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Updated: 12 जून, 2019 02:47 PM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
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रविवार 9 जून को भारत और ऑस्ट्रेलिया (India vs Australia) के बीच मैच हुआ, जिसे भारत ने 36 रनों से जीत लिया. भारत ने ऑस्ट्रेलिया के सामने 353 रनों का विशाल लक्ष्य रख दिया था, जिसका पीछा करते हुए ऑस्ट्रेलिया की टीम 316 रन ही बना सकी. अब 13 जून को भारत और न्यूजीलैंड (India vs NewZealand) के बीच मुकाबला होने वाला है और 16 जून को भारत-पाकिस्तान (India vs Pakistan) के बीच मैच होगा. भारत पिछला वर्ल्ड कप ऑस्ट्रेलिया की वजह से ही हारा था और उसने ऑस्ट्रेलिया को हराकर एक तरह से अपना बदला लेते हुए हिसाब बराबर कर लिया. इसी तरह भारत प्रैक्टिस मैच के दौरान न्यूजीलैंड से हारा है. ऐसे में भारत के सामने एक बार फिर हिसाब बराबर करने की चुनौती होगी. न्यूजीलैंड की आईसीसी रैंकिंग चौथी है, जबकि भारत की दूसरी. ऐसे में भारत का आत्मविश्वास रैंकिंग की वजह से बढ़ा हुआ रहेगा, जबकि न्यूजीलैंड प्रैक्टिस मैच में भारत को हराने के चलते पहले ही काफी सकारात्मक है.

जब भारत ने ऑस्ट्रेलिया को हराया तो उसकी तारीफों के पुल बांधे जाने लगे. भारत का ऑस्ट्रेलिया को हरा देना भले ही उत्साह भर देने वाला हो, लेकिन इसे कोई बड़ी उपलब्धि नहीं कहा जा सकता. ये तो सिर्फ अपनी पोजीशन बरकरार रखने वाली बात हुई, क्योंकि आईसीसी रैंकिंग में भारत का स्थान ऑट्रेलिया से ऊपर है. भारत दूसरे नंबर पर है, जबकि ऑस्ट्रेलिया 5वें. अब सवाल ये है कि क्या आने वाले मैचों में भी भारतीय टीम का प्रदर्शन ऐसा ही रहेगा? क्या न्यूजीलैंड से होने वाला मैच भारत जीतेगा? उससे भी बड़ा सवाल ये कि क्या भारत रविवार को पाकिस्तान के साथ होने वाला मैच जीतेगा? भारतीय टीम की तारीफें तो खूब हुईं, लेकिन उन कमियों की बात कोई नहीं कर रहा, जिनसे उबरना भारत के लिए अभी बाकी है. इसी बीच शिखर धवन भी ऑस्ट्रेलिया से मैच के दौरान चोटिल हो गए और अब वह मैच से बाहर हो गए है. आपको बता दें कि धवन की बदौलत ही भारत ने ऑस्ट्रेलिया को मात दी थी. पहले से ही कई कमियों से जूझ रहे भारत के एक मजबूत सिपाही के चोटिल होने से भारत की कमजोरी और बढ़ गई है.

विश्व कप 2019, भारत, ऑस्ट्रेलिया, क्रिकेटभारतीय टीम में ऑस्ट्रेलिया के संदर्भ में अभी कई कमिया हैं, जिनसे उबरना भारत के लिए अभी बाकी है.

1. बॉलिंग पिच पर ओपनर की परीक्षा बाकी

अभी तक भारत ने इस वर्ल्ड कप दो मैच खेले हैं. पहला दक्षिण अफ्रीका के साथ और दूसरा ऑस्ट्रेलिया के साथ. दोनों में ही भारत ने जीत हासिल की है. हालांकि, एक बात जो थोड़ी चिंता की है कि अभी तक भारतीय ओपनर्स की बॉलिंग पिच पर परीक्षा होनी बाकी है. दक्षिण अफ्रीका वाले मैच में बल्लेबाज शुरू में थोड़ा लड़खड़ाए थे, लेकिन उसके बाद काफी तेजी से रन बनाने शुरू कर दिए. दक्षिण अफ्रीका के साथ हुए मैच में साउथैंप्टन की पिच काफी हद तक बैटिंग पिच थी और ऑस्ट्रेलिया के साथ द ओवल में हुए मैच में तो पिच पूरी तरह से बैटिंग पिच ही थी. और बैटिंग पिच पर बैटिंग आसान होती है, ये तो हमारे बैट्समैन साबित भी कर चुके हैं.

अभी तक पूरे टूर्नामेंट में भारत को सिर्फ प्रैक्टिस मैच में ही बॉलिंग पिच मिली है, जब वह न्यूजीलैंड के खिलाफ मैच खेल रहे थे. यहां ध्यान देने वाली बात है कि उस मैच में भारतीय टीम की बल्लेबाजी लड़खड़ा गई थी और भारत हार गया था. आने वाले मैच जिन पिच पर होने हैं, वहां भी अगर बैटिंग पिच मिली तब तो भारतीय टीम के खिलाड़ी अपना लोहा मनवा देंगे, लेकिन अगर बॉलिंग पिच पर किसी से सामना हो गया तो बड़ी मुश्किल हो सकती है.

