कोहली को अभी धोनी से कप्तानी के कुछ गुर और सीखने चाहिए !
बीते दिन हुए बैंगलोर और चेन्नई के मैच में धोनी का प्रदर्शन शानदार रहा और इस प्रदर्शन के बाद ये कहने में गुरेज नहीं है कि अभी भी बैंगलोर के कप्तान विराट को, धोनी से बहुत कुछ सीखने की जरूरत है.
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आईपीएल 2018 में बुधवार को धोनी की चेन्नई सुपर किंग्स और कोहली की रॉयल चैलेंजर बैंगलोर के बीच मुकाबला था. बेंगलुरु के होम ग्राउंड पर हुए इस मैच में भारी संख्या में दर्शकों का जुटान देखने को मिला और अच्छी बात यह रही कि दर्शकों ने इस मैच में जिस रोमांचक टक्कर की उम्मीद लगाईं थी, यह मैच वैसा ही हुआ. टॉस जीतकर धोनी ने बैंगलोर को पहले बल्लेबाजी का न्योता दिया, जिसके बाद कोहली और डिविलियर्स जैसे धाकड़ बल्लेबाजों से सजी बैंगलोर की सेना ने चेन्नई के गेंदबाजों को दिन में तारे दिखा दिए.
बात जब अनुभव की होती है तो धोनी का किसी से कोई मुकाबला नहीं है
बैंगलोर की बल्लेबाजी
बैंगलोर की तरफ से सलामी जोड़ी के रूप में कोहली और डिकॉक उतरे जिन्होंने शुरू में आक्रामक तेवर दिखाने शुरू कर दिए. हालांकि कोहली ज्यादा देर तक टिक नहीं सके और पंद्रह गेंदों पर तीन चौकों की मदद से 18 रन बनाकर शार्दुल ठाकुर की गेंद पर रविन्द्र जडेजा के हाथों कैच दे बैठे. लेकिन, इसके बाद डिविलियर्स क्या आए कि चेन्नई के गेंदबाजों की शामत ही आ गयी.
डिकॉक और डिविलियर्स दोनों ही चेन्नई पर कहर बनकर टूट पड़े. गेंद कहीं और कैसी भी फेंको, उसकी नियति सीमारेखा के पार जाना बन गया था. 30 गेंद में 68 रन डिविलयर्स और 37 गेंद में 53 रन डिकॉक ने बनाए. इनके बाद आखिर के ओवरों में मंदीप सिंह ने भी हाथ दिखाया और 17 गेंदों पर 32 रन बना डाले. इस तरह बीस ओवरों में बेंगलुरु ने 205 रन का विशाल स्कोर खड़ा कर दिया, जिससे चेन्नई को पार पाना था.
बेंगलुरु और चेन्नई के बीच हुए मैच में धोनी ने एक बहुत सधी हुई पारी को अंजाम दिया
चेन्नई की बल्लेबाजी
चेन्नई की तरफ से शेन वाटसन और अम्बाती रायडू ओपनिंग में उतरे, लेकिन वाटसन चार गेंद में सात रन बनाकर पवन नेगी की गेंद पर चलते बने. अब चेन्नई पर दबाव और बढ़ गया था. फिर आए सुरेश रैना, लेकिन वे भी दबाव का सामना नहीं कर सके और 9 गेंद में 11 रन बनाकर उमेश यादव का शिकार बने. इसके बाद सैम बिलिंग्स, रविन्द्र जडेजा भी आए और कुछ गेंदे खाकर पवेलियन को प्यारे हो गए. चेन्नई अब रन के साथ-साथ विकेट के भी दबाव में थी.
अम्बाती रायडू एक छोर पर जमे थे, लेकिन दूसरे छोर पर उनका साथ देने वाला कोई नहीं मिल रहा था. लेकिन, जडेजा का विकेट गिरने के बाद आए कैप्टन कूल के नाम से मशहूर महेंद्र सिंह धोनी. चेहरे और शारीरिक हाव-भाव में किसी प्रकार के तनाव या दबाव के चिन्ह हमेशा की तरह जरा भी नहीं थे. आते ही पहले एक जोरदार छक्का लगाकर अपने आने का एहसास कराया.
