चैपल-गांगुली विवाद से अभी और पर्दे उठने बाकी
चैपल विवाद के कारण गांगुली को कप्तानी पद गंवानी पड़ी थी. और फिर राहुल द्रविड कप्तान बनाए गए. इसने कहीं न कहीं द्रविड और गांगुली के रिश्तों में थोड़ी खटास पैदा की. हालांकि इसके केवल कयास ही लगाए जाते रहे और पुख्ता तौर पर कभी ऐसी कोई बात सामने नहीं आई.
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भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कोच ग्रेग चैपल की विदाई को आठ साल हो गए हैं. लेकिन उनकी चर्चा यहां अब भी गाहे-बगाहे होती रहती है. दिलचस्प बात यह कि चैपल से जुड़ी सारी चर्चा सौरव गांगुली, सचिन तेंदुलकर या राहुल द्रविड तक पहुंच कर थम जाती है. पिछले साल के आखिर में सचिन की किताब 'प्लेइंग इट माइ वे' में चैपल और गांगुली से जुड़े विवाद की एक कहानी सामने आई थी. सचिन ने लिखा कि कैसे चैपल ने विश्व कप-2007 से ठीक पहले उन्हें भारतीय टीम का कप्तान बनने के लिए उकसाया था. साथ ही यह था कि सचिन चाहें तो दोनों मिलकर लंबे समय तक भारतीय क्रिकेट पर राज कर सकते हैं.
द्रविड ने किया था गांगुली का बचाव
चैपल विवाद के कारण गांगुली को कप्तानी पद गंवानी पड़ी थी. और फिर राहुल द्रविड कप्तान बनाए गए. इसने कहीं न कहीं द्रविड और गांगुली के रिश्तों में थोड़ी खटास पैदा की. हालांकि इसके केवल कयास ही लगाए जाते रहे और पुख्ता तौर पर कभी ऐसी कोई बात सामने नहीं आई. गौरतलब है कि दस साल पहले जिम्बाब्वे दौर पर गांगुली और चैपल के बीच की तकरार की बात मीडिया में आई थी. अब चैपल विवाद में एक नई बात सामने आई है. बीसीसीआई के संयुक्त सचिव अमिताभ चौधरी ने इस बारे में एक अहम खुलासा किया है. अमिताभ तब जिम्बाब्वे दौरे पर टीम मैनेजर थे. अमिताभ ने रांची के जेवियर इंस्ट्यूट ऑफ सोशल सर्विस में आयोजित एक कार्यक्रम में बताया कि उस समय कप्तान गांगुली का फॉर्म खराब चल रहा था. इसे देखते हुए चैपल ने उन्हें पहले टेस्ट से बाहर बैठाने का फैसला किया. इसके बाद अमिताभ और द्रविड ने जाकर चैपल से बात की और कहा कि कप्तान को बाहर करने का अधिकार उनके पास नहीं है. पूरे विवाद में यह एक एंगल है. लेकिन कई और ऐसी बाते होंगी जिसका सामने आना बाकी है. मसलन, कैसे उस समय सीरीज के बाद गांगुली को हटाया गया और चैपल को कहां से प्रोत्साहन मिला.
भारत वह जिम्बाब्वे सीरीज जरूर 2-0 से जीतने में कामयाब रहा लेकिन चैपल की राजनीति भारतीय टीम में अपना रंग दिखाने लगी थी. जिम्बाब्वे दौरा खत्म होने के बाद द्रविड को भारतीय टीम की कमान सौंप दी गई और फिर वेस्टइंडीज में 2007 में हुए विश्व कप से भारतीय टीम की शर्मनाक तौर पर वापसी के बाद ही चैपल की यहां से विदाई संभव हो सकी.
भारतीय क्रिकेट में द्रविड का नाम बहुत सम्मान से लिया जाता है. अपने पूरे करियर में वह विवादों से दूर ही रहे. लेकिन गांगुली को हटाए जाने के बाद द्रविड के कप्तान बनने पर अचानक कई प्रकार की खबरें तब आने लगी थी. लेकिन अब उम्मीद की जानी चाहिए कि अमिताभ के नए खुलासे से इस विवाद पर लगाम लगेगा.
द्रविड और गांगुली का रिश्ता
चैपल के कार्यकाल में भारतीय क्रिकेट एक ऐसे दौर से गुजरी जहां सीनियर खिलाड़ियों के बीच मनमुटाव को साफ तौर पर महसूस किया जा सकता था. चैपल ने पहले गांगुली और द्रविड और फिर द्रविड और सचिन के बीच चैपल ने फूट डालने की कोशिश की. बहरहाल, यह मनमुटाव कितना रहा, किस हद तक रहा और इससे जुड़े कितनी फीसदी सच्चाई हमारे सामने आई, यह हमेशा बहस का विषय रहेगा. पिछले साल सचिन की किताब की लांचिंग के दौरान भी गंगुली ने इस विवाद को हवा दे दिया. उन्होंने कहा कि उन्हें हटाए जाने की चैपल की योजना के बारे में द्रविड को पता था. बकौल गांगुली खुद द्रविड यह बात कह चुके हैं. द्रविड हालांकि ऐसी बातों से इंकार करते रहे हैं.
फिर इस साल भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने जब अपनी सलाहकार समिति के लिए सचिन, गांगुली और वीवीएस लक्ष्मण के नाम को मंजूरी दी तब एक बार यह बात उठी कि द्रविड का नाम इसमें क्यों नहीं है. ऐसी खबरें उड़ी कि द्रविड ने शायद गांगुली की मौजूदगी के कारण इस समिति में आने से इंकार कर दिया. क्या यह बात सच हैं? क्या सच में गांगुली और द्रविड के बीच इगो की एक लड़ाई चलती रहती है? हालांकि कैमरे के सामने या किसी कार्यक्रम में दोनों कई बार एक साथ नजर आ चुके हैं. हंसते-बतियाते दिखे हैं. द्रविड ने जिस वजह से भी बीसीसीआई की सलाहकार समीति में आने से इंकार किया हो लेकिन वह अब भारत-ए के कोच हैं. दोनों अलग-अलग ही सही, लेकिन भारतीय क्रिकेट को आगे बढ़ाने का कम कर रहे हैं. इसलिए उनके बीच के रिश्तों पर बहस को ज्यादा तवज्जो नहीं दी जानी चाहिए.
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