दुनिया का सबसे सूखा शहर, जो बसा है दुनिया की सबसे लंबी नदी के किनारे !
आखिरी बार इस शहर में 2006 में ठीक ठाक बारिश हुई थी और ये शहर हर साल सिर्फ 0.5 मिलीमीटर बारिश ही पाता है. ऐसे में आश्चर्य से कम नहीं है, यहां के लोगों का जीवन.
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भारत में अधिकतर लोगों को गर्मियों का मौसम पसंद नहीं होता. चिलचिलाती हुई धूप, गर्मी, पसीना और पानी की किल्लत. सवाल ये है कि ये समस्या, आपके शहर में कितने दिन रहती हैं? शायद 4 महीने से थोड़ा ज्यादा क्योंकि कई इलाके ज्यादा गर्म है, लेकिन कम से कम बाकी मौसम तो आते हैं. पर दुनिया में कुछ जगहें ऐसी भी हैं जहां सिर्फ और सिर्फ गर्मी ही पड़ती है. ऐसे शहर जहां सालों में एक बार बारिश होती है. iChowk.in अपनी ट्रैवल सीरीज 'अजीब शहर: अनोखा जीवन' में ऐसे ही शहरों के बारे में बताएगा जहां लोग एकदम चरम परिस्थितियों में रहते हैं. इसी कड़ी में आज बता रहे हैं दुनिया के सबसे सूखे शहर के बारे में...
अस्वान ईजिप्ट के बड़े शहरों में से एक है. आस्वान जिससे रूठे हुए हैं वरुण देव-
इजिप्ट के आस्वान शहर को दुनिया का सबसे सूखे शहर माना जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि यहां एक बड़ी आबादी स्थाई रूप से निवास करती है बावजूद इसके कि यहां सालोंसाल बारिश नहीं होती. ये शहर दुनिया की सबसे बड़ी नदी नील नदी के किनारे बसा है.
12-12 साल तक ठीकठाक बारिश का इंतजार करता है आस्वान
इस हेडिंग को देखकर ही शायद आप समझ गए होंगे कि यहां बारिश की स्थिति क्या है. अस्वान में आखिरी बार ठीक-ठाक बारिश 2006 में हुई थी और उससे पहले 1994 में. अब खुद ही गणित लगा लीजिए कि यहां सालाना एवरेज बारिश 0.5mm से भी कम की है.
आस्वान के लोग अक्सर खुली छत वाले घरों में रहना पसंद करते हैं क्योंकि उससे अनुकूल रूप से हवा आती रहती है.
वैसे तो दुनिया की सबसे गर्म और सूखी जगह डल्लोल (अफ्रीका, इथिओपिया) है. लेकिन वहां भी पानी मौजूद है जो जहरीला है. डल्लोल में रिसर्च करने वाले या नमक का व्यापार करने वाले ही रोज जाते हैं. यानी वे स्थायी रूप सेे नहीं रहते. इसके अलावा दुनिया में जगहेंं ऐसी हैं, जहां इतना भयानक सूखा पड़ता है कि इंंसान का रहना नामुमकिन है. ऐसी सबसे विषम जगह हैं एनटार्कटिका. जी हां, हमेशा बर्फ से घिरा रहने वाले इस महाद्वीप में कई जगहें ऐसी है जहां दो मिलियन साल पहले बारिश हुई थी इन्हें The Dry Valleys in Antarctica कहा जाता है.
फिर कैसे यहां रहते हैं लोग?
यहां पर लोग स्थाई रूप से रहते हैं क्योंकि ये शहर नील नदी के किनारे बसा हुआ है जिसके लिए पानी का एक मात्र स्त्रोत यही है. यही पानी का एकमात्र स्त्रोत है जो अस्वान को इंसानों के रहने लायक बनाता है. कुछ इतिहासकार मानते हैं कि अस्वान को प्राचीन मिस्र में स्वेनेट कहा जाता था, लेकिन वक्त के साथ-साथ ये अस्वान हो गया. लेकिन बारिश न होने के कारण आस्वान ही नहीं बाकी ईजिप्ट में भी खेती न के बराबर होती थी, लेकिन इस इलाके की किस्मत बदली आस्वान डैम ने.
आस्वान डैम बेहद खास है क्योंकि ये उस देश के ही नहीं बल्कि दुनिया के सबसे बड़े डैम में से एक है. इसे 1960 के दशक में बनाना शुरू किया गया था और ये 1970 तक बनाया गया था. इसे बनने में 10 साल लगे थे. इस डैम के कारण ही ईजिप्ट में इंटस्ट्रियलाइजेशन का विकास हुआ और वहां की अर्थव्यवस्था और सभ्यता फल फूल पाई. इस बड़े डैम को बनाने से पहले 1902 में आस्वान लो डैम बनाया गया था जिससे थोड़ा सा फायदा मिला था. इसके 50 साल बाद आस्वान के बड़े डैम की नींव पड़ी थी. उसके पहले हर साल नील नदी में आने वाली बाढ़ से काफी नुकसान होता था.
