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Updated: 11 जून, 2023 09:29 PM
कुमार विवेक
कुमार विवेक
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भारत जैसे क्रिकेट प्रेमी देश मे सात-आठ साल में ही बच्चा क्रिकेट की समझ रखने लगता है. फिर भी बारह-चौदह साल वह उम्र होती है जब क्रिकेट की बारीक समझ होने लगती है. हम जैसों की यही उम्र रही होगी जब कंधे तक झूलते सुनहले बालों वाला धोनी नाम का एक लड़का क्रिकेट में पदार्पण करता है. उससे पहले नयन मोंगिया के जाने के बाद से भारत एक अदद विकेटकीपर की तलाश में दस-बारह खिलाड़ियों की तरफ देख चुका था.पर यह तलाश धोनी पर आकर पूरी हुई.

शुरुआती दौर में धोनी के लंबे बाल, मोटरसाइकिल का शौक और उसपर बैठकर उन्हीं उड़ते बालों की तस्वीरें वैसे ही थी जैसी आमतौर पर बिंदास अंदाज में जीने वाले खाँटी भारतीय लड़कों की होती है. इससे हुआ ये की लड़के उनमें अपना अक्स देखने लगने और उनसे कनेक्ट होते चले गए. सचिन की तरह और कभी-कभी उनसे भी आगे धोनी ही वह खिलाड़ी है जिनके नाम पर स्टेडियम झूम जाया करता है.

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धोनी एक तरफ क्रिकेट में छा रहे थे तो दूसरी तरफ भारतीयों के दिल में समा भी रहे थे. पर कभी-कभी नतीजे उनके मुताबिक नहीं भी रहे. इसके बाद भी धोनी हर हाल में एक से बने रहे. पूरे कैरियर में उनके चेहरे पर न कभी जीत का वैसा उत्साह दिखा और न ही हार की वैसी मायूसी दिखी जैसी आम तौर पर दिखने की उम्मीद होती है.

ये तस्वीर कल के आई पी एल फाइनल की है. मैच उस रोमांच पर था जहां से चेन्नई की हार के चांस ज्यादा थे. मगर ऐन वक्त पर आखिरी की दो गेंदों पर जडेजा ने जीत चेन्नई के खाते में दर्ज करा दी .चेन्नई की टीम और पूरा स्टेडियम पीली जर्सी में जश्न में डूब गया.पर धोनी शान्ति से सब घटता देख रहे थे. धोनी को लग रहा होगा की बैट टांगने का वक्त आ गया है .अंत हमेशा ही दुःखद होता है.पर इस योद्धा को वह अंत मिला जिसका वह हकदार था. धोनी ने ही कहानी शुरू की बीच का हिस्सा भी उन्होंने ही लिखा और इस पूरी स्क्रिप्ट का जो अंत होना था धोनी को उसका वही सुखद अंत भी मिला.

बिहार जिसका एक हिस्सा बाद में झारखण्ड बना जैसे पिछड़े राज्य से आकर विश्व क्रिकेट के शिखर पर जाना और छाना एक कमाल की दास्तां है. धोनी के डेब्यू के समय के हम जैसे बारह-चौदह साल के लड़के आज तीस-इकतीस के है. कुछ बाइस से तीस के बीच के है.कुल औसत निकाले तो बाइस से पैंतीस के बीच की एक ऐसी युवा पीढ़ी है जिसने धोनी की क्रिकेट को देखा और समझा है. इनके लिए धोनी नें अपने व्यक्तित्व के दम पर मोटिवेशन की एक बड़ी दास्तां छोड़ी है.जब भी जीत का गुमान हो, जब भी हार में निराश हो तब तुम सिर्फ धोनी की ओर ताक लेना .सारे मसलों का हल मिल जाएगा.

लेखक

कुमार विवेक कुमार विवेक @5348576095262528

Prsnt Asst Teacher at Basic Shiksha Parishad ,लेखक,WORKED at REVENUE DEPT UP GOV from 2016 to August2018 ,WORKED as EDI in IND POSTYEAR 2010

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