Aus Vs Ind Hockey Match: कौन हैं गुरजीत कौर और सविता पूनिया? भारत की नई सुपरस्टार
भारतीय हॉकी का यह ऐतिहासिक समय है. इस जीत के बाद गुरजीत कौर और सविता पूनिया ये दो नाम पूरी दुनियां में छा गए हैं. गुरजीत कौर का गोल सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा ट्रेंड कर रहा है. वहीं भारतीय गोलकीपर सविता पूनिया ने ऑस्ट्रेलियाई फॉरवर्ड को अकेले संभाले रखा...
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ओलंपिक में भारतीय नारी कमाल कर रहीं हैं. सच में भारतीय हॉकी का यह ऐतिहासिक समय है. टोक्यो ओलंपिक में हॉकी मैच ने लोगों की धड़कनें बढ़ा दी हैं. तीन बार की गोल्ड मेडलिस्ट ऑस्ट्रेलिया को भारतीय महिला हॉकी टीम ने 1-0 से हराकर पहली बार सेमीफाइनल में जगह बना ली है. सभी देशवासी अपनी भारतीय टीम पर गर्व कर रहे हैं.
इस इतिहास को कायम करने में टीम के हर एक सदस्य की अहम भूमिका रही है. वहीं इस जीत के बाद, गुरजीत कौर और सविता पूनिया ये दो नाम पूरी दुनियां में छा गए हैं. गुरजीत कौर का 'गोल' सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा ट्रेंड कर रहा है. वहीं भारतीय गोलकीपर सविता पूनिया ने ऑस्ट्रेलियाई फॉरवर्ड को अकेले संभाले रखा और उन्हें कोई गोल नहीं करने दिया. इस जीत पर तो शब्द नहीं मिल रहे हैं, क्या लिखा जाए, क्या कहा जाए. पूरा देश जश्न मना रहा है और लोग इंडिया-इंडिया चिल्ला रहे हैं. गुरजीत कौर और सविता पुनिया ये वो नाम हैं जो ओलंपिक में भारत के जीत के सूत्रधार बन गए हैं.
भारतीय हॉकी की सुपर खिलाड़ी गुरजीत कौर और सविता पूनिया
इस मैच के 22वें मिनट में गुरजीत ने पेनल्टी कार्नर पर महत्वपूर्ण गोल किया. इसके बाद भारतीय टीम ने अपनी पूरी ताकत गोल बचाने में लगा दी जिसमें वह सफल भी रही. गोल कीपर सविता ने बेहतरीन खेल दिखाया और बाकी रक्षकों ने उनका अच्छा साथ दिया. इन्हें लोग भारत की नई सुपरस्टार कह रहे हैं. आइए इनके बारें में आपको बताते हैं कि ये कौन हैं और किस तरह यहां तक पहुंची हैं.
गुरजीत कौर और सविता पूनिया ये दो नाम पूरी दुनियां में छा गए हैं
गुरजीत कौर, भारतीय महिला हॉकी टीम में एकमात्र ड्रैग फ्लिक विशेषज्ञ हैं. जिनके गोल से भारत ने आस्ट्रेलिया को 1-0 से मात दी. असल में ड्रैग फ्लिक को रोकने में ऑस्ट्रेलिया की डिफेंडर्स माहिर मानी जाती हैं लेकिन, गुरजीत की फराटेदार फ्लिक को वे काबू में नहीं कर सकीं. किसान परिवार में जन्मी गुरजीत कौर अमृतसर के मियादी कलां गांव की रहने वाली हैं. इनकी जीत के बाद पिता सतनाम सिंह ने कहा कि आज बेटी ने गर्व से सीना चौड़ा कर दिया.
