे छेड़ दिया...!'
महिलाओं के पहनावे पर नजरें टेढ़ी करना दशकों से चला आ रहा है. लेकिन हमें और केरल की अदालत दोनों को इस बात को समझना होगा कि अगर किसी महिला ने छोटे कपड़े पहने हैं तो इसका ये मतलब बिल्कुल नहीं है कि वो 'अवेलेबल' या छेड़खानी को नजरअंदाज करने के लिए तैयार है.
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महिलाओं के पहनावे पर टेढ़ी नजरें सभी डालते हैं. कोई धर्मस्थल हो , शिक्षा संस्थान हो , घर हो , मोहल्ला हो , और क्या ही न्यायालय हो. क्यों ना मान लें कि ये मान्य माइंडसेट है! सो केरल की अदालत भी कह सकती है कि अगर महिला ने भड़काऊ पोशाक पहनी थी तो यौन उत्पीड़न का मामला प्रथम दृष्टया नहीं टिकेगा. और इसी बिना पर 74 वर्षीय विकलांग लेखक सोशल एक्टिविस्ट सिविक चंद्रन को अग्रिम जमानत मिल गयी. दरअसल चंद्रन को अग्रिम जमानत दे दी गई, विरोध नहीं है. लेकिन अग्रिम जमानत देने की वजहों में महिला की पोशाक को भी शामिल करना चिंता का सबब इसलिए भी है क्योंकि महसूस यही होता है कि पितृसत्ता आज भी बदस्तूर कायम है. जबकि अग्रिम जमानत लेने के लिए और तदनुसार देने के लिए एफआईआर का तथाकथित घटना के पांच महीने बाद दर्ज कराया जाना, घटना स्थल पर शिकायतकर्ता के प्रेमी और अन्य कई लोगों की मौजूदगी , आरोपी की आयु और उसकी शारीरिक अक्षमता तमाम वैलिड वजहें थीं.
कपड़ों को लेकर कोर्ट कुछ कह ले लेकिन समझने वाली बात ये है कि छोटे कपड़े छेड़छाड़ का न्योता नहीं हैं
परंतु फिर भी आरोपी ने बेल याचिका में शिकायतकर्ता के सोशल मीडिया अकाउंट पर मौजूद उसकी इरोटिक ड्रेस पहनी तस्वीरों को संलग्न करते हुए बताया कि शिकायतकर्ता खुद ऐसे कपडे पहन रही है जो सेक्सी हैं और अदालत ने भी अग्रिम जमानत देने के लिए इसे वजह मानते हुए कह दिया कि प्रथम दृष्टया आईपीसी की धारा 354a अट्रैक्ट नहीं होती. मान भी लें कि आरोपी कह रहा है कि शिकायतकर्ता ने सेक्सी कपड़ें पहन रखे थे. या सेक्सी कपड़े पहनती है.
तो क्या इससे उसे छेड़ने की आजादी मिल जाती है और उसने शिकायतकर्ता को, जैसा वह आरोप लगा रही है, उत्तेजनावश छेड़ दिया ? क्या आरोपी का पोशाक को आधार बनाना ही उसे संदेह के घेरे में नहीं लाता ? और विडंबना देखिये माननीय अदालत भी इस वजह को अग्रिम जमानत देने के लिए प्रमुखता देती है. यही तो पितृसत्ता है जो स्वतः ही झलक उठती है और बता जाती है कि #GenderEquality सरीखा अभियान सिर्फ और सिर्फ छलावा है.
सिर्फ महिलाओं के पहनावे से ही क्यों सामाजिक शिष्टता तार-तार होती हैं? क्या सामाजिक शिष्टता में पुरुषों की कहीं कोई भागीदारी नहीं होती? ज्यादा दिन नहीं हुए शायद अगस्त महीने में ही ध्यान आकर्षित किया था कोलकाता के जाने माने शिक्षण संस्थान संत यूनिवर्सिटी के एक वाकये ने. एक महिला एसोसिएट प्रोफ़ेसर को इसलिए नौकरी से निकाल दिया गया कि उनकी बिकनी, शॉर्ट्स और जिम के कपड़ों में कुछ तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही थीं.
हालांकि ये तमाम तस्वीरें तब की थीं जब वे इस संस्थान में प्रोफेसर नियुक्त नहीं हुई थीं. वाइस-चांसलर फादर फेलिक्स का पितृसत्तत्मकता वाला एप्रोच था जिसके तहत उन्होंने प्रोफेसर से पूछा कि क्या उनकी मां ने इन तस्वीरों को मंजूरी दी है और क्या वे उचित ड्रेस कोड का पालन करते हैं ? किसी अन्य ने पूछा कि क्या इस तरह की तस्वीरें पोस्ट करना सही है ? बावजूद माफ़ी मांगने के प्रोफेसर को ना केवल कॉलेज छोड़ने के लिए कहा गया बल्कि उनके कानूनी नोटिस के जवाब में यूनिवर्सिटी ने 99 करोड़ रुपये का मानहानि का दावा ठोंक दिया.
हुई ना उल्टा चोर कोतवाल को डांटे वाली बात ! जो भी हो संस्थान से भारी चूक हुई है. महिला प्रोफेसर को न्याय मिलना चाहिए लेकिन फिर केरल की अदालत के निर्णय से हताशा घर कर जाती है. विश कोलकाता की संबंधित अदालत में पितृसत्तावादी न्यायाधीश ना हों ! केरल की माननीय अदालत से भारी चूक हुई है अग्रिम जमानत को जस्टिफाई करने के प्रयास में. उनका आर्डर ही बतौर नजीर पेश किया जाएगा आने वाले समय में.
सवाल ये है कि तो क्या अब धारा 354 को ही स्क्रैप कर दिया जाए? आज तो महिलाएं आम छोटे कपड़ें पहनती है, खुले तौर पर वे मानती हैं कि वे सेक्सी दिखना चाहती हैं. फिर ड्रेस का उत्तेजक होना भी निर्भर करता है नजरों पर ! कहने का मतलब कपड़ें छोटे, उत्तेजक हों , फर्क नहीं पड़ता.
फर्क पड़ता है मर्दों की कुत्सित नजरों से और सिर्फ यही क्राइटेरिया भी होना चाहिए सेक्शन 354 के लिए ! और अंत में लगता है अगस्त महीना ही भारी है नारीवाद पर, देश में और विदेश में भी! सऊदी में ट्विटर यूज करने के लिए दो बच्चों की सलमा को 34 साल की सजा हो गई. यहां है कि रेपिस्ट छोड़े जा रहे हैं, शीर्ष अदालत को प्रथम दृष्टया तलाक -ए -हसन अनुचित नहीं लगता और लडकियां तो होती ही हैं छेड़ने के लिए या कहें तो उनकी चाहत होती है कि कोई बंदा छेड़े उन्हें ! बट ऑन ए लाइटर नोट हसीन जवां लड़की को कोई ओल्ड एज्ड बंदा छेड़े, कैसे गवारा होगा ?
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