मोहम्मद शमी के मैन ऑफ द मैच न चुने जाने पर भी 'हिंदू-मुस्लिम' हो गया!
पहले अफ़ग़ानिस्तान फिर वेस्ट इंडीज बेहतरीन प्रदर्शन करने के बावजूद मोहम्मद शमी को प्लेयर ऑफ द मैच नहीं चुना गया इसके बाद तरह तरह की बातें हो रहीं हैं और इसे हिंदू मुस्लिम से जोड़कर देखा जा रहा है जोकि सरासर गलत है.
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ICC World Cup 2019 अपना आधे से ज्यादा सफर तय कर चुका. बात अगर टीम इंडिया की हो तो टीम इंडिया ने अपने मैचों में जैसी सधी हुई पारी खेली है, ये कहना अतिश्योक्ति नहीं है कि टीम इंडिया अजेय है और उसके अन्दर हर वो गुण हैं जिसके दम पर वो विश्व कप पर अपना कब्ज़ा जमा सकती है. इस वर्ल्ड कप में यदि टीम इंडिया के पिछले दो मैचों के देखें या फिर उनका अवलोकन करें तो मिलता है बल्लेबाजों की अपेक्षा वो गेंदबाज ही थे जिनके प्रयासों से टीम इंडिया ने अपने पिछले दोनों मैच जीते. बात विजय मैच की हुई है तो 'मैन ऑफ द मैच' का जिक्र स्वाभाविक है, जो पिछले दो मैचों के कारण विवाद की वजह बना है. 22 जून को खेले गए इंडिया अफ़ग़ानिस्तान के मैच का अवलोकन किया जाए तो मिलता है कि इस मैच में टीम इंडिया की तरफ से 50 ओवरों में 8 विकेट के नुकसान पर 224 रन बनाए गए थे. मैच टीम इंडिया ने 11 रनों से जीता था और इस मैच में जसप्रीत बुमराह ने 10 ओवरों में 39 रन देखर अफ़ग़ानिस्तान के 2 विकेट चटकाए थे जबकि मोहम्मद शमी ने 9.5 ओवरों में 40 रन देकर 4 विकेट लिए थे. इस मैच में जसप्रीत बुमराह को प्लेयर ऑफ द मैच चुना गया.
पिछले दो मैचों में अच्छे प्रदर्शन के बावजूद मोहम्मद शमी को प्लेयर ऑफ द मैच न दिए जाने के कारण सोशल मीडिया पर तरह-तरह की बातें हो रही हैं
अब बात 27 जून 2019 को हुए इंडिया बनाम वेस्टइंडीज के मैच की. मुकाबले से पहले इंडिया और वेस्ट इंडीज के मुकाबले को भारत के लिहाज से एक कड़ा मुकाबला माना जा रहा था. इस मैच में टीम इंडिया ने टॉस जीता और पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया. इस मैच में टीम इंडिया ने 7 विकेटों के नुकसान पर 50 ओवरों में 268 रन बनाए जवाब में वेस्ट इंडीज 34.2 ओवरों में 143 रन बनाकर ढेर हो गई.
#MohammadShami becomes the 2nd #Indian bowler to pick up a World Cup #hattrick after Chetan Sharma (1987).Rajan c pic.twitter.com/BfEplkit0N
— Rãjãñ_Çhãüdhãry (@RajanChu1618) June 22, 2019
टीम इंडिया ने मुकाबला 125 रनों से जीता. इस मैच में टीम इंडिया की तरफ से विराट कोहली ने 82 गेंदों पर 72 रन बनाए जबकि एमएस धोनी ने नाबाद रहे और 61 गेंदों पर 56 रन की पारी खेली. बात गेंदबाजी की हो तो चहल और बुमराह ने 2-2 विकेट लिए जबकि इस मैच में भी मोहम्मद शमी ने अपनी आक्रामक गेंदबाजी का परिचय देते हुए 6.2 ओवरों में 16 रन देकर 4 विकेट चटकाए. आशा की जा रही थी कि इस मैच में शमी को प्लेयर ऑफ द मैच चुना जाएगा जबकि इस मैच में प्लेयर ऑफ द मैच टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली हुए.
इन दोनों ही मैचों के बाद से सोशल मीडिया पर मोहम्मद शमी को लेकर तरह तरह की बातें हो रही हैं. हमारे बीच का एक बड़ा वर्ग ऐसा है जिन्होंने खेल में भी धर्म का एंगल निकाल लिया है और इसे हिंदू मुस्लिम से जोड़कर देखना शुरू कर दिया है. लोगों के तर्क कुछ ऐसे हैं कि शमी मुस्लिम हैं इसलिए बेहतरीन खेल के बावजूद टीम में उनकी भूमिका को लगातार नकारा जा रहा है.
इस मुद्दे पर जबरदस्त राजनीति हो रही है
@amanpreet नाम के यूजर ने लिखा है कि शमी एक मुस्लिम होने के बावजूद टीम को जीत दिलाने में लाम्याब रहे जबकि हिन्दू लोग कुछ नहीं कर पाए.