फिर शुरू हुआ बल्लेबाजी का धोनी स्टाइल यानी कि विकेट के बीच में दौड़ लगाने का काम. धोनी ने रणनीति स्पष्ट कर दी कि बेंगलुरु के खतरनाक साबित हुए गेंदबाज चहल की गेंदों पर खतरा नहीं उठाया जाएगा. इनके ओवरों में कोई खतरा नहीं उठाया गया. धोनी और रायडू का निशाना बने कोरी एंडरसन और मोहम्मद सिराज. इनकी खूब पिटाई हुई. मगर तभी रायडू 53 गेंद में 82 के स्कोर पर दुर्भाग्यपूर्ण ढंग से रन आउट हो गए. मैच में का रोमांच एकदम से बढ़ गया. फिर आए ब्रावो.
धोनी ने कई मौकों पर अपने प्रदर्शन से लोगों को हैरत में डालने का काम किया है
करते-धरते मैच आखिरी ओवर तक पहुंचा और बनाने थे 6 गेंद में 16 रन. कोरी एंडरसन के हाथ में गेंद और सामने थे ब्रावो. पहली गेंद पर पड़ा चौका. दूसरी गेंद पर छक्का. तीसरी गेंद पर ब्रावो ने एक रन लेकर धोनी को स्ट्राइक दी. अब तीन गेंद पांच रन. मैच फिनिशर के रूप में विश्वविख्यात धोनी भला इस अवसर को कहां चूकते, चौथी गेंद पर उनके बल्ले ने आग उगली और गेंद हवा में लहराती हुई सीधे 6 रन के लिए सीमारेखा से बाहर हो गयी. चेन्नई ने दो गेंद रहते ही पांच विकेट से बैंगलोर पर जीत हासिल कर ली. धोनी 34 गेंद में 70 रन बनाकर नाबाद पवेलियन लौटे.
निष्कर्ष
देखा जाए तो बंगलौर की टीम, चेन्नई से अधिक मजबूत दिखती है. कोहली, डिविलियर्स और डिकॉक जैसे हिटर्स के मुकाबले चेन्नई में धोनी और वाटसन के सिवा कोई नाम नहीं दिखता. रैना लम्बे समय से आउट ऑफ़ फॉर्म हैं. ब्रावो एक तुक्का हैं, जो कभी चले कभी नहीं चले, इनपर भरोसा नहीं किया जा सकता.
कहा जा सकता है कि विराट को धोनी से अभी बहुत कुछ सीखने की जरूरत है
जबकि बैंगलोर की उक्त तिकड़ी बेहद मजबूत है. गेंदबाजी में बैंगलोर थोड़ी मजबूत दिखती है, लेकिन इस मैच में वो मजबूती कागज़ी ही साबित हुई है. अब बात कप्तानी की, तो इस मामले में चेन्नई बंगलौर पर बीस साबित होती है. धोनी के धैर्य और सूझबूझ से भरी रणनीति के आगे कोहली की आक्रामक कप्तानी की शैली कमजोर ही दिखाई देती है.
इस मैच को ही लें तो कोहली ने गेंदबाजों का इस्तेमाल करने में दूरदर्शिता नहीं दिखाई, जिसका लाभ धोनी ने अपनी सूझबूझ से उठा लिया. अगर कोहली चहल और उमेश यादव का एक-एक ओवर अंत के लिए बचाकर रख लेते तो शायद मैच की तस्वीर कुछ और होती. सो, कोहली को निश्चित तौर पर अभी धोनी से कप्तानी के गुर सीखने चाहिए और वे सीख रहे भी होंगे. खैर, टीम इंडिया के दो धुरंधरों के बीच हुए इस रोमांचक मुकाबले ने साबित किया कि सेनापति मजबूत हो, तो थोड़ी कमजोर सेना भी एक मजबूत सेना को हरा सकती है.
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