आईसलैंड के पुराने ट्वीट को उठाकर हेडलाइन बनाना ये भारत में ही हो सकता है
आइसलैंड में एक भी पेशेवर फुटबॉल क्लब नहीं है. फिर भी उसका विश्व कप में पहुंचना और भारतीयों का उसके लिए उत्साहित होना इस खेल की श्रेष्ठता को दिखाता है.
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आफान यस्वी की कलम से-
पिछले कुछ दिनों में भारतीयों ने जब नेशनल न्यूज़पेपर के फ्रंट पेज पर जगह बनाई वो भी फुटबॉल के लिए तो 15 जून को द इंडियन एक्सप्रेस में छपे एक कार्टून के जरिए. एक स्कूल जाने वाला बच्चा जिसने दिल्ली लिखी हुई टोपी पहन रखी है उस कार्टून ने तुरंत ही सभी का ध्यान अपनी तरफ खींचा. दो टांगे उसे लात मार रही हैं. एक पर बीजेपी लिखा है और दूसरे पर आप. लड़का सोच रहा होता है, "इतने साल प्रैक्टिस के बाद भी हम फीफा के लिए कैसे फिट नहीं हैं?"
फुटबॉल का बुखार ऐसा ही होता है
भले ही भारतीय फुटबॉल टीम विश्व फुटबॉल में अपनी जगह नहीं बना सकी है. लेकिन फिर भी दुनिया के इस सबसे ज्यादा देखे जाने वाले खेल में मस्ती के कुछ चुराने से हम भारतीयों को कोई रोक नहीं पाया. जब उपमहाद्वीप सो रहा था तब फुटबॉल के सबसे प्रतिभाशाली स्टार, लियोनेल मेस्सी मैच जीताने वाले पेनल्टी किक से चूक गए. और आइसलैंड ने गोल्डन प्वाइंट के बल पर जीत दर्ज कर ली. मैच ड्रॉ हो गया था.
आइसलैंड के लिए वो रात जश्न की रात साबित हुई. अब अर्जेंटीना और आइसलैंड दोनों के ही पास ग्रुप में एक एक प्वाइंट हैं. लेकिन ड्रा आइसलैंड के लिए जीत का एहसास ही दिला रहा था.
टीम ने डिफेंस में कड़ी मेहनत की थी, और मैच को ड्रॉ करा कर ही दम लिया. भारत में लोग जब अगली सुबह उठे तो ये खबर उनका इंतजार कर रही थी कि अर्जेंटीना जैसी दिग्गज टीम का मैच अंडरगॉग माने जाने वाले आइसलैंड के साथ बराबरी पर खत्म हुआ. और जब उधर विश्व कप में खेलने वाले सबसे छोटे देश के लिए लोग खुशियां मना रहे थे तो इधर भारत के सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर एक फोटो वायरल हो रही थी.
इस फोटो में दिखाया गया था कि कैसे दिल्ली के क्षेत्रफल के बराबर वाले देश ने यूरो 2016 में जगह कैसे बनाई थी. एक कैलकुलेशन के जरिए इस 'राज' का खुलासा किया गया है. ये फोटो जून 2016 में एक खेल पत्रकार के ट्विटर हैंडल @icelandfootball से ट्वीट किया गया था. इस चार्ट को आइसलैंड की इंग्लैंड पर प्रसिद्ध जीत के बाद डाला गया था. यूरोपीय चैम्पियनशिप इतिहास में ऐसे कम ही मौके आते हैं जब आइसलैंड जैसी टीम यूरो 2016 के क्वार्टर फाइनल में पहुंच जाती है. और मजे की बात ये है कि पूरे आइसलैंड में सिर्फ 23 लोग हैं जो फुटबॉल टीम का हिस्सा बनने के लायक हैं.
HAHAHA! How the Icelandic national team was picked, this is absolutely hilarious!! #football #Iceland #Euro2016 pic.twitter.com/MH4GbENfVO
— Icelandic Football (@icelandfootball) 23 June 2016
इस चार्ट को अंतरराष्ट्रीय समाचार पत्रों ने अपनी हेडलाइन्स में जगह दी. 10,000 बार से अधिक बार रीट्वीट होने के बाद उस फोटो को अंतरराष्ट्रीय अखबार में इस हेडलाइन के साथ उठाया गया- “Sheepherders and imprisoned bankers: How Iceland found its team."
आइसलैंड में रहने वाले 3,32,529 लोगों की सूची को इस फोटो में सूचीबद्ध किया गया. जिसमें से 3,10,254 को तुरंत ही बाहर कर दिया गया क्योंकि इनमें नाबालिग, महिलाएं, अधिक वजन या 35 वर्ष से ऊपर की उम्र के लोग शामिल थे. अब इसके बाद 13,467 को इस गिनती में नहीं रखा गया क्योंकि उनके अटपटे व्यवसाय थे. जैसे व्हेल निरीक्षक, भूकंप और ज्वालामुखी मॉनीटर करने वाले, गड़ेरिए और हास्यापस्द तरीके से जेल में कैद बैंकर भी शामिल थे. इत्यादि इत्यादि. खेल देखने के लिए स्टेडियम में मौजूद प्रशंसकों, आइसलैंडिक संघ के अधिकारियों, टीम डॉक्टर, फिजियोथेरेपिस्ट, वॉटर कैरियर और बैकरूम कर्मचारियों के अन्य सदस्यों को जोड़कर इस सूची में से 8,781 और लोगों को सूची से बाहर कर दिया गया.
एक स्वीडिश कोच लार्स लेजरबैक को टूर्नामेंट में चयन के लिए सिर्फ 23 खिलाड़ी उपलब्ध कराए गए.
मेसी ने पेनाल्टी नहीं मैच मिस कर दिया
यूरो 2016 में आइसलैंड की 2-1 से जीत ने इंग्लैंड समेत सभी को चकित कर दिया. इंग्लैंड की टीम के मैनेजर रॉय होडसन ने चार साल तक टीम का इंचार्ज रहने के बाद इस हार के शर्म में इस्तीफा दे दिया. और आइसलैंड फुटबॉल ने इस फोटो को ट्वीट किया, जो आज भारत में वायरल हो गया.
आइसलैंडर्स ने भी इस फोटो का खूब मजा लिया जिसमें से सबसे ज्यादा हास्यास्पद था "इस चार्ट में @ThorBjornsson_ कहां ठहरता है?" के सवाल के जवाब में.
ज़ाहिर है ये सवाल हैफ्थोर ब्योर्नसन के बारे में था. इनका ट्विटर कहता है "प्रो स्ट्रॉन्गमन एथलीट, विश्व के सबसे मजबूत इंसान प्रतियोगिता का प्रतियोगी, आइसलैंड का सबसे मजबूत आदमी 2011, 2012, 2013, 2014, 2015. यूरोप का सबसे मजबूत आदमी 2014, 2015".
आइसलैंड में एक भी पेशेवर फुटबॉल क्लब नहीं है. फिर भी उसका विश्व कप में पहुंचना और भारतीयों का उसके लिए उत्साहित होना इस खेल की श्रेष्ठता को दिखाता है.
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