Sachin-Dhoni विवाद: 'भगवान' को पता न था कि आस्थाएं बदल गई हैं
अफगानिस्तान और भारत के मैच के बाद सचिन तेंदुलकर चुप नहीं रहे और महेंद्र सिंह धोनी के विरोध में बोल पड़े. भले ही उनकी बात को उनके फैन्स ये कहें कि सचिन ने तो धोनी को सलाह दी, लेकिन धोनी के फैन्स को सचिन तेंदुलकर की बातें तीर की तरह चुभी हैं.
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देश में इतने सारे धार्मिक स्थल हैं, जिनमें हर रोज लाखों लोग भगवान को पूजते हैं, लेकिन क्या कभी भगवान अपने स्थान से उठकर कुछ बोले हैं? हर किसी का जवाब यही होगा कि 'नहीं'. भगवान शायद इसीलिए आज तक भगवान का दर्जा पाए हैं, क्योंकि वो चुप रहते हैं. भगवान सिर्फ लोगों को आशीर्वाद देते हैं, बिना किसी भेदभाव के. ना किसी का पक्ष लेते हैं, ना किसी का विरोध करते हैं. भगवान की यही खासियत होती है, जो उन्हें भगवान बनाती है. क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंडुलकर इसी बात को समझ नहीं पाए. लोगों ने उन्हें भगवान का दर्जा तो दे दिया, लेकिन वह ये नहीं समझ पाए कि उस दर्जे के साथ-साथ उनके साथ जुड़ी है चुप रहने की शर्त.
सचिन तेंडुलकर चुप नहीं रहे और महेंद्र सिंह धोनी के विरोध में बोल पड़े. भले ही उनकी बात को उनके फैन्स ये कहें कि सचिन ने तो धोनी को सलाह दी, लेकिन धोनी के फैन्स को सचिन तेंडुलकर की बातें तीर की तरह चुभी हैं. आलम ये है कि जिस शख्स को क्रिकेट की दुनिया में भगवान कहा जाता है, अब लोग उन्हें ही सोशल मीडिया पर ट्रोल करने लगे हैं. यानी ये कहना तो बिल्कुल गलत नहीं होगा कि भले ही सचिन क्रिकेट के भगवान हैं, लेकिन एक ऐसा भी हिस्सा है, जिसके लिए महेंद्र सिंह धोनी उनसे भी अधिक पूजनीय हैं.
अफगानिस्तान और भारत के मैच के बाद सचिन तेंडुलकर महेंद्र सिंह धोनी के विरोध में बोल पड़े.
क्या बोले थे सचिन तेंडुलकर?
अफगानिस्तान के खिलाफ हुए मैच में मिडिल ऑर्डर में खेलने आए धोनी ने 52 गेंदों में 28 रन बनाए थे. इस पर सचिन तेंडुलकर ने कहा था- 'धोनी में क्षमता है, लेकिन कल उनका स्ट्राइक रोटेशन अच्छा नहीं था. उन्होंने बहुत सारे गेंदें खेलीं, जो भारत को बड़ी जीत दिलाने में बाधा बना. मुझे लगता है कि धोनी को आने वाले मैचों में अपना प्रदर्शन सुधारने की जरूरत है. धोनी एक सीनियर खिलाड़ी हैं, उन्हें अपनी सकारात्मकता दिखानी चाहिए. अफगानिस्तान की गेंदबाजी अच्छी थी, लेकिन आप 34 ओवर में सिर्फ 119 रन नहीं बना सकते हैं. धोनी और केदार जाधव के बीच की साझेदारी ने भी मुझे निराश किया.'
भगवान अगर बोलेंगे तो प्रतिक्रियाएं तो आएंगी ही
जरा सोच कर ही देखिए, अगर भगवान उनके दर्शन करने आए भक्तों की कमियां या अच्छाइयां गिनाने लगें, तो क्या किसी को बुरा नहीं लगेगा? हो सकता है कि बहुत से लोग भगवान की हर बात को सिर झुकाकर सुन भी लें, लेकिन उन्हीं भक्तों में से बहुत से ऐसे भी होंगे जो जवाब देंगे. सचिन के साथ ऐसा ही हुआ है. जब तक सचिन तेंडुलकर चुपचाप क्रिकेट खेलते रहे और उसके बाद भारतीय टीम को एक मार्गदर्शक की तरह सही रास्ता दिखाते रहे, वो सबको अच्छे लग रहे थे, लेकिन जैसे ही उन्होंने धोनी की गलती निकाली, उनके लिए लोगों की प्रतिक्रियाएं आने लगीं. यानी अब भगवान ने किसी का पक्ष लिया है या किसी का विरोध किया है. भगवान का निष्पक्ष होना जरूरी है.
सबका मालिक 'एक' नहीं !
आपने अक्सर ही लोगों को कहते सुना होगा कि सबका मालिक एक. भगवान एक ही हैं. लेकिन असल दुनिया में ऐसा नहीं दिखता. 33 करोड़ देवी-देवता तो सिर्फ हिंदू धर्म में हैं. यानी हर किसी ने अपने भगवान अपने हिसाब से चुने हैं. हर भगवान की अपनी एक खासियत है. ठीक उसी तरह सचिन तेंडुलकर को भी एक खास वजह से लोगों ने अपना भगवान बनाया. ये खासियत है उनका खेल, जो अद्वितीय है. लेकिन हाल ही में सचिन तेंडुलकर कुछ बदले-बदले से लगे. वह अपने खेल के अलावा इस लिए चर्चा में आ गए, क्योंकि उन्होंने धोनी की बुराई की. बस फिर क्या था, धोनी को पूजने वालों ने सचिन का खिलाफ ही विद्रोह कर दिया. सचिन को क्रिकेट का भगवान जरूर माना जाता है, लेकिन ये बात ध्यान देने की है कि वह हर किसी के भगवान नहीं हो सकता है. वैसे भी, सबके भगवान एक नहीं होते.
अब सोशल मीडिया पर लोग न सिर्फ सचिन के रिकॉर्ड की धोनी से तुलना करने में लग गए हैं, बल्कि ऐसे-ऐसे फैक्ट खोदकर निकाल रहे हैं, जब सचिन भी धीमी गति से खेले थे. कहा तो यहां तक जा रहा है कि इसी धोनी की वजह से सचिन को वर्ल्ड कप को हाथ लगाने का मौका मिला, लेकिन सचिन उसी धोनी की बुराई कर रहे हैं. वैसे अगर देखा जाए तो धोनी के फैन भी गलत नहीं हैं. आखिर वन डे मैच से लेकर टेस्ट मैच तक, वर्ल्ड कप से लेकर टी-20 वर्ल्ड कप तक, हर मौके पर धोनी ने टीम के मोतियों को एक धागे में पिरोकर भारत को जीत दिलाई. टीम के लिए शानदार क्रिकेट तो खेला ही, साथ ही कप्तान की भूमिका भी निभाई. वहीं दूसरी ओर सचिन तेंडुलकर हैं, जो अपने खेल से क्रिकेट के भगवान तो बन गए, लेकिन जब बात कप्तानी की आई थी तो वह खुद ये मान गए थे कि टीम का नेतृत्व उनकी क्षमता में नहीं है.
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