क्रिकेट विश्व कप 2015: पाक पर भारत की जीत ने मुझे चौकाया नहीं
भारत की ऐसी जीत की पहले से ही उम्मीद थी. शिखर धवन, विराट कोहली और सुरेश रैना की तिकड़ी ने जो प्रदर्शन किया वो उनकी प्रतिष्ठा के अनुरूप ही था.
-
Total Shares
मेरे लिए अचरज की बस थोड़ी सी गुंजाइश थी. भारत की ऐसी जीत की पहले से ही उम्मीद थी. शिखर धवन, विराट कोहली और सुरेश रैना की तिकड़ी ने जो प्रदर्शन किया वो उनकी प्रतिष्ठा के अनुरूप ही था. भारत की गेंदबाजी भी सधी हुई थी. एक ठोस टीम की ये शानदार शुरुआत थी. किसी भी पूर्व विजेता से ऐसी ही उम्मीद होती है और उन्होंने इसका शानदार प्रदर्शन किया.
माहौल उत्साह से भरपूर था. एडिलेड के अतीत में देखें तो पहले भी ऐसे कुछ रोमांचक मैच हो चुके हैं. क्रिकेट प्रशंसकों को रविवार के दिन भी खचाखच भरे खूबसूरत आयोजन स्थल पर ऐसे ही एक धमाकेदार मैच की उम्मीद थी. ऐसा इसलिए नहीं हुआ कि क्योंकि भारतीय टीम हर मामले में मजबूत थी. मैं तो सोच भी नहीं सकता कि प्रतिभाओं के मामले में पाकिस्तानी टीम कमजोर हो सकती है. मगर हकीकत में ये एक बेमेल टीम थी. एमएस धोनी ने कुछ भी गलत नहीं किया. उसने टॉस जीता और पहले बैटिंग का सही फैसला किया. उन्होंने सामने वाली टीम के प्रति सकारात्मक रुख अख्तियार किया, और प्रशंसकों को एक गर्मजोशी भरा संदेश संदेश देते हुए इस मैच को अंजाम तक पहुंचाया. ये टीम खिताब की रक्षा करने में पूरी तरह सक्षम दिखती है.
मैं खासतौर पर मोहम्मद शमी से प्रभावित हुआ जिसने अपने पहले विश्व कप मुकाबले में ही सुर्खियां बटोर ली. मुझे पूरा विश्वास है कि वो जल्द ही भारत का प्रमुख गेंदबाज बनकर उभरेगा. क्योंकि उसके पास बड़े लेवल पर खेलने का हुनर और काबिलियत है.
मुझे इस बात की फिक्र थी कि शमी कैसे खुद को उस स्थिति के अनुकूल बनाएगा जिसमें पिच गति और उछाल की वजह से गेंदबाजों के लिए परेशानी का सबब बनती हैं. लेकिन उसने बेहतरीन नियंत्रण दिखाते हुए बहुत अच्छा प्रदर्शन किया और पाकिस्तान के बल्लेबाजों को हैरान किए रखा. वो केवल विकेट लेने में जुटा हुआ था. मुझे उसकी सबसे अच्छी बात यही लगी. क्योंकि विकेट लेने से ही सामने वाली टीम दबाव में आती है.
विराट का खेल भी सम्मोहक दिख रहा था. अपने शॉट्स खेलने के लिए उसकी टाइमिंग बहुत ही सटीक है और उसकी स्ट्रोक खेलने की जो क्षमता है वो किसी भी कप्तान को इस बात के लिए परेशान कर सकती है कि मैदान में उसके खिलाफ फील्डिंग कैसी रखी जाए. मैं आश्वस्त था जब मैने उसे शिखर धवन के साथ ऐसे पारी खेलते हुए देखा जैसे उसने अपना लक्ष्य निर्धारित कर रखा हो, मगर वो बीच में ही चला गया.
रोहित शर्मा का जल्दी आउट हो जाना कुछ के लिए चिंता का कारण हो सकता है लेकिन विराट और शिखर ने सभी नकारात्मक पहलुओं को खारिज कर दिया. गेंदबाजी के पीछे न भाग कर उन्होंने अपनी परिपक्वता दिखाई. इस दाएं और बाएं हाथ के बल्लेबाजों की जोड़ी की ने पाकिस्तान के गेंदबाजों को जमने ही नहीं दिया. शिखर और विराट को अपनी जिम्मेदारी का अहसास अच्छे से था. मुझे अच्छा लगा कि विराट आखिर तक मैदान में जमे रहे और भारत का स्कोर 300 पहुंच सका.
शिखर के रन आउट हो जाने बाद सुरेश रैना ने अपना काम अच्छी तरह से पूरा किया. शिखर का आउट हो जाना पाकिस्तान के लिए एक बड़ी राहत थी, लगा कि पाकिस्तान ने शायद मैच की दिशा बदल दी. लेकिन रैना ने हालात को काबू करने में ज्यादा वक्त नहीं लगाया और आगे की पारी भी शानदार रही.
301 रनों का लक्ष्य मुश्किल तो था लेकिन नामुमकिन नहीं. पाकिस्तान ने पारी की शुरूआत करने के लिए युनुस खान को भेजा. यह एक गलत कदम था क्योंकि मध्य क्रम में बल्लेबाजी की तुलना में पारी की शुरुआत करने के लिए एक अलग सोच और नजरिए की ज़रूरत होती है. अहमद शहजाद और मिस्बाह-उल-हक ने कुछ मजबूती देने की कोशिश की लेकिन भारत ने उद्देश्य के अनुरूप गेंदबाजी से मैच पर अपनी पकड़ मज़बूत बना ली. मैं कहूंगा कि मैदान पर भारतीय टीम शानदार नजर आई.
धोनी को हर वक्त हमलावर की तरह देखना अच्छा लगा. धोनी ने अपनी रणनीति में भी बुद्धिमानी दिखाई. और आखिर में, यह कि क्रिकेट कमेंटेटर बॉक्स में अमिताभ बच्चन की महान आवाज को सुनना अपने आप में अदभुद था. और उनके साथ काम करना हमारे लिए गौरव की बात है.
आपकी राय