दरअसल, गुरजीत के परिवार का हॉकी से कुछ लेना देना नहीं था. इनके परिवार में पढ़ाई सबसे पहले नंबर पर आती है. पिता के लिए बेटियों को पढ़ाना सबसे ज्यादा जरूरी था. गांव में शुरुआती शिक्षा के बाद गुरजीत और उनकी बहन प्रदीप, घर से करीब 70 किलोमीटर दूर तरनतारन के कैरों गांव के बोर्डिंग स्कूल में पढ़ने लगीं. यही से हॉकी के प्रति उनका लगाव शुरु हुआ. दूसरी लड़कियों को हॉकी खेलते देख दोनों बहनें प्रभावित हुईं और उन्होंने भी खेलना शुरु कर दिया. उनकी मेहनत रंग लाई और हॉकी में महारत हांसिल करने के बाद उन्हें छात्रवृति भी मिली. जिसकी बदौलत उन्हें स्कूली शिक्षा और बोर्डिंग मुफ्त में मिली. गुरजीत कौर ने जालंधर के लायलपुर खालसा कॉलेज से ग्रेजुएशन करने के बाद जल्द ही राष्ट्रीय स्तर पर खेलना शुरु कर दिया. 2014 में उन्हें भारतीय कैंप में बुलाया गया.
ड्रैग फ्लिक्स आधुनिक हॉकी का एक जरूरी हिस्सा
जब फील्ड गोल को रोकने के लिए पूरी टीम घंटों जुटी होती है तो उस वक्त पेनल्टी कार्नर अक्सर गोल करने के लिए थोड़ा आसान तरीका होता है. इसका फायदा उठाने का इससे बेहतर तरीका और क्या हो सकता है कि कोई 130kph की रफ्तार से गेंद को अंदर ले जाए, स्कूप करे और गेंद को फ्लिक करें.
दरअसल, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर टीमों में आमतौर पर एक से अधिक पेनल्टी कार्नर विशेषज्ञ होते हैं. जैसे- नीदरलैंड में कैया वैन मासाकर और यिब्बी जेनसन, ओलंपिक चैंपियन ग्रेट ब्रिटेन बैंक ऑन ग्रेस बाल्सडन और लौरा अन्सवर्थ हैं. वहीं ऑस्ट्रेलिया में एडविना बोन, जोडी केनी और कर्री मैकमोहन हैं लेकिन महिला भारतीय हॉकी टीम में गुरजीत कौर इस विभाग में अकेली योद्धा हैं. गुरजीत कौर ने 2017 में खुद को भारतीय महिला हॉकी टीम में स्थापित किया. चाहें 2018 एशियाई खेल हो जहां भारत ने रजत जीता या जापान में एफआईएच सीरीज़ फ़ाइनल जहां गुरजीत कौर शीर्ष स्कोरर के रूप में 11 गोल किए थे. गुरजीत कौर ने अपने एक इंटरव्यू में बताया था कि, "आपको भारतीय टीम के लिए खेलने के लिए कुछ तो खास चाहिए."
“मैं पहले ड्रैग फ्लिक्स की कोशिश करती थी लेकिन मुझे इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी. मेरे स्कूल और कॉलेज के दिनों में, मैंने कई वीडियो में जो देखी था उसे कॉपी करने की कोशिश कर रही थी लेकिन राष्ट्रीय शिविर के शुरुआती सालों ने मुझे मूल बातें और तकनीक सीखने में मदद की. मुझे समझ में आ गया है कि क्या अलग है और क्या नहीं है. इसलिए मैंने इसे अपना एक्स-फैक्टर बनाने का फैसला किया." वहीं भारत में कोई महिला खिलाड़ी नहीं होने के कारण, गुरजीत कौर को खुद से काफी कोशिश करनी पड़ी. गुरजीत ने हॉकी की काफी वीडियो देखी, लेकिन जब तक टीम ने 2017 में यूरोप का दौरा नहीं किया, तब तक उन्हें कुछ खास सीखने का मौका नहीं मिला.
