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Updated: 15 जून, 2019 09:12 PM
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World Cup 2019 में मैदान में हो रही जंग जितनी दिलचस्प है उतनी ही दिलचस्प मैदान के बाहर होने वाली जंग है. हम बात कर रहे हैं भारत और पाकिस्तान के बीच विज्ञापनों की जंग की. कप के दौरान मौका-मौका कैंपेन के विज्ञापनों के जरिए भारत-पाक के बीच नोक-झोंक की परंपरा रही है. खेल के साथ ये हंसी मजाक का सिलसिला 2015 से बदस्तूर चल रहा है. लेकिन World Cup 2019 की मौका-मौका दिलचस्प से ज्यादा आक्रामक रूप लेती जा रही है.

स्टार स्पोर्ट्स ने इस बार भी ICC World cup india vs pakistan पर मौका-मौका सीरीज़ का विज्ञापन प्रसारित किया जो Father's day की थीम पर बना था.

लेकिन इसके बाद पाकिस्तान इस जंग को दूसरे ही लेवल पर ले गया. इस विज्ञापन के जवाब ने पाकिस्तान ने जो हरकत की उसे दुनिया भर से आलोचनाएं झेलनी पड़ीं. इस विज्ञापन पर रेसिज्म के आरोप भी लगे. अपने विज्ञापन में उन्होंने विंग कमांडर अभिनंदन को भी जोड़ दिया. और अभिनंदन की नकल करते हुए sportsmanship सारी सीमाएं लांघ दी.

लेकिन पाकिस्तान की इस हरकत पर भारत भला कैसे चुप रह सकता था. भारत ने जवाब भी दिया तो भी इतनी शालीनता से कि सामने वाले को जोर से लगी भी और वो चिल्ला भी न सके. भारत ने अभिनंदन का जवाब अभिनंदन से ही दिया-

लेकिन अब पाक्सितान को इसका जवाब देने का मौका नहीं मिलेगा. क्योंकि मैदान में दोनों टीमों को एक दूसरे के सामने आने में अब ज्यादा समय नहीं बचा है.

भारत ने जब भी मौका-मौका सीरीज पर कोई विज्ञापन बनाया तो खेल भावना को ही अहमियत दी. हल्की-फुल्की नोक झोंक जरूर रही, लेकिन इस बात का हमेशा ख्याल रखा गया कि इससे किसी भी देश की भावनाएं आहत न हों. सिर्फ पाकिस्तान ही नहीं मौका-मौका सीरीज़ में बाकी देश भी शामिल रहे हैं. और सभी ने इसे हल्के फुल्के मजाके के तौर पर ही लिया. अब मौका-मौका की बात चली ही है जो एक बार फिर पुरानी यादें भी ताजा कर ली जाएं कि आखिर इन विज्ञापनों की शुरुआत कब और कैसे हुई.

2015 में स्टार स्पोर्ट्स ने वर्ल्डकप 2015 के प्रमोशन के लिए पहली बार मौका-मौका का विज्ञापन प्रसारित किया था. जिसमें दिखाया गया कि कैसे एक पाकिस्तानी पाकिस्तान की जीत पर पटाखे फोड़ने के लिए 1992, 1996, 1999, 2003, 2011 हर वर्ल्ड कप में इंतजार करता रह जाता है.

ये विज्ञापन बेहद सफल रहा था. और इसी विज्ञापन से स्टार स्पोर्ट्स ने इस सीरीज़ को आगे बढ़ाया. सिर्फ पाकिस्तान ही नहीं इन विज्ञापनों में फिर दक्षिण अफ्रीका भी दिखाई दिया. जिसमें बताया गया था कि भारत दक्षिण अफ्रीका के साथ तीन बार भिड़ चुका है लेकिन जीता नहीं, क्या चौथी बार जीत पाएंगे??

फिर India vs UAE भी हुआ, जिसमें पहले विज्ञापन में पाकिस्तानी बने विशाल मलहोत्रा दोबारा दिखाई दिए लेकिन इस बार थोड़े और उम्रदराज दिखे.

इन विज्ञापनों को देखेंगे तो सिर्फ हंसी आएगी. खेल भावना के साथ-साथ खुद को साबित करने की भावना भी दिखती है. इसके बाद वेस्टइंडीज के साथ होने वाले मैच में भी पाकिस्तान को लेकर तंज कसा गया.

फिर India vs ireland में दोबारा पाकिस्तानी बने विशाल मलहोत्रा हाथ में पटाखे लिए दिखाई दिए. लेकिन इस बार वो ग्रीन नहीं ब्लू जर्सी में थे.

ऐसा नहीं कि पाकिस्तान की केवल खिंचाई ही की गई, वो मौका भी आया जब वो पाकिस्तानी हंसता गाता भी दिखाई दिया. स्टार स्पोर्ट्स ने ये भी दिखाने की कोशिश की कि शायद इस बार पटाखे फोड़ने का मौका पाकिस्तान को मिल जाए.

2015 के क्वाटर फाइनल में भी मौका-मौका खूब चला.

इसके बाद भारत vs बांगलादेश के मैच का प्रमोशन मौका-मौका कव्वाली के जरिए किया गया, जिसे लोगों ने बेहद पसंद किया था. इसमें सभी देशों के बंदों को नाचते गाते दिखाया गया था.

2016 में ICC world T20 में मौका-मौका में पाकिस्तानी भाई अपने दिल का दर्द पाकिस्तानी क्रिकेटर से बयां करता नजर आता है.

अब इन विज्ञापनों को देखने के बाद एक बार भी ये नहीं लगा कि इसमें पाकिस्तान का मजाक उड़ाया गया हो. इस बार भी मौका मौका का विज्ञापन ऐसा नहीं था कि उसपर पाकिस्तान इसनी बुरी तरह प्रतिक्रिया देता. लेकिन पुलवामा हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में आई तल्खी की एक झलक पाकिस्तान के विज्ञापन में साफ दिखाई दी.

पाकिस्तान और भारत चाहे क्रिकेट में भिड़ें या सीमा पर, जब भी भिड़ते हैं दोनों ही दोशों के इमोशन्स काफी आक्रामक तरीके से निकलते हैं. लेकिन इस बार तनाव अपने चरम पर है. 16 जून को ये दोनों फिर मैदान में भिड़ेंगे, मैच का परिणाम कुछ भी हो सकता है. जब क्रिकेट के दीवानों का ये हाल है कि विज्ञापनों को देखकर ही जंग छेड़ रखी है तो सोचिए कि दोनों टीमें कितने दबाव में होंगी. जो भी हो, दोनों ही दोशों को ये समझना चाहिए कि खेल सिर्फ खेल है, खेल भावना को लेकर चलेंगे तो शांति बनी रहेगी. वहीं पाकिस्तान को भी मजाक की भाषा समझने की जरूरत है. खेल के जरिए सेना क मनोबल बढ़ाना तो समझ में आता है लेकिन खेल खेल में सेना का अपमान करना किसी के हित में नहीं. बेहतर हो कि मौका-मौका सिर्फ इंटरटेनमेंट ही बनकर रहे.

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