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Updated: 27 नवम्बर, 2022 04:35 PM
सुशोभित सक्तावत
सुशोभित सक्तावत
  @sushobhit.saktawat
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यह एक नॉकआउट मैच था, जो ग्रुप राउंड में खेला गया. अमूमन इस तरह के मैच राउंड ऑफ़ 16 या क्वॉर्टर फ़ाइनल में खेले जाते हैं. विश्व कप जैसी स्पर्धाओं के साथ यही समस्या है. एक ख़राब दिन आपकी वर्षों की मेहनत पर पानी फेर सकता है. वैसे ही ख़राब दिन का सामना अर्जेंटीना ने टूर्नामेंट के अपने पहले दिन किया था. कुछ नज़दीकी ऑफ़साइड निर्णय उसके पक्ष में नहीं गए. सऊदी अरब से उसे हार मिली. इस कारण ग्रुप राउंड के शेष दोनों मैच स्वत: ही नॉकआउट हो गए, जिन्हें जीतना ही था. जब आपके पास जीत के सिवा कोई और विकल्प नहीं होता तो आपके खेल की लय बदल जाती है.

यह लीग फ़ुटबॉल से बहुत विपरीत है, जिसमें पूरे सीज़न में टीमें 38 मैच खेलती हैं और अंत में सबसे अधिक पॉइंट्स जुटाने वाली टीम को विजेता घोषित किया जाता है. इतनी लम्बी अवधि में खिलाड़ी अपनी नैसर्गिक कला का प्रदर्शन कर पाते हैं और कोच को अपनी फ़िलॉस्फ़ी को मुकम्मल करने का भरपूर हाशिया मिलता है. यही कारण है कि लीग जीतने वाली टीम हमेशा उस ख़िताब की हक़दार होती है, जबकि विश्व कप में बहुत कुछ भाग्य पर निर्भर करता है.

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क्या आप कल्पना भी कर सकते हैं टूर्नामेंट फ़ेवरेट अर्जेंटीना के ग्रुप राउंड से ही बाहर हो जाने का क्या मतलब होता? अलबत्ता वह ख़तरा अभी टला नहीं है, उसे पोलैंड से एक और मैच खेलना है. लेकिन यक़ीनन चीज़ें अब पहले से कहीं ज़्यादा सहज हैं. तीन बेशक़ीमती अंक खाते में जमा कर लिए गए हैं. लेकिन लियो मेस्सी इस विश्व कप का सबसे बड़ा सितारा और दुनिया का सबसे बड़ा फ़ुटबॉलिंग ब्रांड है. उसे कम से कम क्वार्टर फ़ाइनल तक तो जाना ही है. अरबों रुपए दांव पर लगे हैं. करोड़ों प्रशंसकों की उम्मीदें जुड़ी हैं. अर्जेंटीना के पास आज दुनिया में सबसे ज़्यादा न्यूट्रल सपोर्टर्स हैं. इनकी संख्या बेशुमार है. इतनी बड़ी प्रशंसक संख्या वाली टीम का पहले ही दौर से बाहर हो जाना न केवल विश्व कप के ब्रांड और बाज़ार के लिए एक डिज़ॉस्टर होता, बल्कि करोड़ों प्रशंसकों को अवसाद में भी झोंक देता.

विश्व कप में अर्जेंटीना अभी बनी हुई है और इसने इस टूर्नामेंट में नई जान डाल दी है. कशमकश भरा मैच था. पहला हाफ़ शून्य-शून्य पर छूटा. मैक्सिको के पास अटैकिंग-प्रतिभा अधिक नहीं है. ऐसी टीमें इसकी भरपाई रक्षात्मक होकर करती हैं. वे मज़बूत क़िलाबंदी बांधती हैं. न गोल करेंगे, न गोल होने देंगे की नीति अपनाती हैं. पहला हाफ़ इसी जद्दोजहद में बीता. अर्जेंटीना के प्रशंसक नर्वस ब्रेकडाउन की कगार पर थे. दूसरे हाफ़ से नाकेबंदियां खुलीं- जैसा कि अमूमन होता है. पहले से ज़्यादा स्पेस मिला. इसी का फ़ायदा उठाकर लियो मेस्सी ने अपने कॅरियर के सबसे महत्वपूर्ण गोल में से एक किया. उन्हें राइट विंग से एन्ख़ेल डी मारिया ने पास दिया था. मेस्सी बॉक्स के बाहर थे. उन्होंने वहीं से शूट करने का फ़ैसला लिया. शॉट में दम अधिक न था, लेकिन एक्यूरेसी सटीक थी. मैक्सिको के लेजेंडरी गोलची ओचोआ को गेंद ने छकाया और वह रेंगती हुई फ़ार कॉर्नर में समा गई. इस गोल ने संजीवनी का काम किया. पूरी टीम में जान आ गई. इसके बाद तो वे बढ़-चढ़कर खेले.