आस्वान ही नहीं बल्कि ईजिप्ट के कई शहर इस नदी के आस-पास बसते हैं, लेकिन आस्वान खास इनमें सबसे बड़ा है. आस्वान के डैम से पूरे ईजिप्ट को होने वाली पानी की सप्लाई का 95% मिलता है.
इस तस्वीर को एक छलावा ही कहा जा सकता है क्योंकि जिस शहर को सबसे सूखे शहर का तमगा हासिल है उसमें टूरिस्ट को आकर्षित करने के लिए न सिर्फ कृत्रिम तालाब हैं बल्कि नदी का एक हिस्सा ऐसा भी है जहां रिजॉर्ट बने हैं
इसी डैम में जो पानी है उससे बना है दुनिया का सबसे बड़ा कृत्रिम तालाब नासार. शहर में एक और छोटा डैम है जो बहुत अच्छा है. ये जगह कितनी सूखी है इसका अंदाजा ऐसे लगाया जा सकता है कि यहां के लोग जिन्हें नूबियन (Nubian) कहा जाता है उनका रंग मिस्र के बाकी लोगों से ज्यादा गहरा होता है और इसीलिए ये भी कहा जाता था पुराने जमाने में कि अस्वान ही एक ऐसी जगह है जहां अरब खत्म होता है और अफ्रीका शुरू (ये सिर्फ पुरानी बातें ही है, असल में मिस्र अफ्रीका महाद्वीप में ही है.)
आस्वान का डैम बनने के बाद ही यहां खेती संभव हो पाई क्योंकि यहां पानी की कमी को खत्म करने की कोशिशें शुरू हुईं. इस डैम के ही कारण नील नदी के पास डेल्टा (नदी के मुहाने पर बनी तिकोनी भूमी) की 840,000 हैक्टेयर भूमि खेती के लिए मिल पाई और इसी भूमी पर खेती की शुरुआत ठीक से हो पाई. इस इलाके में चावल और गन्ने की खेती की शुरुआत हो पाई और एक ही तरह के अनाज से छुटकारा मिल पाया. इसके बाद किसान एक साल में एक से ज्यादा अनाज उगा पाए. इस डैम के बनने के पहले 40 प्रतिशत नील नदी का स्वच्छ पानी समुद्र में चला जाता था, लेकिन इसके बनने के बाद ही ये लोगों के अच्छे उपयोग में आ पाया.
शहर में भले ही तालाब, नदी, डैम आदि सब हो, लेकिन इसकी सीमा से थोड़े दूर पर ही देखेंगे तो ऐसे किसान भी हैं जिन्हें हर दिन पानी के लिए 40 किलोमीटर चलना पड़ता है. ये कोई अनोखी बात नहीं है. भले ही डैम ने पानी की कमी को कम कर दिया है, लेकिन फिर भी यहां बहुत से लोग ऐसे हैं जिन्हें रोजाना पानी के लिए समस्या झेलनी पड़ती है.
लोगों के यहां बसने की एक और वजह-
एक कारण लोगों के यहां बसने का ये भी है क्योंकि ये शहर मिस्र की सभ्यता और इतिहास को अपने अंदर समेटे हुए है, ऐसे में साल भर यहां पर्यटकों का मेला लगा रहता है. प्राचीन मिस्र को देखने की इच्छा रखने वाले लोगों को यहां पिरामिड्स, मंदिर, प्राचीनकाल की पेंटिंग और मिस्र की संस्कृति का अनूठा नमूना मिलता. Tomb of the Nobles अस्वान की सबसे महत्वपूर्ण जगह है. यहां 4000 साल से भी पुरानी कब्रें हैं जिनपर उतनी ही पुरानी पेंटिंग्स बनी हुई हैं. ये पेंटिंग्स कहानियां बताती हैं कि उस दौर में किस तरह की जिंदगी थी. यही कारण है की टूरिस्ट का यहां आना जाना लगा रहता है और लोगों की आजीविका का एक ये भी अच्छा साधन है.
ये कब्रगाह 4000 साल पुरानी है.
यहां पुराने जमाने की कई पेंटिंग्स मिल जाएंगी.
इसके अलावा, अस्वान के अबू सिम्बल (Abu Simbel) मंदिर भी कुछ खास है. ये मिस्र के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है. यहां चार विशालकाय पत्थरों पर चार सैनिकों जैसी आकृति बनाई गई है जो मान्यता के अनुसार इलाके की रक्षा करते हैं. इसके अलावा, फिलाई मंदिर (Philae temple) भी है जो यहां की 2500 साल पुरानी सभ्यता को दिखाता है. ये UNESCO वर्ल्ड हैरिटेज साइट है. ये सब अद्भुत इतिहास देखने जब दुनिया के लोग आस्वान आते हैं तो यहां के लोगों को रोजगार भी मिलता है.
अस्वान का Abu Simbel मंदिर
यहां की जिंदगी बहुत कठिन है और इतनी सुविधाएं और इतनी मॉर्डन होने के बाद भी इस शहर के लोगों को सूखे के कारण बहुत परेशानी उठानी पड़ती है, लेकिन आखिर ये उनका घर है और वो इसे छोड़कर नहीं जा सकते.
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