राहुल द्रविड़ को तो 'Hall of fame' मिला लेकिन सचिन को क्यों नहीं !
राहुल द्रविड़ को आईसीसी की तरफ से हॉल ऑफ फेम के सम्मान के लिए चुना गया है. सचिन तेंदुलकर के रिकॉर्ड द्रविड़ से कहीं ज्यादा हैं, लेकिन फिर भी उन्हें नहीं चुने जाने पर जो लोग निराश हैं, उन्हें इसकी वजह जरूर जाननी चाहिए.
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क्रिकेट की दुनिया में 'द वॉल' यानी दीवार के नाम से मशहूर राहुल द्रविड़ को एक और बड़ा सम्मान मिल गया है. अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने उन्हें हॉल ऑफ फेम का सम्मान दिया है. द्रविड़ से पहले 4 भारतीय ये सम्मान पा चुके हैं और अब राहुल द्रविड़ यह सम्मान पाने वाले पांचवें व्यक्ति हैं. आपको ये जानकर हैरानी हो सकती है कि यह सम्मान पाने वाले भारतीयों की लिस्ट में क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर क्यों नहीं हैं. तो आखिर क्या है ये हॉल ऑफ फेम और किसे मिलता है? कि अब तक तेंदुलकर जैसे दिग्गज को भी इसमें जगह नहीं मिल सकी है. इस सम्मान को लेने के लिए तो राहुल द्रविड़ नहीं जा सके, लेकिन उन्होंने एक वीडियो के जरिए सबका शुक्रिया अदा जरूर किया.
Although coaching commitments mean Rahul couldn't be here tonight, he has sent this brief message from India as he takes his place among cricket's all-time greats #ICCHallofFame pic.twitter.com/uRSHHurKIc
— ICC (@ICC) July 1, 2018
क्या है 'हॉल ऑफ फेम' और किसे मिलता है?
हॉल ऑफ फेम उन खिलाड़ियों को दिया जाता है, जिन्होंने क्रिकेट की दुनिया में शानदार उपलब्धियां प्राप्त की होती हैं. इसके तहत सम्मान के रूप में एक कैप दी जाती है. इसकी शुरुआत फेडरेशन ऑफ इंटरनेशनल क्रिकेटर्स एसोसिएशन की तरफ से 2 जनवरी 2009 को आईसीसी की 100वीं सालगिरह पर की गई थी. यह सम्मान पाने के लिए कुछ पैमानों पर खरा उतरना होता है -
- हॉल ऑफ फेम पाने के लिए सबसे पहली योग्यता यह देखी जाती है कि जिस खिलाड़ी को चुना जा रहा है, उसने पिछले 5 सालों में कोई अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट नहीं खेला हो.
- बल्लेबाज के नाम कम से कम 8000 रन और 20 शतक होने जरूरी हों. यह रन टेस्ट मैच और वन डे इंटरनेशनल मैच में बनाए हो सकते हैं.
- गेंदबाज के नाम कम से कम 200 विकेट किसी भी एक फॉर्मेट में होने जरूरी हों. टेस्ट मैच में उनका स्ट्राइक रेट 50 और वन डे मैच में 30 होना चाहिए.
- विकेट कीपर के नाम पर किसी एक या दोनों फॉर्मेट में मिलाकर कुल 200 स्टंप आउट होने जरूरी हैं.
- अगर कप्तान की बात करें तो उसे कम से कम 25 टेस्ट मैच या/और 100 वन डे क्रिकेट इंटरनेशनल क्रिकेट में कम से कम 50 फीसदी में जीत दिलाई होनी चाहिए.
The Wall is in The Hall!Here's his #ICCHallOfFame cap ???? pic.twitter.com/gbn5aA1G4J
— ICC (@ICC) July 1, 2018
इसलिए सचिन को नहीं मिला ये सम्मान
सचिन तेंदुलकर को अब तक यह सम्मान न मिलना थोड़ा हैरान जरूर करता है, लेकिन आपको बता दें कि अभी सचिन इस सम्मान के योग्य नहीं हो पाए हैं. जैसा कि ऊपर इसकी योग्यता के बारे में बात की गई है कि खिलाड़ी द्वारा पिछले 5 सालों में कोई इंटरनेशनल क्रिकेट नहीं खेला होना चाहिए. सचिन ने अपना आखिरी मैच नवंबर 2013 में खेला था. इस तरह वह नवंबर 2018 के बाद यह सम्मान पाने योग्य होंगे, जबकि राहुल द्रविड़ ने अपना आखिरी मैच जनवरी 2012 में खेला था, इसलिए उन्हें यह सम्मान मिल चुका है. सिर्फ 5 साल वाली ये शर्त पूरी नहीं कर पाने की वजह से मास्टर ब्लास्टर इस सम्मान से वंचित हैं, वरना उनके रिकॉर्ड हॉल ऑफ फेम पाने वाले सभी भारतीयों से अधिक हैं. टेस्ट क्रिकेट में सचिन ने 200 मैच की 329 पारियों में 15,921 रन बनाकर 51 शतक लगाए हैं. वहीं 463 वन डे क्रिकेट में उन्होंने 49 शतक लगाकर कुल 18,426 रन अपने नाम किए हैं.
इन भारतीयों को मिल चुका है ये सम्मान
राहुल द्रविड़ से पहले सुनील गावस्कर, बिशन सिंह बेदी, कपिल देव और अनिल कुंबले को हॉस ऑफ फेम की कैप दी जा चुकी है. इस बार ये सम्मान राहुल द्रविड़ के अलावा ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान रिकी पोंटिंग और पूर्व महिला क्रिकेटर क्लेयर टेलर को भी दिया गया है. राहुल द्रविड़ ने 164 टेस्ट मैच खेलते हुए 13,288 रन बनाए और 36 शतक लगाए. इसके अलावा वन डे इंटरनेशनल क्रिकेट में 344 मैचों में उन्होंने 12 शतक लगाए और 10,889 रन बनाए. अभी तक हॉल ऑफ फेम कुल 84 लोगों को दिया जा चुका है, जिनमें 28 खिलाड़ी इंग्लैंड, 25 खिलाड़ी ऑस्ट्रेलिया, 18 खिलाड़ी वेस्ट इंडीज, 5-5 खिलाड़ी भारत-पाकिस्तान, 3 खिलाड़ी न्यूजीलैंड, 2 खिलाड़ी दक्षिण अफ्रीका और 1 खिलाड़ी श्रीलंका का है.
भारतीय खिलाड़ियों को क्यों नहीं मिलती 'सर' की उपाधि?
बहुत से लोगों को यह आश्चर्य होता है कि आखिर भारतीय क्रिकेट खिलाड़ियों को 'सर' की उपाधि क्यों नहीं मिलती. ब्रैडमैन, सोबर्स, रिचर्ड्स जैसे महान खिलाडि़यों के नाम के आगे सम्मान से 'सर' लगाया जाता है. वेस्ट इंडीज के कर्टली एम्ब्रोज भी इस उपाधि से नवाजे जा चुके हैं, तो फिर सचिन क्यों नहीं? आपको बता दें कि यह उपाधि इंग्लैंड की महारानी द्वारा दी जाती है. भारतीय खिलाड़ियों को यह उपाधि इसलिए नहीं मिलती है क्योंकि इसे सिर्फ उन्हीं देशों में दिया जा सकता है जो आज भी ब्रिटिश परिवार को अपना मुखिया मानते हैं. जैसे- ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, वेस्टइंडीज आदि. आजादी से पहले भारत में भी ऐसा होता था, लेकिन आजादी के बाद से इसे पूरी तरह से खत्म कर दिया गया.
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