क्रिकेट विश्व कप 2015: टीम इंडिया के लिए बल्लेबाजी एक मुद्दा है
इस महामुकाबले के लिए सबकी जगह लगभग तय हो गई है. कई टीमों ने क्वार्टर फाइनल में जगह बना ली है. कई उस राह पर हैं.
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इस महामुकाबले के लिए सबकी जगह लगभग तय हो गई है. कई टीमों ने क्वार्टर फाइनल में जगह बना ली है. कई उस राह पर हैं. मैं उत्तेजना समझ सकता हूँ क्योंकि हर कोई नॉकआउट का पहला मुकाबला कमजोर विपक्ष से चाहता है.
ये अलग बात है कि विश्व कप के नॉकआउट चरण में जाने वाली किसी भी टीम को हल्के में नहीं लिया जा सकता. मैच में उम्मीद के मुताबिक कुछ नतीजे हो सकते हैं लेकिन रोमांच हमेशा बना रहता है कि आगे क्या होगा.
भारत की टीम अच्छी दिख रही है. पाकिस्तान, दक्षिण अफ्रीका और वेस्ट इंडीज के खिलाफ जीत हमारी टीम को एक लय देती है. और उनकी ताकत भी दिखाती है. अब वे स्थिरता ला रहे हैं. मुझे यकीन है कि महेंद्र सिंह धोनी ऐसी टीम का नेतृत्व करेंगे कि टीम लड़खड़ाए नहीं.
इस विश्वकप के ट्रेंड ने मुझे हैरान कर दिया है. कई मैचों में तो रोमांच आखिरी गेंद तक पहुंचा. कई बार 300 से अधिक का स्कोर भी सुरक्षित नहीं लग पाया. नियम बल्लेबाजों के पक्ष में बनाए गए, जिससे गेंदबाजों का काम और मुश्किल हो गया.
भारत की शीर्षक्रम की बल्लेबाजी सुस्ती को बर्दाश्त नहीं कर सकती. रोहित शर्मा ने अपना सबसे अच्छा प्रदर्शन नहीं किया है और इस तरफ तुरंत ध्यान देना चाहिए. उन्हें और शिखर धवन को पहले दौर में हावी होना ही होगा.
रोहित ऑफ स्टंप के बाहर हो रही गेंदबाजी से असहज हैं. वे तनाव में दिखाई दे रहे हैं और तब अपना विकेट खो रहे हैं, जबकि उन्हें उस दौरान गेंदबाजों को कुछ अलग सोचने पर मजबूर करना चाहिए. मुझे लगता है कि कई बार रोहित को पता ही नहीं होता कि उसका ऑफ स्टंप कहां है. इसमें कोई बुराई नहीं कि वे सुनील गावस्कर के पास जाएं और उनसे सलाह लें.
मेरे हिसाब से नई गेंद का सामना कैसे किया जाता है? ये सिखाने के लिए गावस्कर से बेहतर कोई बल्लेबाज नहीं है. लेकिन ऐसा करने के लिए युवाओं को गावस्कर के पास जाना होगा. वह उनके पास नहीं आएंगे. रवि शास्त्री पहल कर सकते हैं. वे गावस्कर का रोहित के साथ एक सेशन करा सकते हैं.
भारतीय बल्लेबाजी की एक समस्या है उसकी अस्थिरता. उनकी क्षमता पर किसी को संदेह नहीं है. रोहित, अजिंक्य रहाणे, सुरेश रैना, रवींद्र जडेजा और आर. अश्विन को लगातार योगदान देना होगा.
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