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Updated: 22 जनवरी, 2018 01:32 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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कहते हैं कि सफलता बेहद खामोश होती है, और असफलता कर्कश आवाज़ में शोर मचाती है. जिससे व्यक्ति व्यर्थ में परेशान होता है. ये कहावत हम सभी ने सुनी होगी और शायद टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली ने भी सुनी हो. कहा जा सकता है कि मौजूदा वक़्त में ये बात किसी पर फिट बैठे न बैठे मगर टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली पर बिल्कुल सही बैठ रही है. विदेशी पिच पर दक्षिण अफ्रीका से मिली हार के बाद उनकी मुसीबतों के बादल छंटने के बजाए बढ़ते ही जा रहे हैं, दक्षिण अफ्रीका से टेस्ट मैच में, भारत को जीत दिलाने में नाकामयाब रहे कप्तान कोहली पर उनके आलोचकों ने अपनी आलोचनाओं से हमला करना शुरू कर दिया है.

कप्तान कोहली का प्रोफेशनल करियर किस स्थिति में है इसे आप एक खबर से समझिये. खबर है कि साउथ अफ्रीका से काफी महत्वपूर्ण सीरीज हारने के बाद बीसीसीआई के क्रिकेट प्रशासकीय कमेटी के सदस्य रह चुके इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने विराट पर एक बड़ा हमला किया है. गुहा ने क्रिकेट और कोहली की कप्तानी से जुड़े कई अहम मुद्दो के बल पर उन्हें घेरने का प्रयास किया है. इस पूरे मामले में सबसे दिलचस्प बात ये है कि जहां एक तरफ गुहा ने विराट की आलोचना की है तो वहीं वो उनके खेल की जमकर प्रशंसा भी करते नजर आ रहे हैं.

रामचंद्र गुहा, क्रिकेट, बीसीसीआई, विराट कोहली    ये बेहद अजीब है कि इतिहासकार रामचंद्र गुहा कोहली को अच्छा खिलाड़ी भी मानते हैं और अहंकारी भी

जी हां बिल्कुल सही सुन रहे हैं आप. कोलकाता टेलीग्राफ को लिखे एक लेख में इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने विराट कोहली के खेल की तारीफ की है तो वहीं दूसरी तरफ उन्होंने विराट को घमंडी कहा है और माना है कि इसका प्रभाव टीम पर पड़ रहा है. इसके अलावा गुहा ने बीसीसीआई में बढ़ते उनके कद पर भी सवालिया निशान लगाए हैं.

कोलकाता टेलीग्राफ में पब्लिश इस लेख में उन्होंने कहा कि मार्च 2016 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ,2012 में बेंगलुरु टेस्ट, न्यूजीलैंड के खिलाफ, एडीलेड टेस्ट आदी मैचों में जब उन्होंने विराट के प्रदर्शन को देखा तो उन्हें आश्चर्य हुआ और उनके जेहन में बनी उनकी ड्रीम टीम 'ऑल टाइम इंडिया इलेवन' में उन्होंने सचिन, गावस्कर, द्रविड़, सहवाग के साथ विराट की भी जगह दी. लेख में गुहा विराट को करिश्माई खिलाडी बता रहे हैं साथ ही वो ये भी कह रहे हैं अपने चार महीने के कार्यकाल में उन्होंने बीसीसीआई में विराट की जबरदस्ती की दखलंदाजी देखी है जो बेहद गैरजरूरी है.

विराट को लेकर गुहा ने ये भी कहा है कि, विराट को चीजों और लोगों को काबू में रखना बखूबी आता है. और इसीलिए बीसीसीआई के छोटे से लेकर बड़े फैसलों में विराट की राय ली जाती है. विराट पर कटाक्ष करते हुए गुहाका तर्क है कि ये बेहद अजीब है कि मैदान और मैदान के बाहर सिर्फ और सिर्फ विराट ही दिखते हैं, जो कि भारतीय खेल इतिहास का एक अनोखा उदाहरण है. कोलकाता टेलीग्राफ को लिखे अपने लेख में गुहा ने ये भी माना कि बीसीसीआई इस वक़्त बुरी तरह से कोहली भक्ति में लीन है और अगर यही हालात  रहे तो वो दिन दूर नहीं जब ये भक्ति और इस भक्ति से उपजा अहंकार कप्तान कोहली के अलावा पूरी इंडियन क्रिकेट टीम और बीसीसीआई को ले डूबेगा.

रामचंद्र गुहा, क्रिकेट, बीसीसीआई, विराट कोहली    गुहा का कहना है कि हर चीज में विराट की दखलंदाजी टीम के लिए सही नहीं है

अपने लेख के जरिये रवि शास्त्री को कमजोर कोच समझने वाले गुहा कुछ भी कह लें. मगर एक बात तो साफ है कि, ये कोहली का अहंकार और अपने खेल के प्रति दीवानगी ही है जिसके चलते टीम इंडिया आज उस मुकाम पर है जिसके लिए पूर्व के कप्तानों ने कड़ी मेहनत तो की मगर उसे वो मुकाम न दिला सके. कहा जा सकता है कि ये कोहली का गुरूर ही है जिसने आज टीम इंडिया को इस योग्य बना दिया है कि इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, वेस्टइंडीज, न्यूजीलैंड और श्रीलंका जैसी टीमें भी इंडियन क्रिकेट टीम से खौफ़ खाती हैं और मानती हैं कि गुजरे कई वर्षों के बाद ये पहला मौका है जब टीम इंडिया ने अपने प्रदर्शन से दुनिया भर को हैरत में डाल दिया है.

अंत में हम ये कहते हुए अपनी बात खत्म करेंगे कि भले ही इतिहासकार रामचंद्र गुहा समेत तमाम आलोचक टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली की आलोचना करते रहें. मगर एक बात तो साफ है कि अगर टीम इंडिया को टॉप पोजीशन पर रहना है तो उसे विराट का अहंकार और टीम के प्रति उनकी जिम्मेदारी देखनी ही होगी. ऐसा इसलिए क्योंकि अगर विराट कुछ देर के लिए अपना अहंकार किनारे कर लेते हैं तो टीम और बीसीसीआई दोबारा जाकर खड़ी हो जाएगी जहां से लाकर विराट ने उसे संभाला था.

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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