मुस्लिम होने की वजह से टीम इंडिया में नहीं चुने गए मोहम्मद शमी वाला सियासी लॉजिक 'बचकाना' है
T20 World Cup के लिए टीम इंडिया (Team India) के स्क्वॉड का ऐलान कर दिया गया है. जिस पर कांग्रेस नेता और पूर्व विधायक तौसीफ आलम (Tauseef Alam) ने सवाल खड़े किए हैं. तौसीफ आलम ने मोहम्मद शमी (Mohammed Shami) समेत कुछ मुस्लिम खिलाड़ियों को टीम इंडिया में शामिल न किए जाने पर सिलेक्शन में धर्म के आधार पर भेदभाव का आरोप लगाया है.
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ऑस्ट्रेलिया में होने वाले टी20 वर्ल्ड कप के लिए टीम इंडिया का ऐलान कर दिया गया है. बीसीसीआई की ओर से टीम इंडिया के स्क्वॉड में 15 खिलाड़ियों को शामिल करने के साथ 4 स्टैंडबाय प्लेयर्स का चयन किया गया है. लेकिन, मोहम्मद शमी को टीम इंडिया के मेन स्क्वॉड में शामिल न किए जाने पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं. दावा किया जा रहा है कि टीम इंडिया के तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी को मुसलमान होने की सजा मिल रही है. और, ये दावा किया है कांग्रेस नेता और बिहार के पूर्व विधायक तौसीफ आलम ने.
टीम इंडिया में खिलाड़ियों के चयन पर सवाल उठाते हुए तौसीफ आलम ने एक पोस्ट लिखी है. सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में तौसीफ आलम ने लिखा है कि 'मैं तब तक क्रिकेट नहीं देखूंगा, जब तक टीम इंडिया में निष्पक्ष सिलेक्शन न हो जाए. टी20 वर्ल्ड कप के लिए टीम इंडिया का चयन हुआ. और, मैं चयनकर्ताओं के फैसले से हैरान हूं. मोहम्मद शमी, मोहम्मद सिराज, खलील अहमद जैसे खिलाड़ियों को बाहर बैठा देने पर आश्चर्य लगा.' आसान शब्दों में कहें, तो कांग्रेस के इस मुस्लिम नेता ने टीम इंडिया के चयन में भी राजनीति घुसेड़ते हुए इसे हिंदू-मुस्लिम की बहस में उलझाने की कोशिश की.
वहीं, कांग्रेस नेता का ये पोस्ट वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर संजू सैमसन को लेकर भी ऐसे ही दावे किए जाने लगे. कहा जाने लगा कि संजू सैमसन को भी ईसाई होने की वजह से टीम इंडिया में शामिल नहीं किया गया है. कहना गलत नहीं होगा कि मुस्लिम होने की वजह से टीम इंडिया में नहीं चुने गए मोहम्मद शमी वाला सियासी लॉजिक 'बचकाना' है. वैसे, आइए टीम इंडिया पर इसी 'तौसीफ लॉजिक' से एक नजर डाल लेते हैं.
'तौसीफ लॉजिक' से तो ये भाजपा की टीम है
अगर 'तौसीफ लॉजिक' के हिसाब से देखा जाए, तो टीम इंडिया में कप्तानी से लेकर खिलाड़ियों तक के चयन में भाजपा शासित राज्यों का दबदबा है. कप्तान रोहित शर्मा महाराष्ट्र से आते हैं. जहां शिवसेना के शिंदे गुट और भाजपा की गठबंधन सरकार है. और, रोहित शर्मा को कप्तान बनाने के पीछे की वजह यही है कि महाराष्ट्र में गठबंधन चलता रहे. सूर्यकुमार यादव और भुवनेश्वर कुमार का चयन उनके उत्तर प्रदेश से होने की वजह से हुआ है. जिससे यूपी के यादव मतदाताओं को भाजपा से जोड़ा जा सके. और, पश्चिमी यूपी में किसान आंदोलन के रोष को कम किया जा सके. दीपक हुड्डा और युजवेंद्र चहल हरियाणा से हैं. और, वहां भी भाजपा की गठबंधन सरकार है. तो, इस गठबंधन को बचाए रखने के लिए ये फैसला लिया गया होगा.
वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह राज्य गुजरात में तो इसी साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. तो, हार्दिक पंड्या, जसप्रीत बुमराह, हर्षल पटेल और अक्षर पटेल को टीम इंडिया में शामिल किया गया है. ताकि, विधानसभा चुनाव में भाजपा को बढ़त मिल सके. उत्तराखंड के ऋषभ पंत को भी शायद ऐसी ही किसी वजह से शामिल किया गया होगा. वहीं, टीम इंडिया के तेज गेंदबाज अर्शदीप सिंह को एशिया कप में डेथ ओवर्स के दौरान उनकी बेहतरीन गेंदबाजी के लिए स्क्वॉड में जगह दी गई है. लेकिन, 'तौसीफ लॉजिक' के हिसाब से अर्शदीप सिंह को पंजाब में किसान आंदोलन से हुए नुकसान की भरपाई के तौर पर रखा गया है. केएल राहुल, विराट कोहली, दिनेश कार्तिक, आर अश्विन को उनके प्रदर्शन से इनके राज्यों में होने वाले आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए टीम इंडिया में शामिल किया गया होगा.
आज से पहले शायद ही टीम इंडिया में खिलाड़ियों के सिलेक्शन पर ऐसा लॉजिक थोपा गया होगा.
राजनीति करने वालों को तो बस बहाना चाहिए
भारत में कभी भी धर्म के आधार पर खिलाड़ियों के चयन की बात सामने नहीं आई है. हां, पाकिस्तान की बात अलग है. वहां पाकिस्तानी क्रिकेट टीम में खेलने के लिए सबसे बड़ी योग्यता मुस्लिम होने के साथ सुन्नी मुसलमान होना है. और, हिंदू और ईसाई खिलाड़ियों के साथ भेदभाव करते हुए उन्हें इस्लाम अपनाने तक के लिए कहे जाने के आरोप पाकिस्तानी क्रिकेट टीम पर लगते रहे हैं. खैर, राजनीति करने वालों को तो बस बहाना चाहिए. और, कांग्रेस नेता तौसीफ आलम को वो मिल गया. मतलब टीम इंडिया में अगर तौसीफ जैसे नेताओं के हिसाब से ही चयन होने लगे. तो, टीम का कल्याण ही हो जाएगा.
भारत में सभी खेलों की टीमों में हर जाति, धर्म, वर्ग, संप्रदाय से जुड़े लोगों को बिना किसी भेदभाव के उनकी क्षमता और प्रदर्शन के हिसाब से शामिल किया जाता है. और, इस तरह के आरोप केवल तौसीफ आलम सरीखे नेता ही लगा सकते हैं. जो अपनी सोशल मीडिया पोस्ट पर ठीक से हिंदी भी नहीं लिख पा रहे हैं. जब ऐसे लोग टीम सिलेक्शन पर सवाल उठाते हैं, तो लोगों को समझना चाहिए कि ये लोग सिर्फ अपनी राजनीति चमकाने के लिए ही ऐसे विवादित बयान देते हैं. टीम चयन के कई आधार होते हैं. संभव है कि ऑस्ट्रेलिया में होने वाले टी20 वर्ल्ड कप में प्रदर्शन के लिहाज से ये खिलाड़ी फिट न हो पा रहे हों.
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