क्रिकेट और भारत से पहले CSK को रखने पर धोनी को शर्म आनी चाहिए
जस्टिस मुद्गल कमेटी के फैसले के बाद कई लोगों ने सीधे एक सवाल पूछा- खिलाड़ियों का क्या होगा? कुछ और भी आगे बढ़ गए और पूछा- महेंद्र सिंह धोनी का क्या होगा?
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भारतीय क्रिकेट के इतिहास में इस जैसा कोई दिन नहीं है. न्यायमूर्ति लोढ़ा और उनकी टीम ने मीडिया के एक बड़े मजमे के सामने फैसला पढ़कर सुनाया जो राजस्थान रॉयल्स, इंडिया सीमेंट्स और चेन्नई सुपर किंग्स (CSK) और खासकर इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के लिए एक मौत जैसा झटका है. इस सब के बीच कई लोगों ने सीधे एक सवाल पूछा- खिलाड़ियों का क्या होगा? कुछ और भी आगे बढ़ गए और पूछा- महेंद्र सिंह धोनी का क्या होगा? कई मायनों में भारतीय कप्तान पर अपने प्यारे आईपीएल और CSK के लिए अगले दो साल तक नहीं खेल पाने का खतरा मंडरा रहा है. धोनी को दंडित किए जाने को लेकर भावनात्मक क्यों होना चाहिए? और यह उनके प्रशंसकों के एक समूह की आम बात है.
अगर भारतीय कप्तान ने कुछ गलत नहीं किया है तो यह पूछना पूरी तरह जायज है कि उन्हें सजा क्यों मिलनी चाहिए? जो इंसान एक क्रिकेटर के रूप में खेल से अपनी रोजी-रोटी कमाता है, उसमें उस जुर्म के लिए किसी को सजा देना, जो उसने किया ही नहीं, अनुचित है. लेकिन एमएसडी का मामला अलग है. एमएसडी, इस बात को याद रखना चाहिए कि जस्टिस मुद्गल कमेटी ने उन्हें बुलाया था और पूछा गया था कि हकीकत में क्या गुरुनाथ मय्यपन टीम के प्रमुख थे? उनका जवाब अच्छी तरह से दस्तावेजों पर आधारित था जो अब सार्वजनिक हो गया है, लेकिन वह भारतीय कप्तान के तौर पर सही जवाब नहीं दे पाए. इस बात पर विश्वास करना मुश्किल है कि उन्हें यह नहीं पता था कि उनकी अपनी टीम का प्रमुख कौन है. इस बात पर विश्वास करना असंभव है कि धोनी इस बात से अनजान थे कि गुरुनाथ एक प्रमुख अधिकारी और टीम के मालिकों में से एक थे. कप्तान के रूप में जो टीम के मालिकों से रोजाना बात-चीत करता हो, स्वाभाविक तौर पर उसे ये बात पता होगी. धोनी भी इस बात को जानते हैं. इंडिया सीमेंट्स के उपाध्यक्ष ही CSK के मालिक हैं, अनुमान है कि धोनी टीम में पद के क्रम में गुरुनाथ की सही पोजिशन जानते थे. सच कहूं तो जस्टिस मुद्गल कमेटी ने इसी बात को इंडिया सीमेंट्स के संबंध में आधार बनाकर इस्तेमाल किया है. इंडिया सीमेंट्स लंबे समय से दुनिया को यह बताने की कोशिश कर रहा है कि गुरुनाथ टीम के मालिक नहीं थे और वे स्वामित्व संरचना का हिस्सा नहीं थे. एक बार प्रसिद्ध श्रीनिवासन ने गुरुनाथ पर टिप्पणी करते हुए उन्हें उत्साही गुरु कहा था.
क्या भारतीय कप्तान को सही जवाब नहीं पता था? जिन्होंने खेल की भावना में जस्टिस मुद्गल कमेटी को कहा था कि गुरुनाथ कौन था? क्या उनकी तरफ से खेल की अखंडता के लिए खड़े होना उचित नहीं था बजाय इसके कि वह अपनी टीम के मालिक को बचाने की कोशिश कर रहे थे? जाहिर है एमएसडी ने जस्टिस मुद्गल कमेटी के सामने गुरुनाथ की असली पहचान का खुलासा न करके इस खेल और अपने प्रशंसकों को नीचा दिखाया है. इसके परिणाम के स्वरूप अगर उन्हें लोढ़ा कमेटी के फैसले का खामियाजा भुगतना पड़ता है तो बहुत कम उम्मीद है कि कोई उनके बचाव में आएगा. सच कहूं तो उनके पास भारतीय कप्तान के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत करने का मौका था. उन्होंने अपनी फ्रेन्चाइजी को चुना. उनकी वफादारी CSK के लिए थी, क्रिकेट के लिए नहीं. और अब उनकी फ्रेन्चाइजी को निलंबित कर दिया गया है. तो शायद यह ठीक है कि एमएसडी को इसके नतीजों का खामियाजा भुगतना पड़ेगा.
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