New

होम -> समाज

 |  4-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 16 जनवरी, 2017 07:55 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
  • Total Shares

एक बेहतर समाज के निर्माण के लिए जितना जरूरी विकास है उतना ही जरूरी बदलाव है. विकास की बात नेता करते हैं, बदलाव व्यक्ति लाता है. कह सकते हैं यदि समाज वृक्ष है तो व्यक्ति उसका तना है. तना मजबूत होगा तो वृक्ष जाड़े, गर्मी, बरसात, आंधी, पाले का सामना डटकर और बेखौफ होकर कर सकता है. शायद इसको पढ़ने के बाद अपने दिमाग में ये विचार आए कि आखिर ऐसी क्या वजह है, जिसके चलते आज हम अचानक से इतने भावुक और पर्यावरण के प्रति इतने संजीदा हो गए हैं. तो इसकी वजह पहलवान योगेश्वर दत्त हैं जिन्होंने कुछ ऐसा कर दिया है जो आने वाले वक्त में इतिहास में दर्ज हो कर समाज के लिए एक मिसाल पेश करेगा.  

कई अहम सामाजिक मुद्दों पर, बड़ी ही बेबाकी से, अपने खास अंदाज में अपना मत प्रकट करने वाले पहलवान योगेश्वर दत्त शादी जैसी संस्था में मिलने वाले दहेज के खिलाफ हैं. उन्होंने अपनी शादी में मिलने वाले दहेज को सिरे से खारिज किया है. बताया जा रहा है कि अपनी शादी में योगेश्वर दत्त ने कन्या पक्ष से केवल एक रुपया बतौर शगुन लिया है.

yogeswar650_011617041930.jpg
शगुन में लिए सिर्फ एक रुपये

ये भी पढ़ें- वक्‍त बदला, रिवाज बदले तो दहेज मांगने का अंदाज भी बदला

आपको बताते चलें कि इसी विषय पर योगेश्वर ने ट्विटर पर एक फैन द्वारा पूछे गए सवाल की कड़े शब्दों में निंदा की और उसे करारा जवाब दिया. ट्विटर पर किसी ने उनके ट्वीट पर रिप्लाई देते हुए मिलने वाले एक रुपए को दहेज बताया था जिसपर अपना रुख साफ करते हुए योगेश्वर ने लिखा की यह दहेज नहीं, शगुन है. ट्वीट में योगेश्वर ने कहा था की 'सनातन धर्म में किसी भी शुभ अवसर पर शगुन या नेग दिया जाता है, मैंने एक रुपए का शगुन स्वीकार किया है न कि दहेज. शब्दों के चुनाव ठीक से करें.'

ट्विटर पर दिए गए इस रिप्लाई से एक बात तो साफ है कि योगेश्वर रिंग में जितने आक्रामक हैं सोशल मीडिया पर भी उन्हें कम आंका जाना किसी भी व्यक्ति के लिए बड़ी भूल होगी. गौरतलब है कि सोमवार को योगेश्वर का विवाह दिल्ली की शीतल से हो रहा है. कहा जा रहा है कि योगेश्वर की ये शादी उनके गुरु मास्टर सतबीर ने करवाई है जिन्होंने कांग्रेस नेता की पुत्री शीतल से उनका रिश्ता तय कराया है. ज्ञात हो कि शनिवार को सोनीपत के एक बैंक्वेट हॉल में दोनों की सगाई हुई थी, जहां योगेश्वर ने टीका रस्म में सिर्फ 1 रुपया बतौर शगुन लिया था. 

योगेश्वर का ये फैसला उन लोगों के लिए एक प्रेरणा है जो अदना सी नौकरी या किसी महत्वपूर्ण पद पर आने के बाद दहेज की मांग करते हैं और दहेज न मिलने पर कन्या को तरह-तरह से प्रताड़ित करते हैं. साथ ही ये बात इस ओर भी इशारा करती है कि एक पुरुष से जुड़ने वाली हर महिला अपना भाग्य साथ लेकर आती है. ऐसे में यदि कोई पुरुष दहेज की मांग कर रहा है तो उसका निश्चित तौर पर समाज के लोगों द्वारा सामूहिक बहिष्कार होना चाहिए.  

ये भी पढ़ें- मुस्लिम महिला ने दहेज मांग रहे पति को फोन पर दे दिया तलाक 

अंत में हम इतना ही कहेंगे कि, सबसे कम लिंगानुपात वाले राज्यों में शुमार, हरियाणा से ताल्लुख रखने वाले योगेश्वर ने प्रदेश के लोगों के लिए भी एक बड़ा उदाहरण पेश करते हुए इस बात का पुरज़ोर समर्थन किया है कि दहेज एक सामाजिक कुरीति है जिसका हमें मिलकर विरोध करना चाहिए. योगेश्वर के इस उम्दा कृत्य के बाद ये कहना हमारे लिए अतिशयोक्ति न होगा कि देश खासतौर से देश का युवा बदल रहा है जो एक बेहतर से भी बेहतरीन भारत का सपना अपनी आंखों में संजोए हुए है. हमारे प्रिय योगेश्वर को शादी की ढेर सारी मुबारकबाद.

लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय