रियो की यह 5 लापरवाही जारी रही तो आगे मेडल मिलना नामुमकिन
भारत का ओलंपिक में अबतक का सबसे बड़ा दल 2 मेडल के साथ वापस लौट आया. 17 दिनों की इस प्रतियोगिता के दौरान हमारी ये पांच खामियां रही जिसे न सुधारा गया तो भविष्य में भी पदक की उम्मीद कम है.
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वो तो भला हो पी.वी सिंधू और साक्षी मलिक का जिन्होंने अपनी जीतोड़ मेहनत के बल पर भारत को दो मेडल दिला दिया, वरना भारतीय खेल संघो ने अपनी तरफ से भारत की मिट्टी पलीद करने में कोई कसर बाकि नहीं रखी थी. जब भारतीय खिलाडियों का अब तक का सबसे बड़ा दल ओलिंपिक खेलों के लिए रवाना हुआ, तब पूरे देश को उम्मीद थी कि इस बार ओलंपिक मेडलों की संख्या में जरूर इज़ाफ़ा होगा. मगर खेल संघों के लापरवाह रवैये ने इस अवसर को हाथ से जाने दिया.
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हमारे खेल संघ ओलिंपिक को लेकर कितने लापरवाह रहे यह पूरे ओलंपिक में कई अवसरों पर देखने को मिला.
ट्रैक पर बेहोश धावक ओपी जैशा |
1. पहला वाकया मैराथन धावक ओ.पी जैशा का है. जैशा भारत कि तरफ से मैराथन में भाग ले रहीं थी. नियमों के तहत हर 2.5 किलोमीटर पर धावकों के लिए पानी, ग्लूकोस बिस्किट और एनर्जी जेल जैसी व्यवस्था संबंधित देश के अधिकारी करते हैं, जिससे खिलाड़ी तरोताजा बने रहें. मगर जैशा के लिए ऐसी कोई भी व्यवस्था भारतीय मैराथन टीम ने नहीं की. ऐसी स्थिति में जैशा को पानी के लिए रियो ओलिंपिक एसोसिएशन के स्टाल पर निर्भर रहना पड़ा जो हर 8 किलोमीटर के अंतराल पर बने थे. इन सबका नतीजा यह रहा कि जैशा फिनिशिंग लाइन के पास ही बेहोश हो गिर पड़ीं, और तीन घंटे बाद होश में आ पायीं. यहाँ तक कि जैशा के बेहोश होने के बाद भी भारतीय डॉक्टर कहीं नजर नहीं आये.
ओपनिंग सेरेमनी में हॉकी टीम नहीं हुई शामिल |
2. इससे पहले भारतीय हॉकी टीम के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ था, जब टीम ने सही किट न मिलने कि वजह से ओलंपिक ओपनिंग सेरेमनी में शामिल ना होने का फैसला लिया था. हालांकि बाद में टीम मैच होने का हवाला देकर ओपनिंग सेरेमनी में शामिल नहीं हुई.
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बॉक्सिंग टीम बिना जर्सी के पहुंची रियो |
3. भारतीय बॉक्सिंग टीम के पास टीम का नाम लिखी हुई जर्सियां ना होने कि वजह से खेल से बाहर होने कि तलवार लटक गयी थी. इसके बाद आनन फानन में उनके लिए जर्सियां मंगवाई गयी.
दीपा कर्माकर को आखिरी मुकाबले से पहले मिला फिजियो |
4. एक जिम्नास्ट के लिए फिजियो की आवश्यकता से कोई इंकार नहीं कर सकता. मगर स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया को शायद यह जरूरी नहीं लगता, तभी तो दीपा कर्माकर के फिजियो के रियो ले जाने की मांग SAI ने ठुकरा दी थी. हालाँकि दीपा के फाइनल में पहुँचने के बाद, उनसे पदक की उम्मीद देख SAI ने फौरन फिजियो भेजा.
नरसिंह पर सस्पेंस बरकरार |
5. नरसिंह यादव के साथ साजिश हुई या कुछ और यह कह पाना थोड़ा मुश्किल हैं. मगर जिस तरह से ओलिंपिक जाने से पहले और नरसिंह के बैन लगने तक जो कुछ भी हुआ, वो देश को शर्मशार करने वाली ही घटना थी.
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अभी ब्रिटिश मीडिया में एक रिपोर्ट आयी थी जिसमें ब्रिटेन को मिलने वाले हर पदक पर लगभग 48 करोड़ रुपये की इन्वेस्टमेंट की बात कही गयी थी. हो सकता है की भारत में एक ख़िलाड़ी पर इतना खर्च कर पाना थोड़ा मुश्किल हो, मगर हमारे खेल संघ तो खिलाडियों को पानी, किट, जर्सी जैसे सामान्य और जरूरी चीजें तो उपलब्ध तो करा ही सकती है, जिससे अपना खून पसीना एक करने वाले ख़िलाड़ी भारत के लिए कुछ मेडल भी जीत लाएं.
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