नीदरलैंड में, गुरजीत कौर को टून सीपमैन के साथ काम करने का अवसर मिला. एक ड्रैग फ्लिक गुरु जिन्होंने पाकिस्तान के सोहेल अब्बास और डचमैन मिंक वैन डेर वेर्डन जैसे महान लोगों को प्रशिक्षित किया. भारतीय डिफेंडर का मानना है कि सीपमैन के साथ बिताए हफ्तों ने उनकी ड्रैग फ्लिकिंग को बेहतर बनाने में काफी मदद की. इसके बाद गुरजीत ने 2017 एशिया कप में आठ गोल करके भारत को पसंदीदा चीन से आगे खिताब जीतने में मदद की. तब से अब तक इस खिलाड़ी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. आज गुरजीत कौर देश की हीरो बन गई हैं.
सविता पूनिया को मिला ग्रेट वॉल ऑफ इंडिया का खिताब
भारत के लिए गोल अहम था लेकिन महिला हॉकी टीम की गोलकीपर सविता पूनिया ने मैच में आखिरी दम तक अपनी ताकत लगा दी. इनके योगदान को अनदेखा नहीं किया जा सकता. वह ऑस्ट्रेलियाई टीम के सामने दीवार बन कर खड़ी रहीं और भारतीय टीम को जीत दिलाई.
ऑस्ट्रेलिया की टीम ने एक के बाद एक मौके गोल के लिए बनाए, लेकिन भारत की दिवार यानी सवीता ने उन्हें एक भी मौका नहीं दिया. सविता ने कंगारू टीम के सभी पैंतरों को धरासाई कर दिया. मैच आखिरी के कुछ मिनटों बचे थे तब पेनाल्टी कार्नर के जरिए ऑस्ट्रेलिया स्कोर को बराबर करने के करीब पहुंच गई थी. उस वक्त भी गोलकीपर सविता ने गेंद को जाल से बाहर ही रखा.
सविता पूनिया हरियाणा के सिरसा जिले के जोधका गांव की रहने वाली हैं. अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी सविता, अर्जुन अवॉर्ड भी जीत चुकी हैं. सविता जब छठी कक्षा में थीं तभी से वे हॉकी खेलती हैं. साल 2004 में उन्होंने कोचिंग शुरु की. सविता के पिता महेंद्र पूनिया स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत हैं. उन्होंने अपनी बेटी का खूब साथ दिया. नर्सरी में एडमिशन लेने के दो साल काफी संघर्ष भरे थे. सविता की जिंदगी में एक मोड़ ऐसा भी आया जब वे हॉकी छोड़ने का मन बना रही थीं लेकिन रात भर सोचने के बाद सुबह खुद ब खुद इनका दिमाग, हॉकी स्टिक को खोजने लगा.
वहीं 2008 में जर्मनी में हॉकी टूर्नामेंट के बाद हॉकी स्टिक को सविता ने कभी अपने से दूर नहीं होने दिया. सविता ने टोक्यो ओलंपिक से पहले 2016 में रियो ओलंपिक में भी हिस्सा लिया था. एक बार की बात है जब पिता से बात करते समय अध्यापक दीपचंद ने मजाक में कहा था कि अच्छा खेलेगी तो एक दिन विदेश जाएगी. जिस पर सविता के पिता ने कहा कि गांव की बेटियों को विदेश कौन लेकर जाएगा और आज उसी बेटी ने टोक्यो ओलंपिक में देश का नाम रोशन कर दिया. सविता की तारीफ ऑस्ट्रेलिया ने भी की है.
ऑस्ट्रेलिया के हाई कमिशनर बैरी ओ फैरेल ने भी टीम इंडिया को बधाई देते हुए कहा कि यह एक मुश्किल मैच था, लेकिन आपके डिफेंस को हमारे खिलाड़ी नहीं भेद सके. बैरी ने सविता पूनिया को ग्रेट वॉल ऑफ इंडिया बताया. उन्होंने कहा कि सविता मजबूती से खड़ी रहीं और ऑस्ट्रेलिया को गोल करने से रोका. सेमीफाइनल और ग्रैंड फाइनल के लिए शुभकामनाएं.
