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Updated: 07 सितम्बर, 2018 03:27 PM
पारुल चंद्रा
पारुल चंद्रा
  @parulchandraa
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अरेंज्ड मैरिज में जब लड़का देखा जाता है, तो जवाब मिलता है 'देखिए जी, हमारे लड़के में कोई ऐब नहीं है, कोई ऐसी-वैसी आदत नहीं है'. फिर भी उसकी पूरी इंक्वायरी की जाती है. कुल मिला कर रिश्ता ठोक-बजा कर ही होता है, पर शादी के बाद ऐसी कई सारी बातें खुलती हैं कि सारी की सारी रिसर्च धरी की धरी रह जाती है. 

लड़के का शराब पीना, या किसी और ऐब में होना तक तो आपने सुना होगा, लेकिन शादी के बाद बैंगलुरू की एक महिला का सामना अपने पति की उस सच्चाई से हुआ जो कोई सपने में भी नहीं सोच सकता. इस लड़के में भी कोई ऐब नहीं थी, लेकिन आदत को ऐसी-वैसी कहा जा सकता है. असल में महिला के पति को महिलाओं की तरह कपड़े पहनना और मेकअप करने का शौक था. और शौक इस हद तक था कि सुहागरात पर भी पति ने पत्नी की तरह कपड़े पहने और मेकअप किया.

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 घर में महिला बनकर रहता था पति

29 साल की ये महिला सॉफ्टवेयर कंपनी में काम करती है और उसका पति एक आई टी कंपनी में. महिला का कहना है कि सुबह ऑफिस जाते समय पति बिल्कुल ठीक रहता है, और घर वापस आते ही वो अपने पसंदीदा कपड़े, मैचिंग जूलरी और मैकअप करता है. वो ये भी कहती हैं कि पति जो महिलाओं की तरह रहता है, वो लेस्बियन रिलेशनशिप पसंद करता है और सिर्फ उसी शर्त पर उससे संबंध बनाएगा.

शादी को एक साल हो गया, पर पति की हरकतें नहीं सुधरीं, हारकर पत्नी ने पुलिस में शिकायत और तलाक की मांग की. तलाक होना भी चाहिए क्योंकि एक महिला को सामान्य सा घर और एक पति चाहिए होता है वो उसे नहीं मिला, उधर पति को भी उसकी जरूरतें समझने वाले लाइफ पार्टनर की जरूरत थी. जिसमें उसकी पत्नी फिट नहीं बैठ रही थीं. फिट बैठेगी भी कैसे, क्योंकि पत्नी को रोल तो वो खुद अदा करना चाहता था.

यहां लड़के के घरवालों ने लड़के की इस सच्चाई को छिपाया, जैसे अक्सर लड़कों की हरकतों और आदतो पर पर्दा डाला जाता है और ये मानकर शादी कर दी जाती है कि 'शादी के बाद सब ठीक हो जाएगा'. पर यहां तो इस अरेंज्ड मैरिज का दी एंड हो गया.

आपको ये जानकर हैरानी होगी कि इस महिला का पति अकेला एसा शख्स नहीं था जिसे इस तरह का अजीब शौक हो, बल्कि याद करेंगे तो आई जी डी के पांडा का नाम भी याद आएगा, जो खुद को दूसरी राधा कहते थे.   

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 आई जी डी के पांडा  जो खुद को दूसरी राधा कहते थे

आखिर क्यों करते हैं लोग ऐसा

दरअसल इस शौक या इस काम को ट्रांसवेस्टिज्म कहा जाता है. ये वो प्रेक्टिस है जिसमें व्यक्ति विपरीत जेंडर की तरह कपड़े पहनता और उसी तरह व्यवहार करता है. ये नाम भले ही 1910 में दिया गया हो, लेकिन ऐसे लोगों का जिक्र बाइबल में भी मिलता है. ये लोग ट्रांससेक्सुअल से अलग होते हैं, क्योंकि ये ट्रांससेक्सुअल्स की तरह अपने सेक्स चेंज नहीं कराना चाहते. ये एक तरह का मानसिक विकार है. पर अक्सर लोग इसे समलैंगिकता से जोड़ने की गलती करते हैं.

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19वीं सदी में फोटोग्राफर Wilhelm von Gloeden ने एक सिलीसियन लड़के की तस्वीर खींची जो स्पैनिश महिला की तरह कपड़े पहनकर रहता था. इस तस्वीर को इस तरह का शौक रखने वालों की पहली तस्वीर कहा जा सकता है.

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लेखक

पारुल चंद्रा पारुल चंद्रा @parulchandraa

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं

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