2. विपक्ष के मध्य क्रम को तेजी से खत्म करने में अब भी संघर्ष

अगर दक्षिण अफ्रीका वाले मैच की बात करें तो भारतीय बॉलर्स ने ओपनर्स को तो निपटा दिया, लेकिन मध्य क्रम में आए खिलाड़ियों ने ठीक-ठाक रन बना लिए. खैर, जैसे-तैसे भारत ने मैच तो जीत लिया. उसी तरह ऑस्ट्रेलिया वाले मैच में भी भले ही भारत ने 352 रनों का विशाल स्कोर बना दिया, लेकिन ऑस्ट्रेलिया भी खींच तान के 300 के पास 316 रन तक जा पहुंची. मध्य क्रम को तेजी से खत्म करने में अभी भी हमारी टीम को संघर्ष करना पड़ रहा है. टीम में वो किलर इंस्टिंक्ट नहीं दिखाई दे रही है जिससे वह विरोधी टीम को धराशाई कर सकें. टीम में एक आक्रामकता की कमी है.

3. चहल और कुलदीप की जोड़ी खर्चीली होने का डर

अभी भारतीय टीम की बॉलिंग सिर्फ यजुवेंद्र चहल और कुलदीप यादव पर निर्भर कर रही है. टीम इन्हीं दोनों के भरोसे हैं, लेकिन ये बात ध्यान देने की है कि ये दोनों ही स्पिनर हैं. एक स्पिनर की सारी धार तभी कायम हो पाती है जब उनको बॉलिंग पिच मिले, जिस पर बॉल में मूवमेंट हो पाता है. अगर सही पिच नहीं मिली तो इंग्लैंड जैसी नंबर-1 टीम के सामने भारत का टिकना मुश्किल हो सकता है. अगर बॉलिंग पिच नहीं मिली, बॉलिंग में टर्न नहीं हुआ, मूवमेंट नहीं हुआ तो हमारे यही अस्त्र उल्टे पड़ जाएंगे. ऐसे में अगर बॉलिंग पिच नहीं मिली तो इंग्लैंड के बैट्समैन हमारे गेंदबाजों के बुरी तरह से पीटेंगे.

4. बैटिंग पिच पर बुमराह के अलावा बाकी अटैक सवालों के घेरे में

अगर कुलदीप और चहल से हटकर बात करें तो बुमराह की बॉलिंग भारत को फायदा पहुंचा सकती है, जबकि बाकी की बॉलिंग को सवालों के घेरे में है. बुमराह तेज बॉलिंग करते हैं. वह तेजी से हाथ घुमाकर एक अलग ही तरीके से बॉलिंग करते हैं. उनका अपना ही एक स्टाइल है, जो काफी रहस्यमयी भी है. बल्लेबाज को ये पता नहीं चलता है कि उनकी फेंकी हुई बॉल कहां गिरेगी. सीधे-सीधे कहें तो हर बल्लेबाज को बुमराह की बॉलिंग को पढ़ने में दिक्कत होती है और वह काफी संभलकर खेलते हैं. वहीं दूसरी ओर बाकी बॉलर पारंपरिक तरीके से बॉलिंग करते हैं, इसलिए रन स्कोर करने के लिए बल्लेबाजों के निशाने पर कुलदीप और चहल जैसे गेंदबाज ही होते हैं. बुमराह के अलावा बाकी के बॉलर अपना पैनापन कितना बरकरार रखते हैं, अभई ये पूरा साबित होना बाकी है.

5. लंबे समय तक जीत की भूख बरकरार रखने की जिद

ऑस्ट्रेलिया का लंबे समय तक जीतने का जो सिलसिला था, उसके पीछे उनकी एक किलर इंस्टिंक्ट थी. ऑस्ट्रेलिया के खिलाड़ी हमेशा हावी रहते थे और उनमें जीतने की भूख थी. वह मैच की शुरुआत से लेकर फाइनल तक हावी रहते थे. जीत हासिल करने के लिए किसी भी हद तक चले जाते थे. स्लेजिंग तक करने लगते थे. भारतीय टीम लगातार जीत रही है, जो अच्छी बात है, लेकिन किलर इंस्किटिक्ट का अभाव अभी भी खलता है. विरोधी टीमें एक तरफा नहीं हार रही हैं, बल्कि चुनौती देती दिख रही हैं. भारत को मैचों कों एकतरफा जीतने का जज्बा बढ़ाना होगा और उसे पूरे टूर्नामेंट में बरकरार रखना होगा. वरना चैंपियन्स ट्रॉफी जैसा हो जाएगा कि हमने सारे मैच जीते, लेकिन फाइनल में आकर पाकिस्तान से हार गए.

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