वहीं एक अन्य यूजर ने भी कुछ ऐसी बात लिखी है. साथ ही उन्होंने ये भी कहा है कि ये रवैया बता रहा है कि टीम मुसलमानों से कितना जलती है हिन्दू मुस्लिम दृष्टिकोण से इस मुड़े को देखते लोग
मोगैम्बो नाम के यूजर ने भी यही बात लिखी है कि मगर कहीं न कहीं इनकी बातें तार्किक जान पड़ रही है.
लोगों के खेल के सम्मान की बात तो कही मगर इसमें हिन्दू मुस्लिम आ गया
शाह सुहेल नाम के यूजर ने जो बात कही है वो ये साफ साफ बता रही है कि हमारे दिलों में नफरत कहाँ तक घर कर गई है.
लोग शमी की आड़ में अपनी नफरत दिखा रहे हैं
मोहम्मद शमी की परफॉरमेंस पर सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं का दौर शुरू हो गया है. इस पूरे विषय और हिंदू मुस्लिम के इस घिनौने ट्रैप पर बात करने से पहले हमारे लिए दोनों ही मैचों पर बात करना बहुत जरूरी है. बात की शुरुआत 22 जून को हुए इंडिया अफ़ग़ानिस्तान मैच से, जिसमें शमी के 4 विकेटों के इतर 2 विकेट लेने वाले बुमराह को प्लेयर ऑफ द मैच चुना गया.
मैच पर गौर करें तो मिलता है कि इसमें बुमराह ने फर्स्ट डाउन पर उतरे रहमत शाह और सेकंड डाउन पर उतरे हशमतुल्लाह शहीदी को आउट कर पवेलियन भेजा था. जिस समय बुमराह ने ये दोनों विकेट चटकाए आर पार की स्थिति थी.
कुछ भी हो सकता था यदि ये दोनों ही खिलाड़ी रुक जाते तो बड़ी ही आसानी के साथ अफ़ग़ानिस्तान भारत को पराजित कर मुकाबला जीत सकती थी. कह सकते हैं कि इन दोनों ही महत्वपूर्ण विकेटों को चटकाकर बुमराह ने न सिर्फ टीम इंडिया में उम्मीदें भरी थीं बल्कि इससे शमी के भी बेहतर प्रयास करने की संभावनाओं को बल मिला था जिसका पूरा फायदा उन्होंने उठाया और वो कई जरूरी विकेट चटकाने में कामयाब रहे.
अब बात बीते दिन हुए इंडिया और वेस्ट इंडीज मैच की. इस बात में कोई शक नहीं है कि ये पूरा वर्ल्ड कप, खासतौर से वो सभी मैच जो इंडिया ने दूसरी टीमों के साथ खेले हैं. उन्हें देखें तो मिलता है कि इसमें अगर जीत हासिल हुई है तो इसका एक बड़ा श्रेय गेंदबाजों को जाता है. इंडिया वेस्ट इंडीज मैच में भी गेंदबाजों की भूमिका नकारी नहीं जा सकती मगर इस मैच में अगर टीम ने तूफानी प्रदर्शन किया तो उसका पूरा क्रेडिट बल्लेबाजों को जाता है और यही वो कारण था जिसके चलते शमी की जगह कोहली को मैन ऑफ द मैच चुना गया. जाते जाते हमारे लिए ये बताना भी जरूरी है कि मोहम्मद शमी वर्ल्ड कप से पहले टीम इंडिया का हिस्सा थे भी नहीं. भुवनेश्वर कुमार टीम में थे मगर उन्हें चोट लग गई थी इसलिए उनकी जगह पर शमी को टीम में लाया गया और अपने प्रदर्शन से शमी ने साबित कर दिया कि चयनकर्ताओं द्वारा उन्हें टीम में जगह देना एक समझदारी भरा फैसला था.
ये तो बात हो गई क्रिकेट की. अब आते हैं हिंदू मुस्लिम की उस घिनौनी राजनीति पर जिससे अब खेल भी अछूता नहीं है. दो बातें हैं. पहली तो ये कि 2019 का लोकसभा चुनाव हुए भले ही ठीक ठाक वक़्त गुजर गया हो मगर जैसा चीजों के प्रति हमारा रवैया है हम अब भी उसी खुमार में हैं और क्योंकि यही हमारे देश की राजनीति का आधार है इसलिए हम चीजों को भी अब उसी नजरिये से देखते हैं. राजनीति से ही लोग खेल में आते हैं और अब क्योंकि बहुत से खिलाड़ी राजनीति में आ गए हैं इसलिए ऐसी अतार्किक बातों का मुद्दा बनना और सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं आना लाजमी है.
बहरहाल अब जब ऐसी बातें निकल ही आई हैं तो हमारे लिए ये भी कहना गलत नहीं है जैसा टीम इंडिया का हाल है और इसमें जैसे शमी और बुमराह एक साथ रह रहे हैं यही अनेकता में एकता है.
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