विराट और टीम को अभी लम्बा सफर तय करना है
विदेशी जमीन पर जिस तरह टीम इंडिया प्रदर्शन कर रही है उससे एक बात तो साफ है कि अभी टीम इंडिया और विराट कोहली को और मेहनत की जरूरत है ताकि वो अपनी रैंकिंग में बढ़त बनाए रहे.
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भारतीय टीम का, लगातार 9 टेस्ट सीरीज जीत का सिलसिला, एक जोरदार झटके के साथ साउथ अफ्रीका की उछाल भरी पिच पर थम गया. भारतीय टीम, तीन टेस्ट मैच की सीरीज के पहले ही दो मैचों में हार कर सीरीज गंवा चुकी है. हालांकि विदेशी पिचों पर भारतीय टीम का प्रदर्शन हमेशा से ही निराशाजनक रहा है, मगर इस साउथ अफ्रीका दौरे से यह उम्मीद की जा रही थी कि शायद भारत विदेशी पिचों पर अपने निराशाजनक प्रदर्शन को कुछ असरदार प्रदर्शन में बदल सके. मगर हुआ वही जिसकी आशंका ज्यादा थी, भारतीय बल्लेबाजों ने दोनों ही टेस्ट मैचों में बिना कोई मुकाबला किये हथियार डाल दिए.
विदेशी पिचों पर भारत का प्रदर्शन बता रहा है कि अभी उसे और मेहनत की जरूरत है
वैसे भारतीय बल्लेबाज अपनी इस कमजोरी के लिए कुख्यात रहें हैं, मगर 2017 में भारतीय टीम के रिकार्ड्स, भारतीय टीम पर उम्मीद की एक वजह दे रही थी. 2017 के पूरे साल में भारतीय टीम कोई भी टेस्ट सीरीज नहीं हारी थी, और साउथ अफ्रीका के खिलाफ सीरीज जीत भारतीय टीम टीम को वो रिकॉर्ड दे सकती थी, जो स्टीव वॉग की खूंखार ऑस्ट्रेलिआई टीम को भी नसीब नहीं हुई थी. भारत अगर साउथ अफ्रीका के खिलाफ सीरीज जीत जाता तो यह उसकी 10 लगातार सीरीज जीत होती, जो एक रिकॉर्ड होता. अभी भारतीय टीम, ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के साथ लगातार 9 टेस्ट सीरीज जीत की बराबरी पर है.
भले ही भारतीय टीम के रिकार्ड्स उस ऑस्ट्रेलिया टीम के बराबर हैं जिसका नेतृत्व स्टीव वॉग या रिकी पोंटिंग किया करते थे, मगर हालिया दौरे पर भारत जिस तरह का प्रदर्शन कर रहा है उससे एक बात तो तय है कि टेम्परामेंट के मामले में भारतीय टीम उसके आस पास भी नहीं फटकती. अगर पिछले दो मैचों में भारतीय बल्लेबाजों के प्रदर्शन को देखें तो विराट कोहली को छोड़ कर किसी भी स्पेशलिस्ट बल्लेबाज ने जीतने के लिए खेल ही नहीं दिखाया. हां गेंदबाजों ने गेंद के साथ साथ बल्ले से भी भारत को मैच जिताने की जरूर कोशिश की. मगर बल्लेबाजों ने जिस अनमने ढंग से बल्लेबाजी की उससे तो यही लगा कि शायद वो भूल बैठे हैं कि वो T20 खेलने उतरे हैं या टेस्ट क्रिकेट.
भारतीय टीम वर्तमान में आईसीसी की टेस्ट रैंकिंग में टॉप पर है, और अगला टेस्ट हारने की सूरत में भी शायद टॉप पर ही रहे, मगर हालिया साउथ अफ्रीका दौरे से तो यह साफ़ हो गया कि भले ही नम्बरों के खेल में भारत आगे है, मगर अभी भी भारतीय टीम सही मायनों में टॉप टेस्ट टीम बनने से मीलों पीछे है. एक दौर था जब ऑस्ट्रेलियाई टीम टेस्ट क्रिकेट में एकक्षत्र राज किया करती थी, अक्टूबर 1999 से नवंबर 2007 का दौर ऑस्ट्रेलिया टीम का स्वर्णिम काल माना जाता है.
इस दौरान खेले गए 93 टेस्ट मैचों में 72 टेस्ट में जीत दर्ज की जबकि मात्र 10 में उसे हार का सामना करना पड़ा, जबकि 11 टेस्ट ड्रा रहे. इसी तरह इस दौरान खेले गए 28 टेस्ट सीरीज में उसे 24 में जीत मिली जबकि मात्र 2 में उसे हार का सामना करना पड़ा. इस दौरान ऑस्ट्रेलिया ने सभी देशों में और सभी टीमों के खिलाफ बेहतर प्रदर्शन किया था.
कहा जा सकता है कि नंबर वन टीम होने के लिहाज से आपको सभी तरह के कंडीशंस में बेहतर प्रदर्शन करना होगा. अभी भारतीय टीम कम से कम रैंकिंग में नंबर एक टीम है, मगर टीम ऐसा ही प्रदर्शन करती रही तो इस मुकाम पर बहुत दिन तक रह पाना मुश्किल है. क्योंकि इस पूरे साल भारत को ज्यादातर विदेशी धरती पर ही खेलना है, और भारत के बल्लेबाजों का प्रदर्शन बताता है कि अभी भी भारतीय टीम विदेशों में जीतने के लिए तैयार नहीं लगती.
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