फेक, डुप्लीकेट बाबाओं पर, त्रिशूल का वार है अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की ये लिस्ट
बाबाओं ने इन दिनों नाक में दम कर रखा है. जहां देखो वहीं बाबा जिसे देखो वही बाबा ऐसे में "बाबाओं" पर नियंत्रण के लिए अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने जो किया उसका स्वागत बिल्कुल होना चाहिए.
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साल 2017 खत्म होने को है और चमत्कार हैं जो खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहे. मतलब ऐसे समझिये कि अभी एक चमत्कार के खत्म होने से आश्चर्यचकित मन शांत भी नहीं हुआ था कि दूसरा चमत्कार आ गया. बात चमत्कार पर चल रही है तो ऐसे में हम भारत जैसे रहस्यमय देश में रहकर इधर उधर गमन करते हुए या फिर बड़े बड़े आश्रम बनाकर भोली भाली एकदम क्यूट सी जनता को बेवकूफ बनाने वाले बाबाओं को नहीं नकार सकते. चमत्कार के नाम पर गंध मचाने वाले बाबाओं से इन दिनों शासन प्रशासन और सरकार सब बड़े त्रस्त हैं. किसी को समझ ही नहीं आ रहा है कि ओरिजिनल और एकदम असली वाला बाबा कौन है, नकली बाबा बनने के लिए व्यक्ति में कैसे गुण होने चाहिए.अब जब पुलिस और प्रशासन ही ओरिजिनल और डुप्लीकेट में अंतर नहीं कर पा रहा तो ऐसे में आम आदमी की बिसात क्या.
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद जिसे असली कहेगा वही बाबा असली माना जाएगा
बहरहाल जो लोग बाबाओं के ओरिजिनल और डुप्लीकेट के सवाल पर अपना खून जला रहे हैं और अपना ब्लड प्रेशर बढ़ा रहे हैं उनके लिए अच्छी खबर है. बाबाओं की क्रेडिबिलिटी पर देश की जनता को टेंशन में देख अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने बीते दिन फिर एक मीटिंग की है और मीटिंग में सबने फर्जी साधुओं की दूसरी लिस्ट जारी की है. जी हां बिल्कुल सही सुन रहे हैं आप. दूसरी लिस्ट में तीन बाबाओं को फर्जी घोषित किया गया है, जिसमें स्वामी सचिदानंद सरस्वती, वीरेंद्र देव दीक्षित और साध्वी त्रिकाल भवंता का नाम है. अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने मौके की नजाकत को देखते हुए इन बाबाओं का सामाजिक बहिष्कार करने की अपील की है.
आज व्यक्ति के लिए बड़ा मुश्किल है ये पहचानना कि कौन बाबा असली है और कौन नकली
ध्यान रहे कि इस बैठक में 13 अखाड़ों के प्रतिनिधि शामिल हुए थे जहां सर्वसम्मति से तीन बाबाओं को फर्जी घोषित किया गया और उन्होंने सात प्रस्तावों को भी पारित किया. आपको बताते चलें कि फर्जी बाबा की सूची में पहले नम्बर पर बस्ती के स्वामी सचिदानंद सरस्वती को रखा गया. दूसरे नम्बर पर दिल्ली के वीरेंद्र देव दीक्षित का नाम है, जिन पर आध्यात्मिक विश्वविद्यालय के नाम पर महिलाओं के यौन शोषण का आरोप लगा है. तीसरे नंबर पर परी अखाड़े इलाहाबाद की त्रिकाल भवंता है, जो खुद को पीठाधीश्वर बताती हैं. शायद आपने वो खबर पढ़ी हो जब त्रिकाल भवंता ने उज्जैन के सिंहस्थ कुंभ में पीठाधीश्वर के रूप में सुविधाओं के लिए हंगामा मचाया था और कानून व्यवस्था को लोहे के चने चबवाए थे.
गौरतलब है कि इन दिनों "फेक बाबाओं" की अय्याशी से सारा देश परेशान है. रोज़ ऐसी-ऐसी ख़बरें आ रही हैं जिनको देखकर या पढ़कर व्यक्ति दांतों तले अंगुली दबाने पर मजबूर है. मामले की सीरियसनेस पर अखाड़ा परिषद् के अध्यक्ष स्वामी नरेंद्र गिरि ने एकदम सीरियस होकर मीडिया से भी अपील की है कि मीडिया भी ऐसे बाबाओं का बहिष्कार करना चाहिए, जो समाज को गलत दिशा देकर अपना लाभ उठा रहे हैं. साथ ही बैठक में स्वामी नरेंद्र गिरि ने कुंभ मेले से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करते हुए राज्य सरकार से पर्याप्त सम्मान व सुविधाओं की मांग भी उठाई है.
खैर, महंत नरेंद्र गिरि और परिषद की ओर से जारी नई सूची को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजा जाएगा ताकि ये लोग भी "अपने-अपने" स्तर से "फेक बाबाओं"पर कार्रवाई करते हुए उन्हें समाज से बहिष्कृत कर कड़ी से कड़ी सजा दें. अंत में इतना ही कि परिषद के लोगों द्वारा "फेक बाबाओं" को चिन्हित करना और उनकी लिस्ट जारी करना ये 2017 की अच्छी ख़बरों में से एक है और जब भी इतिहास 2017 को याद करेगा उसके सामने ये ऐतिहासिक खबर प्लेटिनम की अंगूठी की तरह चमकेगी.
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