क्रिकेट विश्व कप 2015: भारतीय टीम ने जो अब तक किया उससे मैं हैरान हूँ
क्रिकेट विश्व कप अब अपने निर्णायक दौर में पंहुच गया है. हम शिखर पर पंहुचने से केवल सात मैच दूर हैं. हर टीम खुद को वहां देख रही होगी.
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क्रिकेट विश्व कप अब अपने निर्णायक दौर में पंहुच गया है. हम शिखर पर पंहुचने से केवल सात मैच दूर हैं. हर टीम खुद को वहां देख रही होगी. ऐसे में मैं क्वार्टर फाइनल में पहुंची इन टीमों में से किसी को नजरअदांज नहीं करूँगा.
तरक्की की उम्मीद के बीच केवल इंग्लैंड की टीम थी जो नॉकआउट चरण तक नहीं पहुंची. मुझे उनसे बेहतर खेल की उम्मीद थी. दक्षिण अफ्रीका ने भी निराश किया क्योंकि वे अपनी क्षमतानुसार खेलने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. जबकि भारत ने उम्मीद से कहीं ज्यादा बेहतर प्रदर्शन किया है.
मुझे नहीं लगता कि भारतीय टीम इस लीग चरण में एक बड़ा प्रभाव बनाने के लिए काफी अच्छी तरह से खेल रही थी. उन्होंने हर मैच जीता. और सबसे बड़ी बात कि सभी 60 विकेट ले लिए. हर मैच में गेंदबाजी ने विपक्षी टीम का सफाया कर दिया. भारतीय गेंदबाजों ने एक दुर्लभ उपलब्धि हासिल की है.
मैं वेस्ट इंडीज टीम का एक बड़ा प्रशंसक रहा हूँ. उन्हें क्लाइव लॉयड की तरह किसी की जरूरत है जो खिलाड़ियों की बेहतर क्षमता को बाहर ला सके. टीम को साथ लेकर चल सके. इसमें कोई शक नहीं कि यह एक मुश्किल काम है क्योंकि वे सभी अलग-अलग द्वीपों से आते हैं और उनका स्वभाव भी अलग-अलग है. लेकिन फिर भी टीम को किनारे नहीं किया जा सकता.
न्यूजीलैंड टीम टूर्नामेंट की रेस में देखने लायक है. उनकी काबलियत पर शक नहीं किया जा सकता. टीम की संरचना और फील्डिंग के मानक न्यूजीलैंड के अभियान का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं. लेकिन मुझे शक है कि क्या वे अपने देश के बाहर भी अपनी तीव्रता और फॉर्म को बनाए रखेंगे. पाकिस्तान का एक खतरनाक पक्ष उभरा है. वे शुरूआती नाकामयाबी के बाद शीर्ष पर आए हैं. उनके पास खोने के लिए कुछ नहीं है. ऑस्ट्रेलिया के साथ उनकी भिडंत पर उन लोगों को ध्यान देना चाहिए जो एक शानदार मुकाबला देखना चाहते हैं. आक्रामक स्वाभाव की इस टीम का नेतृत्व शांत कप्तान मिस्बाह-उल-हक के हाथ में है. लेकिन मैं उनकी तुलना इमरान खान जैसे किसी खिलाड़ी से नही कर सकता. उनके व्यक्तित्व और स्वभाव बेहद अलग हैं. सरफराज अहमद को टीम में शामिल किया जाना पाकिस्तान की संभावनाओं के लिए एक बड़ा अंतर है.
ऑस्ट्रेलिया विश्व क्रिकेट में सबसे ज्यादा डराने वाली टीम थी. उनका क्रिकेट कुछ समय के लिए परफेक्ट रहा है. उनकी टीम कई लोगों की सबसे ज्यादा पसंदीदा टीम रही है. डेविड वार्नर और ग्लेन मैक्सवेल जैसे खिलाड़ियों के साथ ऑस्ट्रेलिया आगे तक जा सकता है.
उनकी गेंदबाजी तेज और सधी हुई है. सबसे ज्यादा डर मिशेल जॉनसन से है लेकिन दिख रहा है कि विपक्ष में मिशेल स्टार्क उसे जवाब देने में सक्षम है. उन्होंने खुद को एक मैच विजेता के रूप में विकसित किया है और वे जॉनसन की तुलना में एक बड़ा खतरा है. वे 145 किमी. प्रतिघंटा की असाधारण रफ्तार से गेंदबाजी करने और गेंद को स्विंग करने में सक्षम हैं. लेकिन जॉनसन को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता क्योंकि बड़े खिलाड़ी बड़े मैचों में ही धमाका करते हैं.
दक्षिण अफ्रीका ने सबक नहीं सीखा. वे कागजी दावे करते रहे, जमीनी स्तर पर उन्होंने अपने प्रशंसकों को निराश किया. दक्षिण अफ्रीकियों को चोकर्स कहा जाता है. मुझे यह पंसद नहीं है. यह अवांछित टैग अब इन खिलाड़ियों के लिए बंद हो जाना चाहिए. श्रीलंका के रूप में उनके सामने मजबूत विरोधी टीम थी, जो पिछले दो विश्वकप के दौरान फाइनल में रही. इंग्लैंड को कुछ गलत फैसलों की वजह से जल्द ही बाहर का रास्ता देखना पड़ा. उन्हें बांग्लादेश की प्रभावशाली टीम के खिलाफ मैच में नरमी का खामियाजा भुगतना पड़ा. अब कुछ रोमांचक मुकाबलों के लिए मैदान तैयार है. सीट पर पीछे होकर बैठिए और जमकर मजा लिजीए.
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