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Updated: 20 दिसम्बर, 2015 03:40 PM
विनीत कुमार
विनीत कुमार
  @vineet.dubey.98
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वेस्टइंडीज की टीम इस समय तीन टेस्ट मैचों की सीरीज खेलने के लिए ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर है. पहले मैच में कैरेबियाई टीम को इनिंग और 212 रनों से हार का सामना करना पड़ा. लेकिन उस हार से ज्यादा चर्चा क्रिस गेल की हो रही है जो टी-20 में 600 छक्के लगाने वाले पहले बल्लेबाज बन गए हैं. गेल भी इन दिनों ऑस्ट्रेलिया में मौजूद हैं लेकिन अपनी टीम के लिए नहीं बल्कि टी-20 टूर्नामेंट बिग बैश लीग के लिए. बहस छिड़ी तो ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान माइकल क्लार्क ने कह दिया कि लगातार क्लब और इंटरनेशनल क्रिकेट के बीच हो रहे इस टकराव को खत्म करने के लिए जरूरी है कि ICC अपनी भूमिका निभाए.

इंटरनेशनल क्रिकेट ज्यादा महत्वपूर्ण या क्लब क्रिकेट

क्लार्क ने कहा है कि हर हाल में इंटरनेशनल क्रिकेट को ज्यादा तवज्जो मिलनी चाहिए और अगर संतुलन बिगड़ रहा है तो ICC को रास्ता निकालना होगा. इसलिए सवाल उठ रहे हैं कि क्या टी-20 क्लब मैचों ने या ऐसे बड़े आयोजनों से इंटरनेशनल क्रिकेट पर खतरा मंडराने लगा है? यह सवाल इसलिए क्योंकि बात केवल गेल की नहीं है. वेस्टइंडीज टीम को ही देखें तो ड्वायन ब्रावो, लेंडल सिमंस, आंद्रे रसेल, सैमुअल बद्री.. ये तमाम नाम सामने हैं जो क्लब टी-20 को तरजीह देने लगे हैं. और संदेश जा रहा है कि इन खिलाड़ियों के लिए इंटरनेशनल क्रिकेट की अब बहुत प्राथमिकता नहीं रह गई है.

गेल फिट न होने की बात करते हुए कहते हैं कि वह टेस्ट मैच के लिए फिलहाल तैयार नहीं हैं. उन्होंने आखिरी टेस्ट मैच पिछले साल सितंबर में खेला था और आखिरी वनडे इस साल वर्ल्ड कप में 21 मार्च को न्यूजीलैंड के खिलाफ. लेकिन दूसरी ओर वह IPL, कैरेबियन प्रीमियर लीग, बांग्लादेश प्रीमियर लीग के बाद अब बिग बैश में अपना जौहर दिखाने से भी नहीं चूक रहे. इसलिए सवाल तो खड़े होंगे. और क्रिकेट में ऐसा पहली बार नहीं हो रहा जब क्लब क्रिकेट और इंटरनेशनल क्रिकेट को लेकर बहस हो रही हो.

ये बहस पिछले चार-पांच वर्षों से जारी है. खासकर, IPL की सफलता के बाद जिस तरह दुनिया के अलग-अलग क्रिकेट बोर्ड अपने यहां क्लब क्रिकेट को बढ़ावा देने में लगे हैं.. उसने इस सवाल को मौजूं कर दिया है. बांग्लादेश के शाकिब अल हसन से लेकर वेस्टइंडीज के सुनील नरेन के मामले को हम देख ही चुके हैं.

भारत से लेकर श्रीलंका, पाकिस्तान, बांग्लादेश और ऑस्ट्रेलिया तक में क्लब क्रिकेट हावी होने लगा है. कुछ जगहों पर यह फॉर्मेट बेहद सफल रहा है तो कुछ जगहों पर सफलता की तलाश जारी है. लेकिन जाहिर तौर पर इसने इंटरनेशनल क्रिकेट को प्रभावित करना शुरू कर दिया है. अगर सभी देशों ने क्लब क्रिकेट को महत्व देने शुरू कर दिया तो इंटरनेशनल कैलेंडर का क्या होगा? इसमें ICC की भूमिका क्या होगी? और क्या हम कह सकते हैं कि क्रिकेट भी धीरे-धीरे अब फुटबॉल की राह पर चल पड़ा है? इन सवालों का जवाब बेहद मुश्किल है. लेकिन खिलाड़ियों और पैसे कमाने की होड़ में लगे सभी क्रिकेट बोर्ड को समझना होगा कि क्रिकेट आज भी रेस में फुटबाल से मीलों पीछे है. क्रिकेट की पहचान, उसका आधार, उसका रोमांच इंटरनेशनल मैच ही हैं. बेहतर है हम उसे ही बचाए... अगर यह प्रभावित हुआ तो असर खेल की लोकप्रियता पर भी पड़ेगा.

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लेखक

विनीत कुमार विनीत कुमार @vineet.dubey.98

लेखक आईचौक.इन में सीनियर सब एडिटर हैं.

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