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Updated: 09 जुलाई, 2015 10:12 AM
टीएस सुधीर
टीएस सुधीर
 
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मैंने यासीन भटकल के वकील शेख सैफुल्लाह से मुलाकात की. उन्होंने मुझे बताया कि उनके मुवक्किल को डर है कि उसे मार दिया जाएगा. जब मैंने अपनी इस मुलाकात के बारे में पहला ट्वीट किया था, पहला प्यार सा ट्वीट आया था. "भटकल को परमवीर चक्र दिलाने के लिए क्या मीडिया को पहल नहीं करनी चाहिए?" वह व्यंग्यात्मक संदेश था कि यासीन भटकल जैसे लोगों को आवाज उठाने का हक नहीं है, उन्हें वकील की जरूरत नहीं है, यहां तक कि वो एक ट्वीट के लायक भी नहीं है.

उसके बाद आए दूसरे ट्वीट्स और ज्यादा सख्त लहजे वाले थे. एक मैसेज था. "इन कुत्तों को भी डर लगता है मरने का? तो मरने दो सालों को."

हैदराबाद में फरवरी 2013 को दिलसुखनगर हुए विस्फोट मामले में 32 वर्षीय भटकल की पैरवी कर रहे सैफुल्लाह को सड़कों पर लोगों के जज़्बात के बारे में पता है. लेकिन शायद सभी बचाव पक्ष के वकीलों की तरह वह भी उनके मुवक्किल के खिलाफ एनआईए की शिकायत को फर्जी समझते हैं. वह कहते हैं "आरोप पत्र के मुताबिक एनआईए खुद मानती है कि हैदराबाद विस्फोट के समय भटकल भारत में नहीं था. वह आरोपी नंबर पांच है, जिस पर साजिश रचने और आतंकी हमले की सफलता के लिए दुआ करने का आरोप है. अब एनआईए कैसे साबित करेगा कि वह सच में दुआ कर रहा था."

नवंबर 2014 से यासीन हैदराबाद की चेरलापल्ली जेल के एक हाई सिक्यूरिटी सेल में बंद है. वह 500 गवाहों वाले दिलसुखनगर मामले में फैसला हो जाने तक शहर छोड़ कर कहीं नहीं जा सकता और इस मामले का एक पल में खत्म हो जाना मुमकिन नहीं है.

लेकिन भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की नजर में देश के सबसे खूंखार आतंकवादी को डर है कि वह लंबे समय तक जिंदा नहीं रहेगा. उसे शक है कि उसे खत्म करने की साजिश रची जा चुकी है और दमिश्क की मदद से बच निकलने की उसकी कथित योजना की अफवाह केवल माहौल बनाने के लिए है. यासीन ने अपने वकील को बताया कि उसने कभी अपनी पत्नी से दमिश्क के बारे में कोई बात नहीं की. उसने अदालत से उसकी सेल के आसपास सीसीटीवी कैमरे लगाने और 24x7 निगरानी करने की मांग भी की है. वे वजह बताते हैं "वरना वे लोग एक नई कहानी बना देंगे कि कैसे वह भागने की कोशिश कर रहा था और गोली लगने से उसकी मौत हो गई." यासीन को लगता है कि दमिश्क की कहानी उस खेल का पहला कदम है, जो उसे एक फर्जी मुठभेड़ में मार डालने के लिए तैयार किया गया है.

सैफुल्लाह ने कहा कि कुछ महीनों पहले एक सप्ताह की पुलिस हिरासत के दौरान यासीन एक बार हिल गया था. यासीन भटकल ने एनआईए जांचकर्ताओं पर आरोप लगाया था कि उन्होंने उसे कहा है कि अगर वह बरी होने के लिए केस लड़ने का सपना देख रहा है, तो वह भी वकार की तरह उसे पूरा कर सकते हैं. 7 अप्रैल को एक कथित आतंकी वकार और चार अन्य विचाराधीन कैदियों की वारंगल जेल से हैदराबाद अदालत ले जाते वक्त पुलिसकर्मियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. पुलिस ने दावा किया था कि हथकड़ी लगे कैदी भागने की योजना बना रहे थे. लेकिन भटकल ने कभी अदालत से शिकायत नहीं की, वो तर्क देता है पर कोई उसकी कहानी पर यकीन नहीं करता.

तीन महीने पहले यासीन ने अदालत से उसकी विशेष सेल में "सूरज की रोशनी, ताजी हवा और पानी" के लिए गुहार लगाई थी, उसका तर्क था कि वह त्वचा और गैस्ट्रिक समस्याओं सहित कई बीमारियों से पीड़ित है. उसके वकील का कहना है कि अभी तक उसकी मांग पर कोई कार्यवाही नहीं हुई.

यासीन भटकल, जिसका असली नाम अहमद सिद्दीबापा है, केवल अपने पुराने दिनों को याद कर सकता है. जहां तटीय कर्नाटक में सुंदर बंदरगाह वाले शहर में उसका घर था. जहां कभी धूप, ताजी हवा और पानी की कमी नहीं होती. लेकिन तब उसे यात्रा करने की बजाय सड़क पर अपनी राह चुनने के लिए दोषी ठहराया जा रहा है.

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लेखक

टीएस सुधीर टीएस सुधीर

लेखक इंडिया टुडे ग्रुप में एडिटर (साउथ इंडिया) हैं.

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