साउथ अफ्रीका के खिलाफ इसलिए सीरीज हारेगी टीम इंडिया!
धोनी का गोल्डन पीरियड बीत चुका हो और वह अपनी बेस्ट फॉर्म में नहीं हैं. इसलिए साउथ अफ्रीका जैसी दमदार टीम के खिलाफ सीरीज में उन्हें कप्तानी के साथ-साथ एक खिलाड़ी के तौर पर भी खुद को साबित करना होगा.
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महेंद्र सिंह धोनी के कूल अंदाज के कारण हाल के दिनों में टीम इंडिया को खासकर विदेशी धरती पर कई सीरीज गंवानी पड़ी. आक्रामकता में कमी के कारण मजबूत टीमों के सामने टीम इंडिया सीरीज हारती रही. अब जबकि कैप्टन कूल अपनी फॉर्म में नहीं हैं और मुकाबला भी दुनिया की सबसे मजबूत माने जाने वाली टीम साउथ अफ्रीका के खिलाफ है तो टीम इंडिया अगर इस सीरीज में उन्नीस साबित हो और हार जाए तो हैरान मत होइएगा क्योंकि कप्तान के पास खोने के लिए कुछ नहीं है और उसका सुनहरा दौर बीत चुका है.
धोनी को एक खिलाड़ी और कप्तान के तौर पर भारतीय क्रिकेट के सबसे बड़े सितारों में से एक गिना जा सकता है. लेकिन हाल के कुछ महीनों में इस बात के संकेत मिलने लगे हैं कि यह महान सितारा अब अस्त होने को है. विराट कोहली नाम के सितारे की चमक ने भी धोनी के लिए मुश्किलें बढ़ा दी हैं. ज्यादातर लोगों का मानना है कि यह धोनी के लिए सबसे मुश्किल दौर है और अगले महीने साउथ अफ्रीका के खिलाफ होने वाली सीरीज उनके लिए किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं होगी.
हमेशा उम्मीदों से बेहतर किया लेकिन... एमएस धोनी ने अपने करियर में एक कप्तान और एक बल्लेबाज के तौर पर हमेशा उम्मीदों से बेहतर किया. फिर वो चाहे 2007 में टी-20 वर्ल्ड कप जीतना हो या 2011 के वर्ल्ड कप फाइनल में छक्का लगाकर जीत दिलाने का कारनामा, रांची जैसे छोटे से शहर से निकलकर दुनिया पर छा जाने वाले धोनी की कहानी देश के लाखों मध्यम वर्गीय परिवारों के युवाओं के लिए मिसाल बन गई. और इसने साबित किया कि कैसे एक आम भारतीय भी जागती आंखों से देखे गए सपनों को पूरा कर सकता है. वह भारत के सबसे सफल कप्तान रहे. लेकिन टेस्ट में लगातार हार और वनडे में लचर प्रदर्शन यह साबित करती है कि उनका सुनहरा काल अब अतीत बन चुका है. साउथ अफ्रीका जैसी टीम के सामने न सिर्फ उनके फॉर्म की बल्कि उनके करियर की भी परीक्षा होगी.
अंत के संकेत पहले ही मिलने लगे हैं: क्रिकेट का खेल भी समय की तरह ही है, और इसलिए यहां भी हर सितारे की चमक फीकी जरूर पड़ती है. धोनी के साथ भी यही हुआ. पिछले कुछ महीनों में कप्तानी से लेकर उनकी बैटिंग तक में पहले वाली बात नजर नहीं आई. वर्ना कोई शायद ही इस बात पर यकीन करे कि धोनी की मौजूदगी के बावजूद टीम इंडिया बांग्लादेश जैसी टीम से वनडे सीरीज हार जाए. उससे पहले ऑस्ट्रेलिया दौरा और फिर वर्ल्ड कप में हार ने भी इस बात के संकेत दे दिए कि उनका करियर ढलान पर है.
जिस कूल अंदाज ने दिलाई सफलता, अब उसकी ही आलोचनाः
बांग्लादेश के खिलाफ उस वनडे सीरीज में विपक्षी युवा गेंदबाज मुस्तिफिजुर रहमान को धोनी द्वारा टक्कर मारने की घटना ने दिखाया कि कैसे लगातार असफलताएं इंसान से उल्टा-पुल्टा व्यवहार करवाती हैं और कैसे इसने कैप्टन कूल कहे जाने वाले धोनी तक का रवैया बदलकर रख दिया. ऐसा इसलिए भी हो सकता है क्योंकि उनके जिस कूल रवैये ने टीम इंडिया के लिए सफलता की नई इबारत लिखी, वही रवैया असफलता मिलने पर उनकी आलोचना का सबसे बड़ा कारण बन गई. साथ ही इसकी एक वजह एंग्री यंग मैन विराट कोहली को उनके आक्रामक अंदाज के कारण मिली सफलता भी हो सकती है. जिसने दिखाया कि धोनी जैसा कूल अंदाज बीते दौर की बात हो गई है और अब सफलता के लिए आक्रामकता जरूरी है.
आउट ऑफ फॉर्म कप्तान तो टीम को जीत कैस मिलेगीे
साउथ अफ्रीका के खिलाफ सीरीज धोनी के लिए सबसे कड़ा इम्तिहान साबित होने जा रही है. क्रिकेट पंडितों की मानें तो अगले साल होने वाला टी-20 वर्ल्ड कप के बाद ही उनका क्रिकेट का सफर थम सकता है. निश्चित ही साउथ अफ्रीका के खिलाफ सीरीज में धोनी पर इस बात का दबाव रहेगा. ऐसे में उनके जैसे खिलाड़ी के लिए मैदान में खुद को बेस्ट साबित करने में यह बात आड़े आ सकती है. इतना तो तय है कि धोनी का गोल्डन पीरियड बीत चुका हो और वह अपनी बेस्ट फॉर्म में नहीं हैं. इसलिए साउथ अफ्रीका जैसी दमदार टीम के खिलाफ सीरीज में उन्हें कप्तानी के साथ-साथ एक खिलाड़ी के तौर पर भी खुद को साबित करना होगा.
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