Well done @TheHockeyIndia ??!! Was a tough #Hockey match, but your defence held out until the end. @savitahockey, the 'Great Wall of India' - could not be beaten! Best of luck in the semi & grand finals. #TeamIndia #TokyoTogether #IndiaKaGame https://t.co/ZftxM0mUtY pic.twitter.com/eqai47XR0g
— Barry O’Farrell AO (@AusHCIndia) August 2, 2021
एक कोने में रोने लगे कोच
अब बात उस गुरु की, जिसने हमारी महिला हॉकी टीम को ट्रेन किया, लोग उन्हें चक दे इंडिया का शाहरुख खान ‘कबीर’ बोल रहे हैं...जो एक कोने में खड़े होकर टीम की जीत पर रो रहे थे. जीतने वाले शिष्य से बड़ा स्थान उस गुरु का होता है. जो अपनी सारी मेहनत शिष्य को सिखाने में लगा देता है. लोग उन्हें द्रोणाचार्य अवार्ड देने की मांग कर रहे हैं.
Haan haan no problem. Just bring some Gold on your way back….for a billion family members. This time Dhanteras is also on 2nd Nov. From: Ex-coach Kabir Khan. https://t.co/QcnqbtLVGX
— Shah Rukh Khan (@iamsrk) August 2, 2021
जी हां, इनका नाम है सोर्ड मारजेन. इन्होंने 4 साल पहले जब भारतीय महिला हॉकी टीम की कमान संभाली थी, तब हालात काफी अलग थे. उस वक्त भारतीय टीम पहली बार ओलिंपिक में खेलकर लौटी थी लेकिन कोई जीत नहीं मिली थी. इसके बाद कई सीनियर खिलाड़ी रिटायर हो गए. मारजेन ने ही टीम को दोबारा खड़ा किया.
आज हम ओलिंपिक में गोल्ड की दावेदार ऑस्ट्रेलिया टीम को हराकर जो जश्म मना रहे हैं उसके पीछे मारजेन का हाथ है. इन्होंने ही इस टीम को तराशा है. लोग इसके लिए मारजेन को धन्यवाद बोल रहे हैं. मैच शुरु होने से पहले मारजेन ने खिलाड़ियों से कहा था यह मत देखो कि ऑस्ट्रेलिया टीम कितनी मजबूत टीम है बल्कि यह सोचो कि तुम क्या कर सकते हो.
सच में महिला टीम की ये जीत बेहद चौंकाने वाली है, क्योंकि 1980 के बाद भारतीय टीम सिर्फ 2016 में रियो ओलिंपिक के लिए क्वालिफाई कर पाई थी. इस जीत ने यह बता दिया कि देश की बेटियां किसी मायने में बेटों से कम नहीं हैं. उम्मीद छोड़ चुके लोग एक बार फिर से मेडल की आस लगा रहे हैं और यह उम्मीद इन बेटियों ने दी है. सबका दिल यही कह रहा, सच में लड़कियों ने इतिहास रच दिया.
Proud of our Women #HockeyTeam for making it to Olympic Semi-Finals by beating three-time Olympic Champions Australia. Kudos to Gurjit Kaur from Amritsar who scored the lone goal of the match. We are on the threshold of history. Best of luck girls, go for the gold. ?? pic.twitter.com/vvk1TLftFR
— Capt.Amarinder Singh (@capt_amarinder) August 2, 2021
Time to go all guns blazing. ?Let's go, India! ??? 0:0 ??#AUSvIND #HaiTayyar #IndiaKaGame #Tokyo2020 #TeamIndia #TokyoTogether #Cheer4India #StrongerTogether #HockeyInvites #WeAreTeamIndia #Hockey pic.twitter.com/WgggIXcaVV
— Hockey India (@TheHockeyIndia) August 2, 2021
Please, please nominate Sjoerd Marijne for the Dronacharya Award - what he has done with this team is unbelievable ?? pic.twitter.com/wV4KzeOcoV
— Aniket Mishra (@aniketmishra299) August 2, 2021
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