अगर आप आंकड़े उठाकर देखें तो पाएँगे कि बीते तीन-चार सालों में मेस्सी से ज़्यादा फ्री-किक गोल और मेस्सी से ज़्यादा आउटसाइड-द-बॉक्स गोल किसी और खिलाड़ी ने नहीं किए हैं. वास्तव में मेस्सी ने इनकी झड़ी लगा दी है. इसका कारण है. जब वे अपेक्षाकृत युवा थे, तो प्रतिपक्षी की बैकलाइन को ड्रिबल करके गोल दाग़ते थे. अब वे 35 के ऊपर हैं और वैसा पहले जितनी मर्तबा नहीं कर सकते. इसलिए उन्होंने अपने खेल में यह नया डायमेंशन जोड़ा है. अब वे आउटसाइड-द-बॉक्स शूट करने को अधिक प्राथमिकता देने लगे हैं. इस तरह का गोल अप्रत्याशित होता है. विपक्षी टीम इसकी उम्मीद नहीं कर रही होती है. इसमें आप एक ताक़तवर शूट से प्रतिपक्षी डिफ़ेंस में सेंध लगा सकते हैं- बशर्ते आपका अभ्यास पुख़्ता हो. फ्री-किक भी ऐसा ही गोल होता है, सिवाय दो अंतर के- वह सेट-पीस से किया जाता है और उसे रोकने के लिए बीच में एक डिफ़ेंसिव वॉल खड़ी की जाती है. लेकिन उसमें प्रत्याशा होती है, वह आउटसाइड-द-बॉक्स शॉट की तरह चौंकाता नहीं.

अर्जेंटीना की टीम ने इस मैच में चंद महत्वपूर्ण बदलाव किए थे. उन्होंने स्टार्टिंग इलेवन में लीचा कहलाने वाले लीसान्द्रो मार्तीनेज़ को उतारा. वे मैनचेस्टर यूनाइटेड के लिए खेलते हैं. छोटे क़द के मज़बूत काठी वाले लड़ाकू डिफ़ेंडर हैं. सम्भवतया वर्तमान में विश्व के श्रेष्ठ डिफ़ेंडरों में उनकी गणना होगी. अर्जेंटीना ने क्लीन-शीट रखी, इसमें उनका अहम योगदान था. दूसरा महत्वपूर्ण बदलाव किया गया था, 56वें मिनट में युवा और प्रतिभाशाली खिलाड़ी एन्ज़ो फ़र्नान्देज़ को बेंच से लाना. वे बेनफ़ीका के लिए खेलते हैं और उभरते हुए सितारे हैं. आते ही उन्होंने अपनी रचनात्मकता और गति से मैदान में स्पेस खोले और व्यूह रचे. उन्हीं ने दूसरा गोल भी किया, जो मेस्सी के गोल से अधिक दर्शनीय था. परीडेस को खिलाया नहीं गया, वहीं डी पॉल ने डिफ़ेंसिव मिडफ़ील्डर की भूमिका निभाई. युवा और लोकप्रिय सितारे पाउलो डिबाला अपनी बारी का इंतज़ार करते रहे. पर वे विश्व कप में कभी न कभी खेलेंगे ज़रूर.

अर्जेंटीना की यह जीत विश्व कप के लिए जीवनदायी है. इसने नए उत्साह का संचार कर दिया है. अगर अर्जेंटीना पोलैंड को हराकर अगले दौर में प्रवेश करती है तो यथास्थिति बहाल हो जावेगी. अर्जेंटीना और मेस्सी के बिना आप विश्व कप नहीं खेल सकते. दूल्हे के बिना बरात नहीं निकल सकती. मेस्सी के यादगार लॉन्ग-रेंज शॉट ने अनेक समीकरणों को उलट दिया है. वर्ल्ड कप स्टेज़ अलाइव, अर्जेंटीना लिव्स अनॉदर डे.

लेखक

सुशोभित सक्तावत सुशोभित सक्तावत @sushobhit.saktawat

लेखक इंदौर में पत्रकार एवं अनुवादक हैं.

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