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Updated: 29 नवम्बर, 2015 02:04 PM
आईचौक
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138 वर्षों की परंपरा का गवाह रहा टेस्ट क्रिकेट जब बदलते हुए समय के साथ कदम ताल मिलाने के लिए रंगीन होकर उतरा तो क्रिकेट प्रशंसक दीवाने हो उठे. एडिलेड में ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच क्रिकेट इतिहास के पहले डे-नाइट टेस्ट को देखने के लिए 47,441 दर्शक मौजूद थे. इतना ही नहीं मैच के दूसरे दिन भी 42,372 से ज्यादा दर्शक जुटे. जो दिखाता है कि दर्शक टेस्ट क्रिकेट के इस नए अंदाज पर न सिर्फ फिदा हैं बल्कि इसका शानदार स्वागत भी किया. दर्शकों की इस प्रतिक्रिया से सबसे ज्यादा खुशी अगर किसी को हुई तो है वह है क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया. जिसने डे-नाइट क्रिकेट का प्रयोग किया और जिसे इसके प्रति लोगों की प्रतिक्रिया का सबसे ज्यादा इंतजार था.

दर्शकों की शानदार प्रतिक्रिया के अलावा डे-नाइट टेस्ट में खेल के मैदान पर जो हुआ, वह भी कम रोचक नहीं है. मैच के पहले दिन 12 विकेट गिरे और दूसरे दिन 13, महज दो दिनों में 25 विकेट गिरे और फिर इस बात की चर्चा तेज हो गई कि क्या यह पिंक बॉल का कमाल है या एडिलेड की पिच में कुछ है या फिर टेस्ट क्रिकेट के डे-नाइट होने का असर है?

खैर ये चर्चाएं तो आने वाले समय में भी जारी रहेंगी लेकिन इतना तो तय है कि डे-नाइट टेस्ट और पिंक बॉल ने क्रिकेट में एक नए बदलाव की शुरुआत कर दी है जो आने वाले वक्त में काफी हद तक टेस्ट क्रिकेट का भविष्य तय करेगा. तय यह भी है कि डे-नाइट टेस्ट ने धमाकेदार अंदाज में आगाज तो कर ही दिया है.

डे-नाइट टेस्ट को मिली जबर्दस्त प्रतिक्रिया का ही असर है कि क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने अगले साल गर्मियों में पाकिस्तान के साथ अपने घरेलू मैदान पर एक बार फिर से डे-नाइट टेस्ट कराने का फैसला किया है. इतना ही नहीं, कभी इस प्रयोग से नाखुश रहा न्यूजीलैंड भी अपने घरेलू मैदान पर बांग्लादेश के खिलाफ डे-नाइट टेस्ट का आयोजन करने की योजना बना रहा है. एडिलेड में पहले डे-नाइट टेस्ट के आयोजन के पहले न्यूजीलैंड की टीम इस प्रयोग से बहुत खुश नहीं थी और टीम के एक बल्लेबाज ने तो यहां तक कह दिया था कि क्या हम चूहें हैं, जिनके ऊपर हर नया प्रयोग किया जाता है. अब वही न्यूजीलैंड क्रिकेट खुद डे-नाइट टेस्ट आयोजित करना चाहता है.

क्रिकेट में पहली बार प्रयोग की जा रही पिंक बॉल की भी जबर्दस्त चर्चा है. इस बॉल के व्यवहार के बारे में इस मैच में खेलने वाले किवी बल्लेबाज रॉस टेलर कहते हैं, ‘अभी इसे और समझने की जरूरत है. इस विकेट पर तो ज्यादा देर तक यह अपने शेप में रह गई. लेकिन मुझे नहीं लगता कि खुरदरे विकेट पर यह इतनी देर शेप में रह पाएगी और तब इसका व्यवहार कुछ अलग होगा.’ इस मैच में शानदार गेंदबाजी करने वाले ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाद जोश हेजलवुड कहते हैं, ‘इस प्रयोग पर आगे भी काम किया जा सकता है.’ वहीं ऑस्ट्रेलिया प्लेयर्स असोसिएशन इसे ट्रायल के तौर पर ही देखता है. रॉस टेलर कहते हैं, ‘इस मैच का नतीज चाहे जो हो, लोग इसके बारे में अपने विचार देंगे.’ यानी डे-नाइट टेस्ट चर्चा के लिए लोगों के जेहन में जगह बना चुका है.

डे-नाइट टेस्ट की सफलता न सिर्फ क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया बल्कि आईसीसी के लिए भी उतनी ही जरूरी है, जो इसे वनडे और टी-20 के कारण क्रिकेट के लंबे फॉर्मेट के अस्तित्व पर उठ खड़े हुए संकट से निपटने के तौर पर देख रहा है. डे-नाइट टेस्ट की टेलीविजन व्यूअरशिप भी जबर्दस्त रही है और यही कारण है कि टीवी ब्रॉडकास्टर भी इस विचार को हाथोंहाथ लेंगे. शायद यही वजह है कि न्यूजीलैंड डे-नाइट टेस्ट का आयोजन करके क्रिकेट के दीवाने भारतीय टेलीविजन दर्शकों को अपनी ओर खींचना चाहता है. न्यूजीलैंड अपने टाइम जोन के कारण भारतीय उपमहाद्वीप के दर्शकों को अपनी ओर नहीं खींच पाता क्योंकि वहां टेस्ट मैच भारतीय समयानुसार सुबह 3.30 बजे से शुरू होते हैं. लेकिन डे-नाइट टेस्ट होने की हालत में ये मैच सुबह 6.30 बजे से शुरू होंगे.

इससे यह भी साबित होता है कि क्रिकेट में कोई भी प्रयोग बिना भारत के शायद ही सफल हो सकता है. आखिर क्रिकेट का 80 फीसदी राजस्व भारतीय कॉरर्पोरेट जगत से आता है और इसीलिए भारत और बीसीसीआई को क्रिकेट के सुपरपावर का दर्जा प्राप्त है. हालांकि अभी तक बीसीसीआई ने भारत में डे-नाइट टेस्ट के आयोजन पर चर्चा नहीं की है लेकिन ऑस्ट्रेलिया में पहले डे-नाइट टेस्ट को मिली प्रतिक्रिया के बाद अगर जल्द ही आप दिल्ली, मुंबई या कोलकाता में टीम इंडिया को डे-नाइट टेस्ट खेलते देखें तो हैरान मत होइएगा. आखिर इस प्रयोग ने टेस्ट क्रिकेट को बचाने की एक नई राह तो दिखाई ही है. तो स्वागत कीजिए, डे-नाइट टेस्ट, पिंक बॉल और क्रिकेट में नए बदलाव का!

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